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बुधवार, 2 मार्च 2022

3320 ..कई दिन के सन्नाटे के बाद .... उलूक टाईम्स

 सादर अभिवादन

सोची थी नहीं आऊँगी
पर सखी भी न
एक सप्ताह और लगा दीजिए कहा
मुझे भी आनन्द ही आता है
देखिए रचनाएँ ....



"मैंने सभी प्रकार के मुख्य शल्य क्रिया का शुल्क एक कर देने का निर्णय लिया है। इससे समाज में यह सन्देश जायेगा कि हमारे अस्पताल में प्रसव से धन उगाही के उद्देश्य से शल्य क्रिया नहीं की जाती। मेरे इस निर्णय से आपलोग भी सहमत होंगे,  ऐसी उम्मीद करता हूँ।" 
अस्पताल के प्रबंधक ने अपनी मंडली के सम्मुख कहा।




पता नहीं
कब समझ में आयेगा
उल्लू के पट्ठे ‘उलूक’ को

आदतन कुछ भी नहीं लिखे हुऐ को
खींच तान कर हमेशा
कुछ बन ही जायेगा
की समझ लिये हुऐ बेशरम

कई दिनों के सन्नाटे से भी
निकलते हुऐ
भौंपूँ बजाने से बाज नहीं आता है।




सजा भस्म आसन पर बैठे
शंकर शंभू कैलाशी।
तीन लोक के पालनहारी
अजर अमर अविनाशी।
शीश गंग पर सदा विराजे
पहने मृगछाला चोला।
गौरा जी से ब्याह....




उन हथकड़ियों ने धीरे से  
कब अपनी जगह बनाली
चूड़ियों खन खन बोलतीं
अपनी उपस्थिति दर्ज करातीं |




खग औ बिहग सबै केउ ब्याकुल
देस बिदेस हर एक कुनबा कुल
अइसा जुद्ध जे छेड़े बिदेसी
हमरी आँख भर आई ।।

नान्हें नान्हें लड़िका धुआँ सने हैं
घर फुलवरिया जले पड़े हैं
मर्द मेहरुआ सब मरि कटि जाएँ
ऐसी मिसाइलि चलाई ।।


आज बस
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सार्थक लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
    पठनीय सामग्री।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  3. विविध रचनाओं से सजा सुंदर सराहनीय संकलन। मेरे गीत को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार । आपके श्रम साध्य कार्य को मेरा नमन और वंदन । हार्दिक शुभकामनाएं💐👏

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन संकलन।मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    मेरी रचना को पांच लिंकों का आनन्द में स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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