निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

3614 रचनाएं, जो पढ़ी नहीं गई पर पढ़ी जानी चाहिए थी

सादर अभिवादन
कल ही आपने सखी सुधा जी की पसंदीदा
बेहतरीन रचनाओं का आस्वादन किया...और
आज एक ही ब्लॉग से
एक नई सोच
सखी सुधा देवरानी अपरिचित नहीं है
ब्लॉग जगत में
उनकी लिखी कुछ
चुनिन्दा अपठित रचनाएँ
जो पढ़ी नहीं गई पर
पढ़ी जानी चाहिए थी
आज पढ़िए...
.......


काम नहीं राम मंदिर की चर्चा इन्हें प्यारी है,
शुक्र है इतना कि अभी मोदी जी की बारी है।
                                        
मोदी जी का साथ है,देश की ये आस है।
कुछ अलग कर रहे हैं,और अलग करेंगें,
यही हम सबका विश्वास है।




जब जान लिया पहचान लिया,
नहीं वो तेरा यह मान लिया ।
बेरुखी उसकी स्वीकार तुझे,
फिर घुट-घुट जीवन जीना क्या ?
हर पल उसकी ही यादों में,
गमगीन तेरा यूँ रहना क्या ?......
तेरा छुप-छुप आँसू पीना क्या ?





आजकल भी कुछ नेता बड़े दूरदर्शी हो गये,
देखो ! कैसे दल-बदल मोदी -लहर में बह गये

इसी को कहते हैं चलती का नाम गाड़ी,
गर चल दिया तो हुआ सयाना
छूट गया तो हुआ अनाड़ी ।

नीतीश जी को ही देखिये, कैसे गठबंधन छोड़ बैठे !
व्यामोह के चक्रव्यूह से, कुशलता से निकल बैठे !



बसंत की मेजबानी अभी चल ही रही थी,
तभी दरवाजे पर दस्तक दे गर्मी बोली ,
"लो मैं आ गई"

औऱ फिर सब एक साथ बोल उठे,
उफ ! गर्मी आ गई  !



समय तू पंख लगा के उड़ जा....
उस पल को पास ले आ...
जब मैं मिल पाऊँ माँ -पापा से ,
माँ-पापा मिल पायें मुझसे
वह घड़ी निकट ले आ.....
समय तू पंख लगा के उड़ जा ।




लिखने का मन है,
लिखती नहीं लेखनी,
लिखना मन चाहता,
कोई जीवनी कहानी ।
शब्द आते नहीं, मन
बोझिल है दुःखी लेखनी ।




दुख एक फर्ज है,
फर्ज तो है एहसान नहीं ।
फर्ज है हमारे सर पर,
कोई भिक्षा या दान नहीं ।

दुख सहना किस्मत के खातिर,
कुछ सुख आता पर दुख आना फिर ।
दुख सहना किस्मत के खातिर   




जब निकले थे घर से ,अथक परिश्रम करने,
नाम रौशन कर जायेंगे,ऐसे थे अपने सपने.......
ऊँची थी आकांक्षाएं , कमी न थी उद्यम में,
बुलंद थे हौसले भी तब ,जोश भी था तब मन में !!
नहीं डरते थे बाधाओं से, चाहे तूफ़ान हो राहों में !
सुनामी की लहरों को भी,हम भर सकते थे बाहों में




झुक-झुक के ताकने की
कोशिश सभी किये थे,
घूरती नजरों के बाणों से
तन बिधे थे,
ललचायी थी निगाहें
नजरों से चाटते थे......
घूँघट स्वयं उठाया तो बवाल मच गया !!!


आज्ञा दीजिए

सादर नमन 

19 टिप्‍पणियां:

