।। उषा स्वस्ति।।
बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
रूहे-तामीर ज़ख़्म खाती है
खेत अपने जलें या औरों के
ज़ीस्त फ़ाक़ों से तिलमिलाती है।
इसलिए ऐ शरीफ इंसानो
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप और हम सभी के आँगन में
शमा जलती रहे तो बेहतर है।
साहिर लुधियानवी
बड़ी मुश्किल से रेमडेसीवीर,फेवीपीरावीर,डेल्टा,ओमिक्रोन भूलने की कोशिश किए थे कि व्लादिमीर पुतिन,वोलदामेर जेलेन्सकी और युद्धों कीमत भी...मतलब कि हम सब ऐसे ही झूलते रहेंगे...लिजिए इसी पेशोपेश में भी बुधवारीय प्रस्तुति✍️
इश्क़ का सबक
बहुत ही मुश्किल होता है...
आज, 08 मार्च 2022 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया, घर से लेकर ऑफिस, बाजार से लेकर खेल के मैदान सब जगह शुभेच्छाएँ बिखरी हुई हैं।
महिला दिवस की शुभकामनाएँ उन बेटियों को जो माता-पिता के लाड़-प्यार की छाँव में जीवन
कश्मीर फ़ाइल्स
विरोध के लिये विरोध करना दुष्टों का स्वभाव है, इसका सामना किया जा सकता है किंतु सांस्कृतिक धरोहर एवं भारतीय सभ्यता को नष्ट करने के लिये विरोध करना भारतीय लोकतंत्र के लिये सर्वाधिक घातक प्रवृत्ति है । विरोध ही नहीं, हम तो सातवीं शताब्दी से सांस्कृतिक आक्रमण का असफल सामना करते हुये कुछ न कुछ खोते भी आ रहे हैं ।
अश्वत्थामा
युद्ध पहले भी होते आए हैं
आगे भी होते रहेंगे,
फर्क इतना है कि
पहले होते थे युद्ध देवों और दानवों में
अथवा मानवों और दानवों में।
आप और हम सभी के आँगन में
जवाब देंहटाएंशमा जलती रहे तो बेहतर है।
बेहतरीन अंक..
आभार
सादर..
बहुत सुंदर लिंक्स।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संतुलित एवं सधी हुई प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअंक का आगाज़ करती साहिर लुधियानवी जी की पंक्तियाँ बेहद प्रभावी हैं आज के युद्ध के माहौल में।
सादर आभार मेरी रचना को अंक में स्थान देने हेतु।
बहुत सुंदर लिंक आदरनीय । बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, सराहनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंAti Sundar 🙏🙏
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