यूँ तो सबको पता है कि यहाँ इस मंच पर अतिथि चर्चाकार के रूप में मुझे बुलाया गया था । पर अब यशोदा जी ने बड़ी नफासत से हमें अतिथि से घर का सदस्य बना लिया । इनका इतना स्नेह मिला कि मैं आप सबके बीच ही रह गयी । लेकिन सोच रही हूँ कि ऐसी स्थिति तो न आ जायेगी कि कोई कह बैठे " अतिथि तुम कब जाओगे " । खैर बाद कि बाद में देखेंगे अभी तो मैं आप सबके छलकते प्यार से सराबोर हूँ ।
अब शुरू करते हैं आज की चर्चा --- आप सब नए और पुराने चर्चाकार अलग अलग मंच पर काफी मेहनत से ढूँढ़ ढूँढ़ कर लिंक्स लगाते हैं , सच ही आप सराहना के पात्र हैं ।नए ब्लॉगर्स के ब्लॉग तक और नए लिंक्स तक पहुँचने में काफी सहायता मिल जाती है । इसके लिए चर्चाकारों का आभार ।
मैं चाहती हूँ कि जो नए ब्लॉगर्स हैं ,जिन्होंने 2014 के बाद ब्लॉग बनाये हैं उनको ब्लॉग के स्तंभ रहे ब्लॉगर्स से थोड़ा परिचित कराया जाय । तो आज मैं आपको हिंदी ब्लॉग के प्रणेता , हिंदी ब्लॉगिंग के स्तंभ कहे जाने वाले , हिन्दी ब्लॉगिंग को चरम पर पहुँचाने का प्रयास करने वाले ब्लॉगर से मिलवाती हूँ ।
उस समय नए पुराने हर ब्लॉगर के ब्लॉग पर चिट्ठा जगत की तरफ से उड़ती हुई उड़न तश्तरी आती थी और उनकी लिखी छोटी सी टिप्पणी ही ब्लॉगर के उत्साह को दुगना कर जाती थी । जी हाँ , पहचान तो गए होंगे आप ? मिलवा रहीं हूँ समीर लाल समीर " जी से । इनके लेखन से मैं ही नहीं सभी ब्लॉगर्स जिन्होंने भी इनको पढ़ा होगा प्रभावित हुए बिना नहीं रहा होगा । ज्यादा न कहते हुए आप सब के समक्ष इनके लेखन की बानगी प्रस्तुत कर रही हूँ ।
इस रचना को पढ़ते मन में न जाने कितने भाव आते हैं ।लेकिन मन के शुद्धिकरण के लिए रोने की ख्वाहिश का भाव अविस्मरणीय है ।यह कविता मुझे भूलती नहीं है ।
कविता की दुनिया से निकल आपको ले चलती हूँ हास्य व्यंग्य की दुनिया में ....
ब्लॉगिंग का जोश कम होने के बावजूद आप अपने लेख नियमित रूप से ब्लॉग पर डालते रहे हैं ।ये लेख समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं ...
घर से लेकर कैसे राजनैतिक बातों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जोड़ा है , आप भी पढ़ें -
इस लेख में आरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर भी करारा प्रहार है , है न ? इस प्रश्न का उत्तर तो इसे पढ़ने के बाद ही मिलेगा ।
एक और व्यंग्य का आनंद उठाएँ जहॉं गाँधी जी की मूर्ति से एक आम आदमी का संवाद हो रहा है ---
अब आपको ले चलती हूँ इनकी यात्राओं के संस्मरण की ओर ।
कोई भी बात लिखते समय सहज से सहज बात में जो हास्य का पुट होता है उसे पढ़ आनन्द ही आ जाता है ।
ऐसे ही हाज़िर है ये एक संस्मरण . आप यात्रा पर कहीं घूमने जा रहे हों और आपका सामान चोरी हो जाये तो क्या क्या झेलना पड़ता है ज़रा आप लोग भी रु ब रु होइए
और आज का ये अंतिम लिंक , इसके बारे में तो सोच कर ही बरबस हँसी आ जाती है । इसके बारे में मैं यहॉं कुछ नहीं लिख रही , आप स्वयं पढ़ें और इस उत्सव का आनंद लें । मैं तो जब तब इस संस्मरण को पढ़ खूब हँस लेती हूँ --
इस चर्चा का आनंद आप तब ही ले पाएँगे जब इन लिंक्स पर जा कर इनके लेखन को पढ़ेंगे । आज आप सबको समीर जी से मिलवाया है आपको उनका परिचय पा कर अवश्य अच्छा लगेगा ऐसा मेरा अनुमान है ।
आज बस इतना ही । समीर जी आपका आभार आपने अपने ब्लॉग से रचना लेने की अनुमति दी ।
अंत में मैं एक अपनी रचना अपने नए ब्लॉगर्स साथियों को समर्पित करना चाहती हूँ । इस लिए धृष्टता कर अपने ब्लॉग का एक लिंक आपसे शेयर कर रही हूँ । आप रचना पढ़ें , मंथन करें , मक्खन आप ले जाएँ , छाछ मेरे लिए छोड़ें ।
मिलते हैं अगले सप्ताह फिर नई चर्चा के साथ , नमस्कार ।
आपकी ही
संगीता स्वरूप
शुभ प्रभात दीदी...
