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शनिवार, 20 जुलाई 2024

4192 ..राष्ट्र के पिता पर्वत हैं तो माताएँ नदियाँ

 सादर नमस्कार

एक लम्बे अरसे के बाद
मैं दिग्विजय के नमन

सदा से इस
राष्ट्र के पिता पर्वत हैं
तो माताएँ नदियाँ
****
श्रद्धेय हरि ओम शरण


लगभग भुला दिए गए
प्रचार के अभाव मे नेपथ्य में
26 सितम्बर 1932 को लाहोर (तत्कालीन पंजाब) में जन्म और 
अवसान 75 वर्ष की आयु में 17 दिसंबर 2007 न्यूयार्क में
किसी ने कृपा की कि वे आवाज के माध्यम से आज भी जीवित है
एक भजन सुनिए

आपका दिन शुभ हो
रचनाओं पर एक नज़र



" कुछ नहीं .. बोलेंगे क्या भला ! .. एक "टेट्वैक" का और एक "रैबीवैक्स एस" का 
'इंजेक्शन' अभी दिए हैं .. बारी-बारी से दोनों बाजूओं में .. बाकी .. 
और भी पाँच 'एंटी रेबीज इंजेक्‍शन' लेनी है .. 
अलग-अलग दिनों के अंतराल पर .."




तभी उस कमरे के
सन्नाटे को चीर जाती हैं
दीवार पर लगी घड़ी
 संकेत देती हैं
प्रहर के गुजर जाने का।



ढूंढ रही वह अपना छौना
सूना है आकाश
तारे भी मद्धम दिखते हैं
चंदा हुआ उदास
सपने धूसर सब बेरंगे
कौन भला ये जाने
जिसकी पीड़ा वो ही भुगते
जग तो लगा भुलाने






"ओह दादी !  तेल लगाने से कुछ नहीं होगा । रुको !मैं मोबाइल में गूगल पर सर्च करता हूँ , यहाँ 'नानी दादी के नुस्खे'  में बहुत सारे घरेलू उपाय लिखे रहते हैं, उन्हें पढ़कर आपके  पैरों के दर्द को मिटाने का कोई अच्छा सा उपाय देखता हूँ और वही दवा बनाकर आपके पैरों में लगाउंगा", कहकर अक्षय पुनः मोबाइल में व्यस्त हो गया।




तुम्हारी मंजिल
यदि श्मशान घाट ही है
चाहे वह आज हो या
कुछ वर्षों बाद
तो क्या हासिल किया
एक रहस्य
जो अनाम है

आज बस इतना ही
कल मुलाकात होगी
देवी जी से
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा अंक
    हम नहीं आएंगे
    आभार
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "अच्छा अंक
      हम नहीं आएंगे
      आभार
      वंदन"
      आपको सादर नमन व वंदन भी .. पर .. आप कहाँ नहीं आने की बात बोल रहीं हैं भला सुबह-सुबह 🤔

      हटाएं
  2. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को अपने मंच की अपनी प्रस्तुति में शामिल करने के लिए ...🙏

    जवाब देंहटाएं

  3. शुभ प्रभात
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. लाजवाब प्रस्तुति सभी लिंक्स उम्दा एवं पठनीय ..मेरी लघुकथा को भी स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आदरणीय !
    कोटिश नमन श्रद्धेय हरि ओम शरण जी को...यहाँ तो जितना प्रचार उतनी ही प्रसिद्धि...। गुण दोष मायने नहीं रखते।

    जवाब देंहटाएं

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