।।प्रातः वंदन।।
सूरज की-
एक किरण पीपल के पत्ते पर ठहरी है !
एक किरण बेले के फूलों पर फिसली है !
एक किरण ताल की तरंगों पर थिरकी है !
एक किरण शिशु की दाँतुलियों पर बिहँसी है..!!
त्रिलोचन
चलिए नियत समयानुसार आज की प्रस्तुति में..✍️
तेरा पता मिला है औरों से क्या मिलें
पहुँचेंगे तेरे दर अरमान ये खिलें
तुझे छू के आ रही पुरनम सी यह हवा
सब को मेरी दुआ से मिलने लगी शफा..
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चंद क्षणिकाएँ
ऐश्वर्य के पाँव में पड़े
छालों का नाम है
•नदियाँ धरा का सौंदर्य हैं
और पड़ाड़ो तक पहुँचने का
सुगम मार्ग
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हार भी जीत होगी
जब तुम तन्मयता से खेलोगे
खेल में खेल रहे हैं सब
खेल - खेल में खूब तमाशा
छूमंतर हुई निराशा
अप्रतिम
जवाब देंहटाएंस्तरीय रचनाओं से सजा
आभार
सादर
सुप्रभात! कल्पना में प्रेम की उड़ान भरता मस्ती में खेलता जीवन , कुछ ऐसा ही समाँ बांधा है आपने पम्मी जी आज के अंक में, आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन आभार मेरे द्वारा सृजित रचना को पांच लोकों के आनन्द में सम्मिलित करने हेतु
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन.आभार.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार मंच पर स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंसादर