निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 7 अगस्त 2023

3842 ..हवाओं पे नज़र रखना

 सादर अभिवादन

जब आग से खेलो
तो हवाओं पे
नज़र रखना
कहीं ऐसा न हो
कि हवाएँ
रुख़ बदल दें 
और तुम खुद ही
उनकी ज़द में आ जाओ

अब रचनाएं देखें .....


मित्रता के पृष्ठ में जुड़तीं रहीं नव पंक्तियां
याद करके खिलखलाने का मजा कुछ और है।

चार दिन की जिंदगी में रौनकें हैं आपसे
साथ में जीवन बिताने का मजा कुछ और है।।




कल भी तमाम शाम इक मजमा लगा रहा
अब आ रहा है कोई और कोई जा रहा !

था जिसपे एतमाद हमें रब से भी ज्यादह  
वह शख्स एतबार के काबिल नहीं रहा !



अभी कोई हलचल नहीं है पानी में,
अभी मत डालो नाव पानी में.

वह मेरे साथ था भी और नहीं भी,
मैंने फेंक दी थी बात पानी में.

क्यों किसी से लड़ना,किसलिए झगड़ना,
देख रहा हूँ मैं अपनी राख पानी में.



द्वारपाल    पूँछहि    सुदामा,
कहाँ से  आये  तुम भिखारी।
यह  कान्हा  की  द्वारिकापुरी,
भिखारी  नाही  कोई  नगरी।।

इस  नगरी   में  सभी  सुखी  हैं,
कभी  न   होती  मृत्यु  अकाल।
सब को मिले वस्त्र अरु भोजन,
दूध  दही   मिलता  सब  काल।।




टूटने  का  डर न होता शीशों  को वीर,
पत्थरों  में  थोड़ा दर्द  रह  गया होता।

लौटना होता  है परवाज़ से परिंदों को
आसमान ऊंचाई देता है घर नहीं देता।

आज बस इतना ही
कल फिर
सादर



7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को आज की हलचल में शामिल करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...