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गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

2092...अनिश्चितताओं के घन हो चले हैं भारी...

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है। 


करोना का रोना 

अब तक है जारी,

अनिश्चितताओं के घन  

हो चले हैं भारी। 

#रवीन्द्र_सिंह-यादव     

 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें- 

राग-विराग - 9.... प्रतिभा सक्सेना 


 जिंदगी के सफ़र में कितने ही स्पीड ब्रेकर आयेंगे बस जरूरत है तो अपना ध्यान रखने की वरना एक छोटा सा ब्रेकर भी जिंदगी की गाड़ी का बैलेंस बिगाड़ कर रख देगा। किंतु जहां जब मुसीबत आती है और उसका सामना करना पड़ता है उस समय अधिकतर लोग अपना आपा खो बैठते हैं अगर हर एक व्यक्ति अगर सोच समझकर काम करने लगे तो मुसीबत आएगी नहीं थोड़ी सी बात में क्यों लोग बौखला जाते हैं...

चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो...प्रतिभा कटियार 

ज़िंदगी अब बता कहाँ जाएँ
ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं

जिस के कारन फ़साद होते हैं
उस का कोई अता-पता ही नहीं

कर्म बदलते भाग्य...सुजाता प्रिये 

कर्म करो तो इक दिन तुझको मिलेगा इसका फल।

कर्म करने वाले का होता,जीवन सदा सफल।

सफलता तेरे पग चूमेगी, भर जीवन में  उल्लास।

कर्म हमारे भाग्य बदलते,मन में रख विश्वास।


वारे न्यारे , क्रिप्टो करेंसी से - सतीश सक्सेना

 

विश्व की पहली डिजिटल करेंसी बिटकॉइन, एक छद्मनाम सातोशी नाकामोतो नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने , 2008 में लांच की थी और इसकी कीमत ज़ीरो थी जो कि अगले तीन साल में बढ़कर 1$ प्रति बिट कॉइन और आजकल इसकी कीमत लगभग $50000 है ! विश्व में इतनी तेज प्रगति का यह अकेला पहलवान है सो इसको समय रहते नमस्कार करना सीख लेना चाहिए ..

पाती ताताजी के नाम... उषा किरण 

नाम भर के नहीं आप सच में `सन्तथे ताताजी ।आप कृष्ण के परम् भक्त थे अंतिम समय में , कोमा में जाने से पहले तक भी  निर्विकार रूप से"ओम् नमो भगवते वासुदेवायका जाप कर रहे थे कितना दुर्लभ है पूरा जीवन ऐश्वर्यशाली जीवन जीने के बाद अंत समय यदि स्मरण रहे प्रभु नाम और बाकी कुछ भी ममता बाकी रहे 

चलते-चलते पुस्तक चर्चा- 

समीक्षा: काव्य-प्रभा...एम. आर. अयंगर

अपने अपने दर्द सभी को खुद ही सहने पड़ते हैं,

दर्द छुपाने मनगढ़ंत कुछ किस्से कहने पड़ते हैं।

खामोंशी के परदे में जब जख्म छुपाने पड़ते हैं,

तब ही मन बहलाने को, ये गीत बनाने पड़ते हैं।

 


11 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िंदगी अब बता कहाँ जाएँ
    ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं

    जिस के कारन फ़साद होते हैं
    उस का कोई अता-पता ही नहीं
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जहर हवा में घुली है, जाना कहाँ है?
      कोई खुलकर फसाद करे,ये वो जमाना नहीं है।

      हटाएं
    2. अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे
      मर के भी चैन ना पाया तो किधर जाएंगे

      हटाएं
  2. बढ़िया लिंक्स । सब पर उपस्थिति दर्ज कर आये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी लिंक बहुत बढ़िया...धन्यवाद मेरी रचना शेयर करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम

    जवाब देंहटाएं
  5. इस कठिन दौर में सब सुरक्षित व स्वस्थ रहें

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत प्यारे लिंक दिए हैं , आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन रवींद्र भाई। लेखों के चिंतन की आभा से शोभायामान इस प्रस्तुति ने मन को आनंद से भर दिया। पिता पर लेख, करैंसी पर रोचक लेख तो सारगर्भित समीक्षा शानदार है वो भी काव्य रचनाओं के साथ। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं इस सुंदर प्रस्तुति के लिए🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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