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शनिवार, 1 जुलाई 2023

3805... राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस



हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...   

'नेशनल डॉक्टर्स डे' पटना के ही एक लाल की याद में मनाया जाता है। यह उनका जन्मदिवस भी है और पुण्यतिथि भी। उस लाल का नाम है डॉ. विधानचंद्र रॉय। प. बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री रहे विधानचंद्र का जन्म पटना के खजांची रोड में हुआ था।महान फिजिशियन डॉ. बिधान चंद्र रॉय पं. बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी थे। उन्हें उनकी दूरदर्शी नेतृत्व के लिए पं. बंगाल राज्य का आर्किटेक्ट भी कहा जाता था। 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में रॉय अपनी डॉक्टरी की डिग्री कलकत्ता से पूरी की। पटना विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक करने के बाद सन् 1901 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। वहां से एमडी किया और ऊंची शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां एमआरसीपी और एफआरसीएस की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं।इसके बाद देश लौटे और सियालदह में अपना क्लीनिक खोला। साथ में सरकारी नौकरी भी करने लगे। उसी दौरान वे कांग्रेस नेताओं के संपर्क में आए।

 चित्तरंजन दास, सुभाषचंद्र बोस आदि से नजदीकियां बढ़ीं। वे 1909 में रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन, 1925 में रॉयल सोसायटी ऑफ ट्रॉपिककल मेडिसिन और 1940 में अमरीकन सोसाइटी ऑफ चेस्ट फिजिशियन के फेलो चुने गए।एक चिकित्सक के रूप में शुरुआत करने वाले बिधान चंद्र कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में शिक्षक भी रहे। बाद में वे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के नेता बने और उसके बाद पश्चिम बंगाल के मुख्य मंत्री बने। 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।कलकत्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालयों ने उन्हें डीएससी की उपाधि दी। कलकत्ता के दो बार मेयर रहे। आजादी की लड़ाई में दो बार जेल गए। आजादी मिलने पर उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। इसके बाद वे प. बंगाल के स्वास्थ्य मंत्री बने और फिर 1948 में मुख्यमंत्री।

इस पद पर वे अंतिम सांस लेने तक रहे। 1961 में उन्हें 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। इस दुनिया में अपनी महान सेवा देने के बाद 80 वर्ष की आयु में सन् 1962 में अपने जन्मदिवस के दिन ही उनकी मृत्यु हो गयी।

इलाज के उद्देश्य के लिए शरीर और आत्मा अलग–अलग नहीं हो सकती है, वे एक और अकेले है। “बीमार शरीर के रूप में मन को ठीक किया जाना चाहिए।” जब एक बीमारी के लिए बहुत से उपचार का सुझाव दिया जाता है तो इसका मतलब यह है कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता है।

“दवाएँ बीमारियों को ठीक करती हैं, लेकिन मरीज़ों को केवल डॉक्टर ही ठीक कर सकते हैं।” – कार्ल जंग

“हमेशा याद रखें कि एक चिकित्सक होना विशेषाधिकार है।” – डैनियल पी लोगन

“लोग चिकित्सक को उसकी परेशानी के लिए भुगतान करते हैं; उसकी दयालुता के लिए वे अभी भी उसके कर्जदार हैं।” – सेनेका

“दवाएँ बीमारियों को ठीक करती हैं, लेकिन मरीज़ों को केवल चिकित्सक ही ठीक कर सकते हैं।” – कार्ल जंग

दुनियाभर में अलग-अलग तारीख को मनाया जाता है डॉक्‍टर्स डे... सन् 1882, 1 जुलाई को भारत के एक महान चिकित्सक बिधान चंद्र रॉय का जन्म हुआ था। भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पहली बार 1 जुलाई 1991 को डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में, स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया गया था।

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पुनः भेंट होगी...
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