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बुधवार, 17 जुलाई 2024

4189.. आना जी बादल ज़रूर..

 ।।उषा स्वस्ति।।


"झीलों के पानी खजूर हिलेंगे,
    खेतों में पानी बबूल,
पछुवा के हाथों में शाखें हिलेंगे,
पुरवा के हाथों में फूल,
    आना जी बादल ज़रूर !
धान तुलेंगे कि प्रान तुलेंगे,
 तुलेंगे हमारे खेत में,
आना जी बादल ज़रूर !!"
केदारनाथ सिंह
आव्हान सब के लिए...प्रकृति भी विरासत लिए तैयार कि अब तो जमीन पर बिखर जा...✍️

पुरवा जो डोल गई

पुरवा जो डोल गई 

घटा-घटा आँगन में 

जूड़े-सा खोल गई। 


बूँदों का लहरा दीवारों को चूम गया 

मेरा मन सावन की गलियों में झूम गया

श्याम रंग परियों से अंबर है घिरा हुआ

घर को फिर लौट चला बरसों का फिरा हुआ

मइया के मंदिर में-

डुग-डुग-डुग-डुग-

बधइया फिर बोल गई। 

✨️

तो क्या फेसबुक भी बंद हो जाएगा ??                               

ब्लॉग्गिंग के जमाने में एक शब्द बहुत प्रचलित हुआ था या किया गया था और फिर उस पर भारी बहस चली थी। 

वो शब्द था -घेटो। जी हाँ घेटो 

किसी भी बने हुए बड़े समूह , संस्था से जुड़े लोगों में से , सिर्फ कुछ गिने चुने लोगों द्वारा , जाने अनजाने आपसी संवाद और विमर्श का एक घोषित अघोषित सा बना या बन गया एक विशेष गुट।  

✨️

पोरूओं पर इंतज़ार

आठ प्रहर सी

आठ उंगलियाँ

उंगलियों पर 

चौबीस घण्टे से पौरवें

कुछ- कुछ उंगलियाँ..

✨️

दोस्तों के बीच

 दोस्तों के बीच 

जब आप कहेंगे कि 

देश में कम हो रहे रोजगार 

तो वे आपको तर्क देंगे कि 

सरकार बना रही है लोगों को निकम्मा 

अपनी योजनाओं के जरिए । 

✨️

खाली हाथ 



वक़्त का घूमता आईना सभी चेहरों को याद 

नहीं रखता, सुदूर पहाड़ियों में उठ रहा है

धुआं या बादलों की है चहलक़दमी,

दूरबीनों से हर एक सत्य नही

दिखता, हर एक मोड़ पर

हैं लिखे हुए गंतव्य के

ठिकाने, ताहम जिस ..

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

4 टिप्‍पणियां:

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