आज की अतिथि चर्चाकार हैं
आदरणीया सुधा देवरानी जी
बात सिर्फ नज़रिए की है
कौन किस नज़रिए से क्या कहता है ,करता है
कौन किस नज़रिए से उसे सुनता,और देखता है
और इन सबके बीच
एक तीसरा नज़रिया
उसे क्या से क्या प्रस्तुत कर देता है,
जाने क्या मायने रखता है सबके लिए !!!
जी ,सही कहा सबका अपना-अपना नजरिया है । फिर भी एक प्रश्न तो बनता ही है न कि
स्वयं का ही संहार कर
क्या चाहते हो मानव ?
इस सृष्टि का विनाश कर ।
रोकने से भी कहाँ रुक रहा है कोई । सृष्टि की परवाह किये बगैर मनमानी करता मनुष्य आज सृष्टि के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं।यही तो है
और व्यथा से घट झरा है
वेदना की दामिनी से
शूल का भाथा भरा है
नित सुलगती ताप झेले
अध जली काठी जली जो।।
अरे ! विश्व की तो क्या यहाँ तो घर की समस्याएं सुलझाना मुश्किल है। आइये
नई झाड़ू के उपर की पॉलिथीन हटाकर झाड़ू को फर्श पर रखे। मोटी पुरानी कंघी से जैसे हम बालों को सुलझाते है ठीक वैसे ही झाड़ू को सुलझाए। झाड़ू को पलट-पलट कर सभी ओर से सुलझाए। ऐसा करने से झाड़ू का पूरा भूसा निकल जाएगा।
और अंत में में एक अनुरोध प्रिय श्वेता जी से कि
*एक थी सोमवारी* के बाद अन्य छःवारी एवं हम इंतजार में बैठे हैं कि कब आयेगी अगली कहानी की बारी।
वो फिर एक बार और आयी बस जाने किस संकोच में वो नहीं आती थी। एक दिन अचानक उसी रस्ते पर मिली मैं तो पहचान नहीं पायी , वो खुश लग रही थी, आज चटख गुलाबी दुपट्टा कंधे पर डाला हुआ था उसने।आँखों में काजल की महीन रेखा , बालों को खोला हुआ था घुँघराले बालों की लट उसके होठ़ो को चूम रहे थे। हाथों की लाल हरी और सुनहरी चुडि़यों की मोहक खनक बार बार लुभा रहे थे। मैंने कहा क्या बात है बहुत सुंदर लग रही हो तो वो खिलखिला पड़ी ।तांबई गालों पे लाली छा गयी , शरमाते हुये पैर के अँगूठे से मिट्टी कुरदने लगी फिर हँसकर भाग गयी।
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और अब अंत में एक सच भी बता ही देती हूँ कि नकल करने की बहुत कोशिश की, पर किसी ने सच ही कहा है कि नकल के लिए भी अकल चाहिए होती है।
धन्यवाद सहित क्षमाप्रार्थी--सुधा देवरानी🙏🙏
वाह,! बहुत सुंदर। किसी भी नजरिए से ऐसे सुंदर नजराने को नजर न लगे। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी ! नजरिये को नजराना बनाने हेतु ।
हटाएंशानदार पसंद,
जवाब देंहटाएंस्तरीय रचनाओं का जखीरा
आभार
कौन कहता है कि
आसमान मे सुराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से
उछालों यारों
ब्लॉगिंग मर गई
ये सब कहते हैं
और दौड़ पड़ते है फेसबुक की और
सबके मायने हैं
ब्लॉग गाऊन पहन कर लिख सकते हैं
और फेसबुक मे लिखने के लिए
ब्यूची (ब्यूटी) पार्लर जाना पड़ता है
सादर
ब्लॉग गाऊन पहन कर लिख सकते हैं
हटाएंऔर फेसबुक मे लिखने के लिए
ब्यूची (ब्यूटी) पार्लर जाना पड़ता है
वाह!!!!
क्या बात ...
एक और नजरिया वह भी एकदम सटीक।
सादर आभार एवं धन्यवाद आपका ।
ब्लॉग गाऊन पहन कर लिख सकते हैं
हटाएंऔर फेसबुक मे लिखने के लिए
ब्यूची (ब्यूटी) पार्लर जाना पड़ता है//
👌🙂
इस फेसबुक ने सृजन को बहुत हल्का बना दिया।कितना अच्छा था अपना छोटा सा संसार गूगल प्लस!! हूक सी उठ ती है आज भी याद करके।☹
क्षमाप्रार्थी क्यों?
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जी , आपने कह दिया तो लग रहा जैसे पास हो गयी ।
हटाएंदिल से धन्यवाद आपका ।
वैसे सब प्रिय श्वेता जी के सहयोग से ही सम्पन्न हो पाया । वरनाकहा न नकल के लिए भी अकल चाहिए
अत्यंत आभार आपका ।
अच्छे लिंक्स के साथ आपकी हलचल …
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद एवं आभार नासवा जी !
