आज की चर्चा लिखते हुए रह रह कर अपनी सहयोगी यशोदा का ध्यान आ रहा है ... बार बार बस प्रार्थना में हाथ उठ जाते हैं कि हे प्रभु ! यशोदा को शीघ्र स्वस्थ कर दो ... वैसे तो आज कल समय ऐसा है कि हर समय प्रभु से सबकी रक्षा और स्वास्थ्य की ही कामना करते रहते हैं .... अब तो मन होता है कबूतर की तरह आँख बंद कर बैठ जाएँ चुपचाप लेकिन उससे क्या होगा ? अब बस हम लोग स्वयं ही स्वयं का बचाव कर सकते हैं ... लापरवाह मत रहिये ... और जितना बचाव कर सकते हैं करिए ... यही कोरोना से आपकी रक्षा करेगा ..मैं जानती हूँ आज आप लोगों को थोड़ी निराशा होगी कि कुछ ख़ास नहीं है चर्चा में .... लेकिन वक़्त की नजाकत या आज के वक़्त का प्रकोप समझ ... चला लीजियेगा काम .
और समय से बड़ा कोई गुरु नहीं।
फिर भी हम आँखें मूँदकर
वास्तविकता से अंजान बने रहना चाहते हैं।
समय का चक्र,
एक पूरा चक्कर काटकर
फिर उसी जगह पहुँच जाता है।
बस केवल पात्र और स्थान बदल जाते हैं।
प्रेम का आनंद और विरह की वेदना
एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।
विरह की वेदना क्या होती है,
यह वही जानता है जो
किसी को हृदय की गहनता से प्रेम करता है ।
टटोलने पर मिलती नहीं,
चौराहे पर खड़ा वक़्त
राह भटका मुसाफ़िर-सा,
रात ज़िंदगी की अंधेरों में
भोर की किरणें टटोल ही लेगा...,
स्पर्श ...सिहरन
अनुक्रम तारतम्य का ,
चंचलता मन की ...
राग के अनुराग की
यही यात्रा तो जीवन है !!
बस आज इतना ही ..... आज की चर्चा के रचनाकारों की रचना से ही एक नयी
रचना का सृजन करने का प्रयास है ...
आज के हमारे रचना कार ........ ये हैं ....
अरे ..... क्या कहा आपने ????????? आपको लिंक नहीं मिल रहे .... तो
बड़े अक्षरों में लिखी पंक्तियों
पर चटका ( क्लिक ) लगाइए न :) :)
या फिर
चित्र पर ही क्लिक कर लीजिये ......
फिर मिलते हैं अगले सप्ताह ... कुछ नए लिंक्स ले कर ..... कुछ नए पुराने चिट्ठों के साथ ....
नमस्कार
संगीता स्वरुप .
यशोदा जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूँ !!
जवाब देंहटाएंआमीन
हटाएंएक से बढ़कर एक सुंदर रचनाओं का संकलन।आज पता चला कि यशोदा दी बीमार है,परमात्मा उन्हें यथाशीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे 🙏
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक सुंदर रचनाओं का संकलन।आज पता चला कि यशोदा दी बीमार है,परमात्मा उन्हें यथाशीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे 🙏
जवाब देंहटाएंशुक्रिया उषा जी ,
हटाएंदुआएँ ज़रूर कबूल होंगी ।
जी दी,
जवाब देंहटाएंप्रणाम।
पवित्र और विकल मन से किसी की सुख-शांति या स्वास्थ्य के लिए की गयी प्रार्थनाएँ सदैव शुद्ध आत्मिक भाव होते हैं जो सकारात्मक संवाद करते हैं अनदेखी शक्तियों से।
बेहतरीन समसामयिक परिस्थितियों पर विचार करती भूमिका सूत्र जोड़ने का यह सृजनात्मक माध्यम बहुत सराहनीय है।
सभी सूत्र सारगर्भित हैं इतिहास से बड़ी कोई पाठशाला नहीं में मानवीय व्यवहार पर सुंदर आलेख मिला,लुटता हुआ शहर में प्रभावशाली गज़ल,शाश्वत सत्य को रेखांकित करती में सुंदर विश्लेषण, अविराम साँसों की लय में भावनाओं का सुंदर प्रवाह...।
नये पुराने का संयोजन बेहतरीन है,
मेरी रचना इस सुंदर संकलन में शामिल करने के लिए बेहद आभार आपका दी।
प्रणाम
सादर।
अनदेखी शक्तियां सबका भला करें ।
हटाएंयह संयोजन अच्छा लगा , प्रसन्नता हुई, शुक्रिया ।