जवाब देंहटाएंसमीर लाल से भला कौन अपरिचित होगा
इस बार इनकी रचनाओं का पोस्टमार्टम बड़ी नफासत से हुआ है.. विदेश में रहते हुए साहित्य साधनारत भैय्या समीर जी को प्रणाम..
सादर नमन दीदी
आभार..
सादर..
शुक्रिया यशोदा ,
हटाएंसच ही कौन न जानता होगा उड़न तश्तरी को ।
अहा! अपनी इतनी तारीफ सुनकर मन हुआ कि आईने में खुद को निहारूँ जी भर कर :) बहुत आभार आपका-
जवाब देंहटाएंसमीर जी , स्वागत है ।
हटाएंये तो मात्र आपका परिचय है । तारीफ कहाँ ।
आप यहाँ आये । हार्दिक आभार ।
इन्दोर से दिव्या का चरणस्पर्श स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंजो गड़े हुए हैं
हम ज़िंदा भी तो
मुर्दों जैसे पड़े हुए हैं ।
बढ़िया..
रचनाएं भी और परिचय भी
मैं भी 217 की ब्लॉगर हूँ
ये बात और है कि 2 के बाद शून्य
लगाना भूल गई..
सादर..
दिव्या ,
हटाएंइंदौर से हैं आप , तो हो सकता है कभी मिलने का सिलसिला बन सके ।
यूँ तो हर कोई बहुत कुछ भूल जाता है और कई बार भूलने की कोशिश करता है ।इसमें 2 भी भूल जाना था तो बस हम तो यही समझते कि दिव्या स्वीट एंड लवली कुल 17 साल की हैं ।
रचनाएँ पसंद करने के लिए आभार ।
दीदी..
हटाएंमैं रायपुर रहती हूं
जहां-जहांं प्रि-फाइनल परीक्षा होती है
वहां जाती हूं बच्चों को लेकर..ताकि उनका मनोबल बढ़े..बच्चे सारे बड़े हैं,CA,CS की फाइनल की तैयारी कर रहे हैं..
सादर नमन..
फिर कभी दिल्ली आएँ तो मिलिए ।यह तो संभव हो सकता है न ?
हटाएंसस्नेह
आदरणीया दी,
जवाब देंहटाएंप्रणाम।
आपकी यह जादुई प्रस्तुति सचमुच अंचभित कर गयी।
आपके द्वारा आदरणीय *समीर सर* का परिचय पाना और विविधापूर्ण विषय पर उनका लेखन पढ़ना एक उपलब्धि है मेरे लिए एक पाठक के तौर पर।
बहुत आभारी हूँ आपकी दी।
आदरणीय सर,
निःशब्द हूँ प्रतिक्रिया लिख पाऊँ आपके लेखन के सम्मान में ऐसी मेरी क़लम की क्षमता नहीं।
आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगा।
प्रणाम सर।
सादर।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंएकल ब्लॉग की चर्चा पसंद आई , इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
पाठक के तौर पर हम सबसे ही बहुत कुछ सीखते हैं ।और हमेशा ही दिग्गजों से ही सीखा जाए ऐसा भी नहीं ।जिस प्रकार विद्यालय में एक बच्चा अपने शिक्षक से सीखता है और मेरा जो अनुभव है कि शिक्षक भी अपने विद्यार्थियों से बहुत कुछ सीखते हैं ।
इसलिए यहां भी हर ब्लॉगर अपने आप में एक ग्रंथ है । समीर जी की तरफ से कह रही हूँ कि स्वयं को कम नहीं आंकना चाहिए । समझ रही हैं न मेरी बात ?
