सादर अभिवादन
लुट जाए न उठी राशि धन की,
धुल जाए न आन शुभानन की,
सारा जग रूठे रूठ जाए ।
उलटी गति सीधी हो न भले,
प्रति जन की दाल गले न गले,
टाले न बान यह कभी टले,
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
सादर अभिवादन
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सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना को "पांच लिंकों के आनन्द में" के इस गरिमामय में मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
इस अंक में संकलित सभी रचनाएँ बहुत ही उम्दा है सभी आदरणीय को बहुत बधाइयाँ ! !
सादर ।
बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंदेरी के लिए माफ़ी चाहती हूँ।
रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सादर