“जिस तरह मैं जवानी भर इकबाल और रवींद्र के बीच झटके खाता रहा, उसी प्रकार मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं. इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का है. मेरा विश्वास है कि अंततोगत्वा यही रंग भारत के भविष्य का रंग होगा.”®रामधारी सिंह दिनकर
Padmasambhava Shrivastava
वर्तमान महामारी में, अगर गले में ख़राश और बुख़ार हो तो, तुरंत ये दवा शुरू करें। जाँच (सीटी स्कैन, आरटीपीसीआर) ये सब करते रहिए। पर, दवा शुरू करिए। देर ना हो जाए। आप सब से अनुरोध कि, दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर ना डालिए, बस अपने परिवार को बचाने में अपना दिमाग़ लगाइए। इन पर्चों को सभी को दें।
सब दिन एक समान नहीं रहता है ... आज चुनौती है हम एक दूसरे के साथ मजबूती के संग खड़े रहें इस काल में.. कल जीत या हार स्वीकार करेंगे...
बनके तू तूफान चल
एक नहीं, सौ बार नहीं
लाखों बार तू दोहराता जा
लड़ के अगर न जीत सका
तो डर के भी क्या पायेगा
सहारे अब हमारे
कॉपी और किताब
पाई पाई का रखे हैं
हर सुख दुःख का हिसाब
हिसाब करेंगे सबका
पर जी आज सोने दो
भर गया जी सुख दुःख से
थोड़ा थोड़ा खोने दो
हम अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से ये सुनते आयें है की
”जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ”
और हम में से कई लोग इसको मानते भी हैं और कई नहीं भी.
मगर जो लोग मानते हैं वो कई मायनों में ना मानने वालों से मानसिक रूप से संतुष्ट और खुश होते हैं.
ऐसा नहीं है की परेशानियाँ उन पर नहीं आती हैं या
उन्हें तकलीफ नहीं होती है मगर उनका विश्वास इस वाक्य पे होता है और विश्वास बड़ी चीज़ है.
आपको इसके लिए परिवार से कितना सहयोग मिलता है?
भरपूर सहयोग है परिवार का । मेरे परिवार को मुझ पर पूरा भरोसा है ।
मै इतनी दूर यहां जॉब कर रही हूं मंचों पर
कविता कह पा रही हूं ये मेरे परिवार का ही सहयोग है।
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पुन: भेंट होगी...
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बहुत ही सुंदर, उपयोगी, प्रेरक प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर लिंक।
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष
हटाएंहौसला बढ़ा
अत्यंत सुंदर व प्रेरक प्रस्तुति । आज की यह प्रस्तुति सदा सहेज कर रखने वाली और सदा स्मरण रखने वाली है , विशेष कर हम युवाओं और विद्यार्थियों के लिए । हर एक रचना बहुत ही सुंदर है और संघर्ष को जीवन का अंश मान कर, उससे ना हारने की प्रेरणा देती है । हार्दिक आभार इस नव-प्रेरणा से भरी हुई प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंश्रम सार्थक हुआ
विभा जी आज की प्रस्तुति सहेज ली है ।लिंक्स पर बाद में जाऊँगी । आज कुछ पढ़ने का मन नहीं ।
जवाब देंहटाएंसादर ।
समझ सकती हूँ दीदी
हटाएंआज मेरा मनोबल भी कमजोर पड़ा
सार्थक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पढ़कर बहुत आछ लगा आप हमारे वैबसाइट को भी वीसैट कर सकते हैं जहा से आप ITI के प्रश्न और परीक्षा दे सकते हैं https://www.ncvtonline.in/
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