सस्नेह
बहुत सुंदर शब्दों संग तानाबाना,पढ़तीं रही हूं समीर सर की रचनाएँ,पर आपकी विशेष टिप्पणियों से प्रस्तुतियां खास बन जाती हैं।
जवाब देंहटाएंआभार।
प्रिय पम्मी ,
हटाएंबस यहाँ शब्दोंनके ताने बाने ही तो हैं जिनको हम सुलझाने का प्रयास करते रहते हैं । प्रस्तुति पसंद करने का शुक्रिया ।
सम्माननीय समीर जी को पढना सुखद अनुभव सा रहा। आदरणीया स॔गीता जी और इस पटल के प्रति आभार अभिनन्दन। ।।।।
जवाब देंहटाएंपुरुषोत्तम जी
हटाएंआपने समीर जी के लेखन को पढ़ा और सराहा , मेरा प्रयास सफल हुआ ।
आभार
बहुत अच्छी ब्लॉग खबरसार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकविता जी ,
हटाएंआपसे कौन सी खबर बची है । आप तो सबके बारे में जानती हैं ।
हृदय से आभार
एक कथा सुनी थी कि असली बनिया वो होता है जो अगर भूले से कुएँ में गिर जाए, तो यह सोच कर कि गिर तो गये ही हैं, क्यूँ ना स्नान कर लिया जाए फिर मदद के लिए गुहार लगाएँगे. लोगों का क्या है, अभी जैसे बचाएँगे वैसे ही तब बचाएँगे. नहाना तो निपटाते ही चलें, कम से कम घर पर पानी ही बचेगा...
जवाब देंहटाएंयही हाल मेरा भी..
प्रतिक्रिया देनी है तो पढ़कर ही दें
बढ़िया अंक..
सादर नमन..
दिग्विजय जी ,
हटाएंये कथा बजी आप पढ़ते पढ़ते ही उड़ा लाये हैं ।
वाकई प्रतिक्रिया देने का आनंद तो लिंक्स पढ़ने के बाद ही आता है ।।
आभार ।
भी * बजी पढ़े
हटाएंआपका संकलन तो निश्चय ही विशिष्ट है । अपने ढंग का, दूसरे संकलनों से भिन्न । आज के दौर में जब अपने ही हाल पर हंसी आ जाती हो, किसी और को हंसाना तो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है । इस प्रयास हेतु आप निस्संदेह अभिनंदन की पात्र हैं ।
जवाब देंहटाएंजितेंद्र जी ,
हटाएंआपको संकलन पसंद आया , मेरी मेहनत सफल हुई ।
हर एक की लेखन शैली भिन्न होती है । बस इसी लिए आप सबसे समीर जी का परिचय कराया ।
आभार
बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंआदरणीय शिखा दीदी
हटाएंसादर नमन
रोज आइए
आनन्द उठाइए
आनन्द लीजिए
यहाँ पर भी भुक्खड़घाट भी है
ज्योति दीदी का..
सादर
शिखा जी आभार आपका :) :)
हटाएंबहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न समीर जी को प्रायः: पढ़ती रहती हूँ...उनके व्यंग , रेसिपी , कविताएं सभी अद्भुत...संकलन बढ़िया लगा👌👌
जवाब देंहटाएंसंकलन पसंद करने के लिए शुक्रिया उषा जी .
हटाएंसमीर लाल समीर " जी का परिचय और उनकी रचनाओं को साझाकर हम जैसे नए ब्लॉगरों को आपने निहाल कर दिया, दी।
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया आज की प्रस्तुति को पढ़कर। समीर सर के ब्लॉग तक तो गई पढ़कर आनंद उठाया मगर टिप्पणी करने का साहस ना कर पाई।
मेरे मुख से उनकी तारीफ सूरज के आगे दीपक सरीखा दिखेगा।आपका तहे दिल से धन्यवाद संगीता दी एवं नमन
प्रिय कामिनी ,
जवाब देंहटाएंमेरे दिए लिंक्स पर जा कर आपने पढने का आनन्द लिया , जान कर प्रसन्नता हुई . वैसे प्रशंसा करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए . क्यों कि हर एक को प्रशंसा से प्रोत्साहन मिलता है .
टिप्पणियाँ हमेशा ही हर ब्लॉगर को उत्साह प्रदान करती हैं चाहे कोई कितना ही पुराना या दिग्गज ब्लॉगर हो . मेरा सुझाव है कि आप लोग इस हिचक से बाहर निकलें . वरना पुराने ब्लॉगर्स का तो बड़ा नुक्सान हो जायेगा . खैर मज़ाक अलग ... पुराने ब्लॉगर्स को पढ़ कर आप सब ही अपने मंतव्य ज़रूर दें .
आभार .
"मेरा सुझाव है कि -आप लोग इस हिचक से बाहर निकलें "
हटाएंआपके सुझाव एवं सीख दोनों को हमेशा याद रखूंगी दी,और आज ही दोबारा जाऊँगी समीर सर के ब्लॉग पर,सादर नमन
आदरणीय दीदी , अभिनन्दनम , स्वागतम !
