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मंगलवार, 4 जुलाई 2023

3808 ...इंसान बनना ही कठिन हैं

 सादर अभिवादन..

आज से सावन का महीना चालू
कल गुरु पूर्णिमा हो गई

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कुछ बासी कुछ ताजा



जो बंदे को खुदा बनाता,
उर में शीतल स्थान दिला दे,
द्वैत भावना मिटा हृदय से
पल में अपना आप मिला दे !



पथ वरण करना सरल है,
पथिक बनना ही कठिन है।
दुख भरी एक कहानी सुनकर,
अश्रु बहाना तो सरल है।
बांध कर पलकों में सावन,



मेरे गीतों में आकर के तुम क्या बसे,
गीत का स्वर मधुर माधुरी होगया।
अक्षर अक्षर सरस आम्रमंजरि हुआ,
शब्द मधु की भरी गागरी होगया।






साहित्य को किसी देश या भाषा के बंधनों में बाँधने के बजाय जब एक भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी दूसरी भाषा में जस का तस प्रस्तुत किया जाता है तो वह अनुवाद कहलाता है। ऐसे में किसी एक भाषा में रचे गए साहित्य से रु-ब-रू हो उसका संपूर्ण आनंद लेने के ज़रूरी है कि उसका सही..सरल एवं सधे शब्दों में किए गए अनुवाद को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाया जाए।

आज  बस इतना ही
कल मिलिएगा सखी पम्मी सिंह से
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।
    बहुत बहुत आभार दी मेरी रचना को स्थान देने के लिए क्षमा चाहती हूं दी मैं कुछ व्यस्तता के कारण समय से मंच पर नही आ सकी

    जवाब देंहटाएं

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