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गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

2085...किसी की याद से कितना जुड़ी हैं दीवारें

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय दिगंबर नासवा जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है। 

 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें

चले भी आओ के दिल की खुली हैं दीवारें ...दिगंबर नासवा 

यहीं पे शाल टंगी थी यहाँ पे थी फोटो

किसी की याद से कितना जुड़ी हैं दीवारें

किसी ने बीज यहाँ बो दिए हैं नफरत के

सुना है शह्र में तबसे उगी हैं दीवारें


सब नवाब हैं बाबू!...अमृता तन्मय 


अब ये मत पूछिए कि खरा कौन है

अब ये मत पूछिए कि हरा कौन है

अब ये मत पूछिए कि भरा कौन है

अब ये मत पूछिए कि मरा कौन है


उलझनें...अनुराधा चौहान 'सुधी' 


भोर की किरणें सुहानी

गा रही हैं गीत अनुपम।

ओस के इन आँसुओं से

भीग किसलय झूमते नम।

सुन हृदय की भावनाएँ

बोल क्या फिर से सुला लूँ?

दीप मन के.....

 

दोहे...अनीता सुधीर 

अमरबेल के रूप में,इच्छाओं का वास।

जीवन भर पोषण लिया,बना मनुज को दास।।

शंकर जी को प्रिय लगे,बेल धतूरा खास।

दुग्ध धार अर्पित करें,पूरी करते आस।।


प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू... सुरेन्द्र शुक्ल 'भ्रमर'

कभी सींचती प्राण ओज वो

बिजली दुर्गा भी बन जाती

करुणा नेह गेह लक्ष्मी हे

कितने अगणित रूप दिखाती

प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू

प्रेम मूर्ति पर बलि बलि जाती

 *****


आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 


रवीन्द्र सिंह यादव 

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. कभी सींचती प्राण ओज वो
    बिजली दुर्गा भी बन जाती
    करुणा नेह गेह लक्ष्मी हे
    कितने अगणित रूप दिखाती
    प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू
    प्रेम मूर्ति पर बलि बलि जाती
    बेहतरीन..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी लिंक्स बेहतरीन लिए हैं ... अच्छी चर्चा ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  4. आनंद दायक सूत्रों का संयोजन और प्रस्तुतिकरण के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर लिंक हैं सभी .।.
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर शानदार लिंक्स का संयोजन तथा प्रस्तुति के लिए आपको सादर शुभकामनाएं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर एक से बढ़ एक रचनाएं , सभी काव्य मनीषी और साहित्यकार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, मेरी रचना ..प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू .. को भी आप ने शामिल किया, हार्दिक धन्यवाद आप का मित्र

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर एक से बढ़ एक रचनाएं , सभी काव्य मनीषी और साहित्यकार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, मेरी रचना ..प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू .. को भी आप ने शामिल किया, हार्दिक धन्यवाद आप का मित्र

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