सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
भीड़ के साथ चलना
विवशता
हो सकती है
किसी की,
मेरी नहीं!
सत्ता से यारी
हो सकती है
किसी की;
मेरी कदापि नहीं!
मुझे तो
'एकला चलो' की अनुगूँज
आनन्दित करती रही है,
मेरे लिए तो
कंटकाकीर्ण पथ ही सही है।
-रवीन्द्र सिंह यादव
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
शहीद दिवस पर विशेष क्यों है आज का दिन भारत के लिए खास
23 मार्च 1931 मां भारती के लाल वंदे मातरम का नारा लगाते लगाते एवं हंसते हंसते मातृभूमि की रक्षा हितार्थ में फांसी के फंदे से झूल गए । जिनमें भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया और युवा बहुत ज्यादा फॉलो करते थे इन्होंने महात्मा गांधी से अलग हटकर बहुत ही कम समय में युवाओं के बीच एक जगह बनाई और देश के आजादी की लड़ाई लड़ी अंग्रेजी शासन घबरा गए घर में देशभर में उग्र प्रदर्शन किया और बहुत ही कम उम्र में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
लिए ओट तू छिप जाता
राज यह मैंने जाना ,
पूर्व मिलन से योग्य बनूँ
मक़सद तेरा पहचाना !
और
ज़िन्दगी है वही,
इक बूंद की कहानी,
समेटता हूँ मैं,
नाहक ही हथेलियोंपर,
गिरते हुए उच्च जल प्रपात
का चंचल पानी,
पल्लवी फूटी है
विवेक-विटप-से
अनुपम पिटारे से
भानुमति के इस्स!
ईशोपनिषद के
अमिय वाक्य!
सर्किल पर गाड़ी से उतर कर जैसे ही माँ - बेटे स्कूल
की तरफ बढ़ ही रहे थे कि सामने से आते साँड को भागते देख
कर घबराहट और अफ़रातफ़री ऋतु के हाथ से आदि का हाथ
छूट गया । दौड़ती ऋतु ने आदि को स्कूल के गेट की तरफ भागते देखा जो बच्चों और पेरेंटस की भीड़ में घुस चुका था मगर डर
और घबराहट से उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ रही थी ।
घर से आंगन खत्म हुये, बैठकें खत्म दुआरों से
मिलना-जुलना खत्म हुआ,मोबाइल के आने पर
इतराते हैं वो तो इसमें, नहीं ख़ता ज़रा उनकी
नजाकत आ ही जाती है, हुश्न के आ जाने पर
*****
इस प्रस्तुति में विशेष सहयोग के लिए आदरणीया यशोदा बहन जी का सादर आभार।
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
व्वाहहहह
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
आभार आपका
सादर..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को मंच पर साझा करने के लिए आपका सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंपाँच रचनाओं के लिंक्स का सुंदर गुलदस्ता बनाकर प्रस्तुत किया है आज के अंक में आपने, बधाई और आभार!
जवाब देंहटाएंवाह!सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति का आभार। कुछ बातें साझा कर लूँ:
जवाब देंहटाएं“भगत सिंह की फांसी को आजीवन कारावास में बदलने को लेकर अब भी भारत के इतिहासकार खुलकर अपनी बात नहीं कहते। गांधीजी पर यह भार दिया गया था और लोग गांधी से आशा भी करते थे कि वे वायसराय के साथ होनेवाली बैठक में इन चीजों को उठाएं। रिचर्ड एटनब्रो की फिल्म में इसे दिखाया भी गया। गांधी ने वायसराय से एक लाईन में बातचीत किया, नतीजा क्या निकलना था। भगत सिंह को फांसी की सजा बरकरार रखी गई। लेकिन इतिहास रोंगटे खड़ा करनेवाला है। नेशनल आरकाईव्स में रखी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद हर कोई व्यक्ति इतिहास के सभी पन्नों को पढ़ना चाहेगा। कांग्रेस का अधिवेशन होनेवाला था और इसमें गांधीजी को भी भाग लेना था। गांधी ने वायसराय को संदेश दिया कि यदि भगत सिंह को फांसी होना ही है तो फिर पहले ही हो जाए ताकि कांग्रेस का अधिवेशन आराम से हो सके अन्यथा सभी लोग भगत सिंह की ही चर्चा करेंगे। भगत सिंह को फांसी तो हुई परन्तु सिर्फ एक दिन पहले। गांधी कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेने के लिए भी गए। परन्तु गांधी के प्रति लोगों में जबर्दस्त नफरत फैल चुकी थी। लोग गांधी को सबक सिखाने के लिए हाथों में डंडे और तलवार लेकर बैठे हुए थे। सरकार एवं गांधी को सारी चीजों की जानकारी मिल गई। गांधी ने भगत सिंह के पिता किशन सिंह से शरण मांगी और वे गांधी को लेकर कांग्रेस के मंच तक पहुंचे। अब किसकी हिम्मत की गांधी को कुछ कह पाए। इससे पहले अधिवेशन स्थल से बीस मील दूर ही गांधी को ट्रेन से उतार लिया गया था ताकि उन पर कोई आफत नहीं आए। यदि इतिहास पलट कर देखी जाए तो गांधी और भगत सिंह में कोई तुलना ही नहीं हो सकती है। गांधी की अलग राह थी और भगत सिंह की अलग राह थी।“
साभार – गांधीवादी इतिहासकार श्री भैरव लाल दास
और अंत में -
शब्दशिल्पी!
छोड़ो गढ़ना शब्दों को!
भावनाओं को सहेजो नहीं
अब समेटो और निकलो,
सियासत की गंदी गलियों से।
छोड़ो पाखंड सत्ता बदलने की,
अब एक काम करो,
जनता को ही बदल डालो!
भीड़ के साथ चलना
जवाब देंहटाएंविवशता
हो सकती है
किसी की,
मेरी नहीं!
मुझे तो
'एकला चलो' की अनुगूँज
आनन्दित करती रही है,
मेरे लिए तो
कंटकाकीर्ण पथ ही सही है
.... बहुत सही, ऐसे ही तो होना चाहिए
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
बहुत ही सुंदर विविध रचनाओं से सजी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय और पठनीय संकलन ।
बहुत आभार आपका ।
बHउत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी
जवाब देंहटाएंएक्टिव लाइफ की पोस्ट को साझा करने के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार
Thank you for sharing very informative information. thanks.
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