सादर नमस्कारश्रावण का एक पक्ष गुज़र गया कलकल से श्रावण मास का पुरुषोत्तम पक्ष प्रारंभ होगापवित्र पक्ष कहा जाता है इसकी गणना खर-मास में नहीं होतीबहरहाल रचनाएं देखे....
बेहिसाब प्रेम ....इन्दु सिंह
भावार्थ ....
एक बांसुरी की सरगम दिल ....
प्रेम गुज़ारिश, एक बंदगी
फ़रमानों की भेंट चढ़ गया,
जहां सरसता उग सकती थी
अरमानों का रक्त बह गया !
जाते-जाते "हरेला" की औपचारिक शुभकामनाओं के साथ-साथ पुनः हम अपनी बात दोहराना चाहते हैं कि हम "दिवस" के हदों में "दिनचर्या" को क़ैद करने की भूल करते ही जा रहे हैं। नयी युवा पीढ़ी के समक्ष हम बारम्बार "दिनचर्या" की जगह "दिवस" को ही महत्वपूर्ण साबित करने की भूल करते जा रहे हैं। साथ ही हम सभी मिलकर पर्यावरण का मतलब पेड़-पौधों तक ही सीमित कर के पर्यावरण के विस्तृत अर्थ को कुंद करते जा रहे हैं। जबकि पर्यावरण के तहत हमारे आसपास मौजूद समस्त प्राणियों और समस्त प्राकृतिक सम्पदाओं का संरक्षण और संवर्धन ही सही मायने में "हरेला" है .. शायद ...
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
यह जो चट्टाने हिम शिखर मन को भा रहे हैं...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट भाब सृजन
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। आभार और बधाई! 🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंवाह! एक से बढ़कर एक रचनाओं से रूबरू कराती सुंदर प्रस्तुति, आभार 'मन पाये विश्राम जहां' को भी शामिल करने के लिए दिग्विजय जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजी ! नमन संग आभार आपका यहाँ मौका देने के लिए ...🙏 ... दरअसल अभी पड़ताल करने पर मेरी बतकही को इस मंच पर आज की प्रस्तुति में जगह देने वाला आपका संदेश मेरे 'स्पैम' में हमको दिख पाया ...
जवाब देंहटाएंजी ! नमन संग आभार आपका यहाँ मौका देने के लिए ...🙏 ... दरअसल अभी पड़ताल करने पर मेरी बतकही को इस मंच पर आज की प्रस्तुति में जगह देने वाला आपका संदेश मेरे 'स्पैम' में हमको दिख पाया ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति और प्रेमिल रचनाओं पर आधारित सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई 🙏
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