चमकती सफेद चाँदी
के रंग में या फिर
स्वर्ण की चमक से
ढले हुऐ हिमालय
कवि सुमित्रानंदन की
तरह सोच भी बने
क्या जाता है
सोच लेने में
वरना दुनियाँ ने
कौन सी सहनी है
हँसी मुस्कुराहट
किसी के चेहरे की
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति और संकलन, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआभार दिग्विजय जी |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर , सादर प्रणाम । आज की प्रस्तुति विविध रचनाओं से परिपूर्ण अत्यंत सुंदर लगी । हर एक रचना अत्यंत भावपूर्ण , मन को कोई न कोई संदेश देती हुई और मानवता और प्रेम की ओर अग्रसर करती हुई है । आदरणीया अपर्णा मैम की लघुकथा "रामा " विशेष रूप से हृदय को स्पर्श कर गई । पूरे संसार के लिए माँ जैसी ममता रखने वाली गौमाता की व्यथा और मानव की क्रूरता और उदारता, दोनों का ही सुंदर चित्रण और कहानी का सुखांत होना, सब कुछ ही अत्यंत सुंदर और आनंदकारी लगा । आदरणीया वर्षा मैम की यह सुंदर आध्यात्मिक रचना देख कर मन विह्वल हो गया । भगवान जी ने उन्हें अपने पास बुला कर , उन्हें सभी पीड़ा से मुक्ति दे दी ,उसी तरह जैसा उन्हों ने अपनी रचना में लीखा है । वे अपनी रचनाओं में सदैव अमर रहेंगी । आप सबों को एक बार पुनः प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सरस रचनाओं से सज्जित अंक ।
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ एक भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार आपका।वर्षा जी को आजके अंक में देखकर आँखें नम हो गई।जिस समय उन्होने जीवन दर्शन की ये रचना लिखी होगी उन्हें आभास भी नहीं हुआ होगा कि उनका जीवन कविता के दर्शन की भाँति होने वाला है।उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन।अपने सृजन में वे सदा रहेंगी।सभी भावपूर्ण रच्ग्नाओं के रचनाकारो हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
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