बहुत सुंदर संकलन। यशोदा जी जल्दी स्वस्थ होकर वापस आएं, यही ईश्वर से प्रार्थना है।
जवाब देंहटाएंआभार अनुराधा जी ।
हटाएंसर्वे संतु निरायमय:
जवाब देंहटाएंलिंक देने का अनोखा तरीका अच्छा है।
अनोखा तरीका पसंद करने का शुक्रिया।
हटाएंसारगर्भित नए पुराने लिंकों का चयन..लाजवाब है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पम्मी।
हटाएंसीमित किन्तु श्रेष्ठ रचनाओं को लेकर प्रशंसनीय संकलन किया है आपने संगीता जी। अभिनंदन एवं मेरे आलेख को स्थान देने हेतु हृदय से आपका आभार।
जवाब देंहटाएंजितेंद्र जी ,
हटाएंआपको संकलन पसंद आया । बहुत बहुत शुक्रिया ।
बहुत ही लाजवाब एवं श्रमसाध्य प्रस्तुतीकरण, अद्भुत लिंक संयोजन के साथ सभी रचनाएं बेहद उम्दा एवं पठनीय...। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि आदरणीया यशोदा जी शीघ्र स्वस्थ हों ।
शुक्रिया सुधा जी , आप सबकी टिप्पणियाँ सुकून का सबब बनती है ।
हटाएंसबकी प्रार्थना यशोदा जी को शीघ्र स्वस्थ करेंगी ।
सुंदर और हमेशा की तरह रोचक प्रस्तुति,कुछ नये रचनाकारों से परिचय भी हुआ,फुर्सत मिलते ही जाऊंगी उन रचनाओं का आनंद उठाने,सभी को हार्दिक शुभकामनायें। आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें यही कामना है। परमात्मा से प्रार्थना है -यशोदा दी को जल्द से जल्द स्वस्थ लाभ मिले और हमारे बीच वापस आये। सादर नमन सभी को
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी,
हटाएंआज की प्रस्तुति आपको रोचक लगी , तसल्ली हुई । ज़रूर आपको रचनाएँ पढ़ कर आनंद आएगा ।
सबके लिए की गई आपकी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाएगी ।
तहेदिल से शुक्रिया ।।
आदरनिया मैम, आपकी प्रस्तुति सद्य की तरह सुंदर और विविधतापूर्ण है और थोड़ी हट कर भी। इतिहास की पाठशाला सच में बहुत शिक्षाप्रद है, लुटता हुआ शहर आज की परिस्थिति का मार्मिक सत्य बताते हुए मन को भावुक कर गया । श्री सुमित्रानंदन पंत जी के बारे में जान कर अच्छा लगा और आदरणीय श्वेता मैम की रचना देख कर आनंद हुआ। अविराम सहवासों की लय जीवन-यात्रा का सुंदर वर्णन है । हार्दिक आभार इस विविधतापूर्ण प्रस्तुति के लिए । आदरनिया यशोदा मैम के लाइ ढेर सारी प्रार्थनाएं, वे जल्दी से जल्दी स्वस्थ हो जाएँ । ऐसे सब से पहली टिप्पणी उनकी होती थी, अभी उनके बिना बलीग सुना सा लग रहा है ।
जवाब देंहटाएंसद्य /सदा
हटाएंप्रिय अनंता ,
हटाएंतुम्हारी विस्तृत टिप्पणी हमेशा उत्साहवर्धन करती है । हर रचना को पढ़ कर अपने विचार देना चर्चाकार की मेहनत को सफल बनाता है ।
सबकी प्रार्थनाओं से जल्दी ही यशोदा की यहाँ सबसे पहली टिप्पणी पढ़ने को मिलेगी ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।
प्यारी दीदी, शीघ्र अच्छी हो जाएँगी आप। हम सब ईश्वर से आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीया संगीता दी, लिंक खोलकर देखे। अभी सब नहीं पढ़े परंतु पढूँगी जरूर। आपकी प्रस्तुति का अनोखा अंदाज बहुत भाया।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मीना , आप लोग सच ही कुछ करने की प्रेरणा देते हैं । सराहने के लिए शुक्रिया ।
हटाएंरचनाएं सभी सुन्दर पढ़कर अच्छा लगा। यशोदा जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए 'मां गौरी'
जवाब देंहटाएंसे प्रार्थना करती हूं।
शुक्रिया उर्मिला जी ।
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