जब मैं लिखना चाहती हूँ प्रेम
खिल उठते हैं तमाम फूल
बरसने लगते हैं बादल
बच्चे खिलखिलाने लगते हैं,
गैया लौटने लगती हैं घर
चूल्हे में बढ़ने लगती है आंच
नदियों में कोई वेग आ जाता है
रास्ते मुस्कुराने लगते हैं
यह सब होता है भाषा के बाहर,
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
सादर
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शुभ प्रभात मित्रों।।।। पटल पर सुर्खियों जैसी खुबसूरती से रखी रचनाओं के मध्य खुद को भी पाकर आह्लादित हो रहा हूं। सभी को नमन व शुभकामनाएं।।।।
जवाब देंहटाएंएक त्रुटि सुधार दी हूं
हटाएंसादर
धन्यवाद दी
हटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीया सादर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सार्थक और पठनीय अंक ।हर रचना पर जाना हुआ ।बेहतरीन चयन । आपका बहुत बहुत आभार दीदी ।
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन यशोदा दी। मेरी रचना को पांच लिंको का आनन्द में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंस्थान देने हेतु आभार।
सादर