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सोमवार, 10 जुलाई 2023

3814 ..लिख दूँगी पल-पल का तब इसमें हिसाब मैं

 सादर नमस्कार

देवी जी को ज़ियादा खुशी बर्दाश्त नही हुई
कहीं से पकड़कर बुखार ले आई
चलिए आया है तो चला ही जाएगा
आना-जाना लगा ही रहता है
रचनाएं देखें ..



हँसे खेत खलिहान सब,इस मौसम बरसात में।
पाकर प्रेम फुहार को,भीगे भाव प्रपात में।।

चूल्हा सीला देखता,कब उसमें भी आग हो
जब निर्धन की झोपड़ी,टप-टप टपके रात में।।





आँसू की क्या दूं परिभाषा
इसकी नहीं है कोई भाषा
गम में, दुःख में, सुख में सब में
आहत होती ये जब तब में
याद आये जो बीते कल की
तो बस झट से आखें छलकी





घाम बर्खा शीत सबके अपने मिजाज,
सदैव न रहता मधुमास सा उपवन है।

सूदों भाताक खाते रहते संपदा को,
यह छूटने वाली केंचुली है उतरन है।




शुरू करूँगी जिस दिन
जिदंगी की किताब मैं
लिख दूँगी  पल-पल का
तब इसमें हिसाब मैं |





अब रहोगे बैठे ,
#कौशलमंदों के शामियानों में ,
पा जाओगे एक #मुकाम ,
ज़िंदगी के जहानों में ।
.....
कल भी देखिए
सादर

10 टिप्‍पणियां:

  1. छह सालों की सुखद रचना -यात्रा की बहुत बहुत बधाई
    जल्द किताब प्रकाशित हो

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्कृष्ट सृजन पढ़ने को मिला
    मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. लिंक पर उत्कृष्ट रचना पढ़ने काअवसर मिलता है।धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. नमस्कार, जिनको भी बुख़ार हुआ है, शीघ्र स्वस्थ हो जायें, सराहनीय रचनाओं की ख़बर दे रहा है आज का अंक, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय सर , मेरी रचना "यूं न रहो बैठे, किसी कौने ठिकानों में ..." को इस मंच में स्थान देने के लिये , बहुत धन्यवाद ।
    इस मंच में सभी सम्मिलित रचनायें बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत शुभकामनायें ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. उतकृष्ट रचनाओं का समायोजन, मेरी गजल को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरनीय बडे भाई,पठनीय सूत्रों से सुसज्जित आपकी निरंतर दूसरी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार।सभी रचनाकारों को बहुत- बहुत बधाई और शुभकामनाएं।मेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ।9 जुलाई 2017 से शायद ही कोई रचना मंच पर आने से वंचित रही हो।बल्कि उससे भी पहले शब्दनगरी से ही रचनाएँ यहाँ आना शुरु हो गई थी।अनगिन पाठक मिले कुछ प्रत्यक्ष तो कुछ परोक्ष रहे।सभी को सस्नेह शुक्रिया।जब तक सुधि पाठकों तक लेखन ना पहुँचे वह सार्थक नहीं होतापाँच लिंक मंच ने ये कार्य बखूबी पूरी निष्ठा और जिम्मेवारी से किया है। निसन्देह छह साल पहले का वो उत्साह और सकारात्मकता चरम पर थे।जो लोग ब्लॉग को भूल घर बैठ गए हैंउनसे आग्रह है कि वापस आयें ताकि ब्लॉग जगत अपनी खोई रंगत और रौनक लौट आए।आपको एक बार फिर से आभार और प्रणाम।आशा है कि यशोदा दीदी का बुखार उतर गया होगा।ईश्वर शीघ्र उन्हें उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करे यही कामना है। 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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