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गुरुवार, 3 मार्च 2022

3321...मैं बीज भी तो नहीं जो अंकुरित होकर धान की बालियाँ बने...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया श्वेता सिन्हा जी की रचना से।  

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।

विशेष!

पढ़िए सालभर पूर्व रचित एक लोकप्रिय रचना-

हे प्रकृति...

तीख़ी धूप की झुलसन से
रेत पर पड़ी मछलियों की भाँति
छटपटाने लगती हूँ
किसानों की तरह जीवट नहीं
ऋतुओं की तीक्ष्णता सह नहीं पाती
मैं बीज भी तो नहीं
जो अंकुरित होकर
धान की बालियाँ बने

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

नव रसों का मेह कविता

वीर या श्रृंगार करुणा

नव रसो का मेह छलका

रूप कितने ही हैं इसके

ताल में ज्यों चाँद झलका

कंटकों सी ले चुभन तो

रात रानी बन लहकती।।

हिसाब कुछ लम्हों का...

 
नहीं सहेजना जख्मी यादें

सांसों की कच्ची-पक्की बुग्नी में

 काट देना उम्र से वो टुकड़े

जहाँ गढ़ी हो दर्द की नुकीली कीलें

और निकलने वाले काँटों का गहरा एहसास

रिश्तों की बुनियाद

रिश्तों की नव बुनियादों को

मूल्यों से ही वंचित रक्खा

रिश्तों ने हमको छोड़ जहाँ का

स्वाद अधिक चाहा चक्खा

हम लगते उनको मरूभूमि

वो हरियाली के प्यासे हैं ।।

हिन्दीहिंदुस्तानीहिन्दी दिवस

कई लोग तो मानने को भी तैयार ही नहीं हैं कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है संविधान में यह शब्द है ही नहीं।  बहुत लोग व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर  हिंदी भाषी लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा ही मानते है। भले ही यह संवैधानिक तौर पर लागू हो लोग मानते हैं कि संविधान में स्वतंत्रता के बाद के लिए किए गए प्रावधानों में यह लिखा जाना कि अगले 15 वर्षों तक अंग्रेजी राजभाषा (संपर्क भाषा) के रूप में चलती रहेगी का मतलब हुआ कि इसके बाद हिंदी को पूर्णतः राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया जाएगा। किंतु यह महज प्रावधान स्वरूप रखा गया था ताकि 15 वर्षों में अहिंदी भाषा क्षेत्र के लोग हिंदी सीख लेंपर ऐसा नहीं हुआ और हम आज भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मानजनक स्थान नहीं दिला पाए।

बराबरी

सावधानलड़कियों की ग्रुप लीडर के कमांड की रोबीली आवाज़ के साथ ही पूरे समूह के जूतों कीठ्ककी आवाज़ एक साथ  जोशीले अन्दाज़ में गूंजी चलते समय

लड़कियों की प्रिन्सीपल की आँखों में गर्व और शिक्षा निदेशक महोदय की आँखों में सन्तोष का भाव था

उदास समय और बदली हुई लड़ाइयाँ

हमारी लड़ाइयाँ तो कुछ और होनी थीं और उन्हें बना कुछ और दिया गया है. हम लड़ें तब भी उन्हीं की जीत है और हम बदल दिए गए हालात में बदले हुए मुद्दों के लिए लड़ें तो भी जीत उन्हीं की है.

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


10 टिप्‍पणियां:

  1. आश्चर्य
    विशेष लिखकर
    शंकित कर दिए..
    सुंदर अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर संकलन । मेरे सृजन को संकलन में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय सर,आज एक लंबे समय के बाद आई। मेरी परीक्षा गत शनिवार को ही खत्म हुई। अब से सक्रिय रहूंगी। आदरणीया श्वेता मैम को रचना देख कर मन आनंदित हुआ पर भूल से मेरे ब्लॉग के ड्राफ्ट पोस्ट आ लिंक शेयर हो गया है। मैं उस पर बार बार क्लिक कर रही हूँ तो मेरा ड्राफ्ट पोस्ट पेज खुल रहा है। अभी अन्य रचनाएँ पढ़ कर टिप्पणी करती हूँ। आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंक्स एक साथ और एक जगह

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत शानदार प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत आकर्षक और पठनीय।
    श्वेता जी का ब्लाग यहां से नहीं खुल रहा शायद कुछ छूट गया है, वैसे मेरे ये रचना पढ़ी हुई है पर एक बार देख लें,
    सभी पाठक नहीं पहुंच पायेंगे
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सराहनीय अंक । सभी रचनाएँ पठनीय और सारगर्भित ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपने सच में बहुत ही अच्छी जानकारी शेयर की है. जो कि पढने में बहुत अच्छी लगी. प्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय कक्षा 9 | Pratap Narayan Mishra Biography एवं उनका कार्यकाल के उपर भी जानकारी ला सकते है. यह बहुत अच्छा रहेगा. वैसे यह पोस्ट शेयर करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. आपने सच में बहुत ही अच्छी जानकारी शेयर की है. जो कि पढने में बहुत अच्छी लगी. प्रताप नारायण मिश्र का जीवन-परिचय कक्षा 9 | Pratap Narayan Mishra Biography एवं उनका कार्यकाल के उपर भी जानकारी ला सकते है. यह बहुत अच्छा रहेगा. वैसे यह पोस्ट शेयर करने के लिए धन्यवाद
    Arman15

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