हटाएंआप आये तो वाकई हलचल आ ही गई।
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सखी
जवाब देंहटाएंआभार है "पांच लिंकों के आनंद का" जो उन्होंने हमें यहां आकर प्रस्तुति देने का अवसर दिया।
जी , सखी सही कहा आपने ...
हटाएंआभार है इस मंच का और यहाँ जुड़े सभी प्रतिष्ठित चर्चाकारों का जो हमें समय समय पर प्रोत्साहित करने के साथ इस तरह के अवसर देकर कुछ सिखाते हैंवह भी सम्पूर्ण सहयोग से ।
आपका भी दिल से धन्यवाद एवं आभार ।
जी, सखी सही कहा आपने...
हटाएंआभार हैं इस मंच का एवं मंच से जुड़े सभी सम्मानित चर्चाकारों का जो हमें समय-समय पर प्रोत्साहित करने के साथसीखने के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं वह भी पूर्ण सहयोग से ।
दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
वाह सुधा जी! आपकी बहुमुखी प्रतिभा की कायल हूँ मैं उस में एक कड़ी यह भी अभिनव सुंदर प्रस्तुति सुंदर व्याख्यात्मक टिप्पणियां ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी पीर भरी व्यंजनाओं को आपने इस विशेष प्रस्तुति में स्थान दिया हृदय से आभार आपका।
बहुत शानदार जानदार प्रस्तुति।
सादर सस्नेह।
दिल से धन्यवाद आ.कुसुम जी ! आपकी सराहना पाकर अभिभूत हूँ ।
हटाएंसादर आभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.कविता जी !
हटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.कविता जी !
हटाएंबहुत अच्छी हलचल...स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसादर।
तहेदिल से धन्यवाद आ.पम्मी जी ! बेटे की शादी की आपको अनंत शुभकामनाएं।
हटाएंसादर आभार ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंलिंक्स पर जाकर पढ़ती हूँ ! बधाई सुधा जी !
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी !
हटाएंप्रिय सुधा ,
जवाब देंहटाएंलीजिए आप यहाँ व्यस्त थीं और हम अपनी प्रस्तुति पर आपका इंतजार करते रहे 😄😄😄 ।
वैसे नकल के लिए अकल की बात समझ से परे है कि यहाँ क्यों कहा गया ।
लिंक्स के साथ आपकी संक्षिप्त टिप्पणियाँ गज़ब ढ़ा रही हैं ।
अभी सारी रचनाएँ पढ़नी बाकी हैं , लेकिन स्वयं की रचना देख कर सुखद अनुभूति हुई । ऑरकुट के ज़माने की लिखी रचना पुरानी स्मृतियों में ले गयी । तब तक ब्लॉग का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था । जब ब्लॉग बनाया तो ऑरकुट से सारी कविताएँ ब्लॉग पर पोस्ट कीं । हार्दिक धन्यवाद । यूँ ही शिरकत करते रहिए , अच्छा लगता है ।
पढ़ आये सब और हस्ताक्षर भी कर आये । बेहतरीन चयन ।
हटाएंन , न यहाँ नहीं हम वहीं अटके थे 😃मौन तक ही पढ़ पाये और मौन हो गये ..आज आगे बढ़े तो जाना कि ज्यादा मौन भी ठीक नहीं ...अब नकल की बात करके आप तो हमसे सच उगलवा रहे ।आप ही नकल करना चाह रहे थे प्रस्तुति बनाने में ...पर अकल ने साथ नहीं दिया।वैसे आपने हमें पास तो कर ही दिया फिर क्या फिकर। बस दिल से धन्यवाद ।और हाँ बड़ी मुश्किल से आपकी पुरानी रचनाओं पर पहुँचना आया तो बस पढ़ते ही रह गये आपको ।हाँ टिप्पणी नहीं की निःशब्द थे बस ये उठा लाये ।
हटाएंसादर आभार आपका 🙏🙏🙏🙏
आपकी ही *
हटाएं😄😄 कभी कभी मौन भी खतरनाक हो जाता है । लेकिन मौन के समय आत्म मंथन अच्छा होता है । यूँ मुझे मालूम था कि भले ही आपने हस्ताक्षर न किये हों लेकिन प्रस्तुति पढ़ ज़रूर रही होंगी । शुक्रिया ।
हटाएंजी,पढ़ रहे थे प्रस्तुति भी और आपके ब्लॉग पर आपकी पुरानी रचनाएं भी।भला हो ऑरकुट का जो बंद हो गया । वरना हम यहाँ आप वहाँ....वैसे ये आपको मालूम था यही मेरी खुशनसीबी है ।इसके लिए दिल से शुक्रिया आभार ।
हटाएंसादर प्रणाम🙏🙏
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुधा देवरानी जी ..आपकी लेखनी की प्रतिभा बेजोड़ है ..आपकी संकलन तार्किकता अनमोल ...