  1. आज के अंक में अपनी पुरानी रचनाओं को देख अभिभूत हूँ सखी ! इन रचनाओं की सभी प्रतिक्रियाएं गूगल प्लस की भेंट चढ़ गयी । 'राजनीति और नेता' ये रचना मेरी पहली रचना थी जिसने मुझे पहली बार इस मंच के दर्शन कराये थे आज भी याद करती हूँ आपका वह पहला आमंत्रण जो उस समय मेरी समझ से बिल्कुल बाहर था । कैसा आमंत्रण ! कैसा मंच ! कुछ भी कहाँ पता था तब । वो कुतुहल याद करके आज भी मन रोमांचित हो जाता है । और आज आपने पुनः इन्हें मंच प्रदान किया तब भी शुक्र है मोदी जी ही सत्ता में हैं वरना अभी तो ये....
    नीतीश जी अब भी नीतीश जी ही निकले ।
    चलो रचनाएं आज भी सामयिक ही हैं।
    अभिभूत हूँ सखी आपके स्नेह से ।
    दिल से धन्यवाद एवं आभार आपका ।
    🙏🙏🙏🙏🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर रचनाएं सटीकता से अनुशासित शब्दों में कही गई मन मंदिर में हिलोरें मारती ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुधा जी की रचनाएँ साहित्य में नवीन संभावनाओं की सरस सुधा का अनवरत प्रवाह हैं। अत्यंत आभार उनकी रचनाओं को इस पटल पर साझा करने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आ.विश्वमोहन जी ! 🙏🙏

      हटाएं
  4. यशोदा ,
    आज तुमने बवाल नहीं धमाल मचा दिया । पढ़ आये सब । इनमें से पहले भी कुछ पढ़ीं थीं , लेकिन टिप्पणी नहीं कि थी । बहुत शुक्रिया इन रचनाओं को पाठकों तक पहुँचाने का । बढ़िया प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. आज सुधा जी का पुराना संग्रह पढ़ कर मन प्रसन्न हो गया सामायिक चिंतन, सामाजिक
    परिस्थितियों और देश की राजनीतिक हलचल पर यथार्थ लेखन।
    बहुत बहुत आभार आपका यशोदा जी बहुत शानदार प्रस्तुति,हम सभी को सुधाजी के अपठित काव्य को पढ़ने का संयोग बनाया आपने।
    सुधाजी एंव यशोदा जी आप दोनों को बधाई इस सुंदर अंक के लिए।
    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय दीदी, ब्लॉग जगत की एक उत्तम रचनाकार और अपनी स्नेहिल प्रतिक्रियाओं से हर रचनाकार के मन में उत्साह की असीम ऊर्जा भरने वाली, हम सब की अत्यंत प्रिय सुधा जी देवरानी की पाठकों की दृष्टि से ओझल उत्तम रचनाओं से सजा संकलन इस प्रतिष्ठित पाँच लिंक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए अत्यंत आभार। सुधा जी के लेखन के ये सभी रंग एक दूसरे से जुदा और बहुत प्रासंगिक हैं। यूँ तो मैं भी कई बार उनके ब्लॉग परजाकर चक्कर लगा कर आई हूँ,पर खेद है कि ये रचनाएँ मैने भी शायद नहीं पढ़ी।आपके इस स्नेहासिक्त प्रयास के लिए आभार शब्द बहुत छोटा है।बस इस कोशिश को नमन 🙏❤

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय सुधा जी, आज का दिन प्रतिष्ठित पाँच लिंक
    मंच ने आपके नाम किया, उसके लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।आपकी संवेदनशील रचनाओं में से ये अनमोल मोती चुनकर लायी हैं यशोदा दीदी। मर्म को छूती समीक्षा में आप बेजोड़ हैं तो रचनाओं की विविधता में भी आपका कोई सानी नहीं है।माँ सरस्वती आपकी लेखनी को सदैव यश प्रदान करे यही कामना करती हूँ।एक बार फिर से बधाई आपको ❤❤

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु जी आपके इस अपार स्नेह से अभिभूत हूँ । तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका । 🙏❤️❤️🌹

      हटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. शुभ प्रभात
    मेहनत सफल हुई
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रिय सुधा जी की रचनाओं से सज्जित ये अंक पठनीय तो है ही, संग्रहणीय भी है । उनकी लेखनी से निकलीं रचनाएँ समाज और साहित्य के लिए विशेष योगदान रखती हैं, सुधा जी के लिए मेरी शुभकामनाएँ और बधाई । साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार दीदी ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुधा जी द्वारा रचित जिन अनमोल रचनाओं तक हम पहुंच नहीं पाए थे उन तक पहुंचाने के लिए यशोदा दी को हृदयतल से धन्यवाद, और सुधा जी को हृदयतल से बधाई मां सरस्वती उनकी लेखनी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें 🙏

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...