जवाब देंहटाएंएक उत्तम लिंक संयोजन के आभार |समीर जी के ब्लॉग से बहुत साल पहले से परिचित हूँ | लगभग दस- ग्यारह साल पहले मैंने किसी अखबार में पहली बार ब्लॉग्गिंग के बारे में तो संयोगवश किसी बच्चे ने मुझे सोशल networking पर एक किताब दी जिसमें मैंने विस्तार से ब्लॉग के बारे में पढ़ा | उसी समय अपने स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के साथ मैंने भी कंप्यूटर पर थोड़ा बहुत पढ़ना और लिखना सीख लिया | बाद में बच्चों ने हिंदी टूल भी कंप्यूटर में डाल दिया और मुझे कहीं कहीं टिप्पणी करना सिखाया | उन दिनों ब्लॉग पर मेंरी उत्सुकता चरम पर थी और ब्लॉग के नाम पर जो ब्लॉग मैंने सबसे ज्यादा पढ़ा वो उड़नतश्तरी ही था | उन दिनों मुझे ब्लॉग फ़ॉलो करने के बारे में हरगिज पता नहीं था पर मैं ईमेल के जरिये समीर जी के ब्लॉग से जुड़ गयी और उनके ढेरों लेख , कुछ कवितायेँ पढ़ी ।आज भी मेरे ईमेल में उनकी नई रचना नियम से आती है। उन दिनों मेरी रूचि कविता में मात्र दिग्गजों की कविताओं तक थी | मैंने उन दिनों अपना एक ब्लॉग भी बनाया था जो शेयर न करने की
वजह से जैसा था वैसा रह गया | विदेश में रहकर हिंदी का नियमित लेखन करने की वजह से समीर जी बहुत विशेष हैं | उनका हिंदी प्रेम बहुत ही प्रेरक है और उन लोगों को आइना दिखाता है जो अपने देश में रहकर हिंदी को हेय दृष्टि से देखते हैं। उस पर उनकी विनम्रता उनके व्यक्तित्व को बढाती है।कुछ ही दिन पहले की बात है , सतीश सक्सेना जी ने ब्लॉगिंग में समीर जी के योगदान पर एक लेख लिखा था जिसमें लिखा था कि समीर जी किसी समय नये पुराने रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए एक दिन में कम से कम 80-90 blog पर प्रतिक्रिया दिया करते थे। ये पढ़कर मैंने भी यही सब लिखा और साथ में लिख दिया कि मेरे ब्लॉग पर समीर जी कभी नहीं आये तो समीर जी ने लगभग एक घंटे में ही ये पढ़कर जवाब में लिखा कि--- ये कैसे हो गया? अपना लिंक भेजो! -
और जब तक मैं पढ़कर लिंक भेजती मेरे ब्लॉग पर आकर समीर जी तीन रचनाओं पर प्रतिक्रिया दे चुके थे। उनकी ऐसी सहृदयता उन्हे औरों से अलग बनाती हैं। सदी के प्रसिद्ध ब्लॉगर के रूप में उनका लेखन सराहनीय और सार्थक है। आजकी प्रस्तुति बहुत विशेष रही। आपकी यादाश्त को नमन, इतनी पुरानी रचनाओं को याद रखा आपने। मुझे रचनाओं के साथ टिप्पणीकारों की प्रतिक्रियाओं के उत्कृष्ट स्तर ने प्रभावित किया जैसे चोरी वाले लेख पर पाठकों की प्रतिक्रियायें कमाल हैं और संख्या तो विस्मय से भर देती है। समय मिलते ही मैं भी दर्ज कराती हूँ टिप्पणी।आपको हार्दिक आभार इस यादगार प्रस्तुति के लिए। आराम से लिखना चाह ती थी सो दो दिन लग गए लिखने में ☺
आशा है क्षमा करेंगी। और आप जब भी यहाँ आयेगी आपका स्वागत होगा । ढेरों शुभकामनाएं और बधाई इस सौहार्द पूर्ण प्रस्तुति के लिए🌹🌹🌹 ❤❤💐💐🙏🙏
प्रिय रेणु ,
जवाब देंहटाएंमेरी इस प्रस्तुति से तुमको कितनी सारी बाएं याद आ गईं । और उन सबको तुमने यहाँ सबके साथ बाँटा । अच्छा लगा जानकर की तुम समीर जी के लेखन से तुम पहले से परिचित हो । आज कल बलॉस पर नहीं आते हैं लेकिन ब्लॉगर्स के लिए अभी भी उनके मन में अलग ही भावना है ।
मुझे प्रसन्नता है कि यह अंक तुमको पसंद आया ।
अब तो इस मंच पर आना लगा ही रहेगा ।
सस्नेह