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार रितु जी !हलचल पर आपकी हलचल से अभिभूत हूँ ।
हटाएंशायद कल फिर आप आ रही हैं
जवाब देंहटाएंआते-जाते रहने से मन व्यस्त रहता है
पम्मी जी से सुबह बात हुई थी
बेटी की शादी के बाद की थकन मिट जाती है
बेटे की शादी के बाद महीनों तक थकन बनी रहती है
आपसे गुज़ारिश
स्वस्थ रहिए मस्त रहिए
सादर....
हार्दिक धन्यवाद आ. सर ! मैं तो सोच में ही पड़ गयी कि कल मैं आ रही हूँ पर कैसे...🤔 तभी ब्लॉग पर देखा तो समझ आया कि आने के भी कितने तरीके हैं । सादर आभार एवं प्रणाम आपको ।एक निवेदन -गुजारिश की जगह आशीष पाया होता तो स्वस्थ और मस्त रहने की बात ही अलग होती ।🙏🙏🙏
हटाएंवाह!सुधा जी ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद एवं आभार शुभा जी !
हटाएंबहुत खूब सुधा जी, आज आपका ये रुप भी देखने को मिला।सारी रचनाएं एक से बढ़कर एक है मगर श्वेता जी की सोमवारी ने मन को एक बार फिर से उदास कर दिया, आज भी सोमवारी जैसी लड़कियां है समाज में। आज की प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई,🙏
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी !बस आप सभी से सीखने का प्रयास किया है ।वह भी श्वेता जी की मदद से ।
हटाएंप्रिय सुधा दी,
जवाब देंहटाएंआज का अंक पढ़कर कोई कह नहीं सकता कि आपने पहली बार कोई प्रस्तुति बनायी है।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी है।
अत्यंत सुगढ़ लेखनी है आपकी, संक्षिप्त शब्दों में सभी रचनाओं के लिए लिखे आपके विचार स्पष्ट एवं प्रभावशाली हैं।
आपका अत्यंत आभार आपने यशोदा दी का निवेदन स्वीकार किया।
जी सुधा दी, जब भी समय हो कृपया समय-समय पर आती रहें।
और.दी आपका बहुत बहुत आभार आपने मेरी कहानी को इस सुंदर अंक में स्थान दिया,आपके स्नेहिल अनुग्रह पर अवश्य ध्यान देंगे।
सस्नेह प्रणाम
सादर।
प्रिय श्वेता ये आपकी विशेष खासियत और खास बड़प्पन है इस तरह सम्पूर्ण सहयोग के साथ प्रोत्साहन भी । जो मुझे तो आपसे यदा कदा मिलता ही रहा है ।आज की प्रस्तुति का सारा श्रेय आप ही को जाता है । आपकी लेखनी की कायल हूँ मैं ।और इस कहानी को जब से पढ़ा तब से कभी भूल नहीं पायी इसीलिए अनुरोध किया है आपसे।
हटाएंपुनः दिल से धन्यवाद आपका ।
एक चर्चाकारः के रूप में प्रतिष्ठित पाँच लिंक मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है प्रिय सुधा जी। भावपूर्ण रचनाओं के साथ ये उत्तम प्रस्तुति समस्त पाठक वर्ग के लिये विशेष है। आपकी सधी पाठक दृष्टि ने शानदार रचनाओं का चयन कर उनकी सुन्दर समीक्षा की है।आपकी सधी और उत्साहवर्द्धक समीक्षा का पूरा ब्लॉग जगत कायल है। सच ये है कि इस मंच पर प्रस्तुति के लिए उपस्थित होना अपने आप में बहुत बड़ा सम्मान है। आपका नजरिया एक सुन्दर नजराना है हम सब के लिए।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।सभी सम्मिलित रचनाकारों को सादर नमन 🙏❤
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय रेणु जी !आप आये तो सचमुच नजरिया बदलकर नजराना हो गया । मैंने तो बस आप सभी का अनुसरण करने की कोशिश की ये सब तो श्वेता जी का सहयोग एवं आप सभी का प्रोत्साहन है ।
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया दिल से ।
सुधा दी, सर्वप्रथम तो मैं इस मंच पर चर्चाकार के रूप में आपकी उपस्थिति की आपको बहुत बहुत बधाई देती हूं। आपने सभी ब्लॉग लिंको की बहुत बढ़िया समीक्षा करके प्रस्तुति दी है। फिर से बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी स्पैम में चली गई थी। मेरे बेटे की शादी 26 जनवरी को होने से मैं थोड़ी व्यस्त हूं। इसलिए स्पैम नही चेक कर पाई थी। इसलिए क्षमापार्थी हूं।
मेरी रचना को पांच लिंको का आनद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद दी।