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बुधवार, 9 मार्च 2022

3327..ज़रा सा हक़ दे गई..

 ।। उषा स्वस्ति।।


बम घरों पर गिरें कि सरहद पर

रूहे-तामीर ज़ख़्म खाती है

खेत अपने जलें या औरों के

ज़ीस्त फ़ाक़ों से तिलमिलाती है।

इसलिए ऐ शरीफ इंसानो

जंग टलती रहे तो बेहतर है

आप और हम सभी के आँगन में

शमा जलती रहे तो बेहतर है।

साहिर लुधियानवी

बड़ी मुश्किल से रेमडेसीवीर,फेवीपीरावीर,डेल्टा,ओमिक्रोन भूलने की कोशिश किए थे कि व्लादिमीर पुतिन,वोलदामेर जेलेन्सकी और युद्धों कीमत भी...मतलब कि हम सब ऐसे ही झूलते रहेंगे...लिजिए  इसी पेशोपेश में भी बुधवारीय प्रस्तुति✍️








इश्क़ का सबक

जिन किताबों में इश्क़ का सबक नहीं
जी करता है लगा दूँ उनमें आग अभी 

मैंने खुद लिखा है तेरा नाम कलम से
देख उंगलियों पर स्याही के दाग़ है अभी 
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बहुत ही मुश्किल होता है...

 आज, 08 मार्च 2022 अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया, घर से लेकर ऑफिस, बाजार से लेकर खेल के मैदान सब जगह शुभेच्छाएँ बिखरी हुई हैं।

महिला दिवस की शुभकामनाएँ उन बेटियों को जो माता-पिता के लाड़-प्यार की छाँव में जीवन


कभी अधिकार के लिए शुरु हुई लड़ाई   
हमारी ज़ात को ज़रा-सा हक़ दे गई   
बस एक दिन, राहत की साँसें भर लूँ   
ख़ूब गर्व से इठलाऊँ, ख़ूब तनकर चलूँ   
मेरा दिन है, आज बस मेरा ही दिन है   
पर रात से पहले, घर लौट आऊँ
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कश्मीर फ़ाइल्स

            विरोध के लिये विरोध करना दुष्टों का स्वभाव हैइसका सामना किया जा सकता है किंतु सांस्कृतिक धरोहर एवं भारतीय सभ्यता को नष्ट करने के लिये विरोध करना भारतीय लोकतंत्र के लिये सर्वाधिक घातक प्रवृत्ति है । विरोध ही नहींहम तो सातवीं शताब्दी से सांस्कृतिक आक्रमण का असफल सामना करते हुये कुछ न कुछ खोते भी आ रहे हैं ।

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अश्वत्थामा

युद्ध पहले भी होते आए हैं

आगे भी होते रहेंगे,

फर्क इतना है कि

पहले होते थे युद्ध देवों और दानवों में

अथवा मानवों और दानवों में।

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ज़रा से ग़म ही थे उनको छुपा लेता तो अच्छा था ।

कभी लिख कर ख़तों में उनको सच खुद ही बता देता,
मुहब्बत में अना को खुद हटा लेता तो अच्छा था
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।। इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'✍️

7 टिप्‍पणियां:

  1. आप और हम सभी के आँगन में
    शमा जलती रहे तो बेहतर है।
    बेहतरीन अंक..
    आभार
    सादर..

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही संतुलित एवं सधी हुई प्रस्तुति।
    अंक का आगाज़ करती साहिर लुधियानवी जी की पंक्तियाँ बेहद प्रभावी हैं आज के युद्ध के माहौल में।
    सादर आभार मेरी रचना को अंक में स्थान देने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंक आदरनीय । बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर, सराहनीय प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं

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