आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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किसी भी देश का विकास उस देश के युवाओं पर ही हमेशा से निर्भर करता रहा है। हम यह कह सकते हैं कि युवा ही राष्ट्र का संरचनात्मक और कार्यात्मक ढांचा है। प्रत्येक राष्ट्र की तरक्की का आधार उसकी युवा पीढ़ी होती है, जिसकी उपलब्धियों से उस राष्ट्र का विकास होता है।
किंतु,पुणे,नागपुर या मुबंई नाबालिग,बिगड़ैल, शराबी अमीरजादों के मँहगी,बेकाबू गाड़ियों से कुचलकर लोगों को मार डालना और आनन-फानन में जमानत हासिल करने जैसी दुस्साहस पूर्ण घटनाओं ने असंख्य सवालों को जन्म दिया है।
किशोरावस्था विकास की एक बहुत ही आत्म-केंद्रित अवस्था होती है क्योंकि युवा स्वप्नों के हिंडोले में अपनी स्वयं की जरूरतों में व्यस्त हो जाता है, और दूसरों की जरूरतों के प्रति उदासीन हो जाता है। पर यहाँ आश्चर्य तो इस बात पर है कि माता-पिता अपने किशोर नाबालिग बच्चे को शराब पीने की छूट दे रहे मँहगी गाड़ियों की चाभी पकड़ा रहे और तो और किसी की जान लेने पर शहजादों को छुड़ाने के लिए अपने पैसों और रूतबे का इस्तेमाल कर उनकी गलतियों पर उन्हें शह दे रहे!! ऐसे युवाओं का ख़ुद का भविष्य प्रश्नों के घेरे में ये देश का कैसा भविष्य बनेंगे आप ही समझ सकते हैं।पैसों के बल पर दुनिया को खरीदने का स्वप्न देखने वालेनाबालिगों को मासूम न समझे,जब अपराध करने में उनकी उम्र आड़े नहीं आयी तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए न और अपराधी बनाने के जिम्मेदार माता-पिता को भी दंडित किया जाने का कानून बनना चाहिए ताकि समाज को सकारात्मक संदेश मिले।
▪️ चोरों के कारण जेलें हैं, जेलर हैं, जेलों के लिए पुलिस भी है। कितने लोगों को काम मिलता है।
▪️ मोबाइल, लैपटॉप, कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साइकिल, वाहन जैसी कई उपयोग में आने वाली चीजें चोरी हो जाती हैं तो लोग नई खरीद लेते हैं, इस खरीद फरोख्त से देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है और कितने लोगों को काम मिलता है।
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अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंधारदार अग्रालेख
राजनीतिक दलों को चंदा
इन्हीं बिगड़ैल शहजादों के
परिवार से ही मिलता है
आभार
सादर वंदन
सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंसशक्त भूमिका बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रयास। बड़े बाप के बिगड़ैल बच्चों पर बहुत सही लिखा है। इसमें मां बाप भी उतने ही अपराधी हैं जितने बच्चे।
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता, एक अरसे बाद अपनी रचना को अपने प्रिय मंच पर देखकर मन आहलादित् है! ब्लॉग से इतने दिन दूर रहकर कुछ लिखा नही गया! पर ब्लॉग के जन्मदिवस पर अपने पाठकों का आभार किये बिना रह न सकी! पाँच लिंक मंच को नमन करते हुए अपने सभी स्नेही पाठकों को प्रणाम करती हूँ जिनमे प्यार और प्रोत्साहन ने लेखन में रंग भरे?! और तुम्हारी भूमिका मानो मेरे ही अंतरमन के प्रश्न हैं! आज के युवाओं को लापरवाही की परवरिश देने वाले माता_ पिता निश्चित रूप से दोषी हैं! गुरुकुल परम्परा के देश में इन सिरफिरे दबंग युवाओं पर लगाम कसने का प्रभावी कदम बहुत जरूरी है! अन्यथा इनके बेलगाम रथ के नीचे न जाने कितने निर्दोष लोग कुचले जायेंगे! आज की रचनाएँ अच्छी लगी! रश्मि जी का लेख बहुत अच्छा लगा! निश्चित रूप से अभी हाल के समय में न किताबें बचने की उम्मीद है ना गाँव का देहातीपन के बचने की! पर एक उम्मीद मन में जरूर है कि औद्योगीकरण और प्रदूषण के सताये लोग गाँव की और लौटेंगे जरूर! सभी को मेरी शुभकामनाएं और आभार! तुम्हें भी मेरा प्यार और आभार ❤❤🌺🌺
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने परन्तु इन बिगड़ैल अमीरजादों तक पहुँचने के लिए तो कानून के हाथ छोटे पड़ जाते है ,फिर सजा कैसे मिलनी इन्हें...
जवाब देंहटाएंविचारणीय भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति। सभी लिंक बेहद उत्कृष्ट ।