हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
इन घटाटोप अंधियारों का,संज्ञान अति आवश्यक है,
गर तम से मन में घन व्याप्त हो,सारे श्रम निरर्थक है।
आड़ी तिरछी सी गलियों में, लुकछिप रहना त्राण नहीं,
भय के मन में फल जाने से ,भला लुप्त निज ज्ञान कहीं?
विजय मार्ग के टल जाने से मंजिल का अवसान नहीं
इस सृष्टि में हर व्यक्ति को, आजादी अभिव्यक्ति की,
व्यक्ति का निजस्वार्थ फलित हो,नही चाह ये सृष्टि की।
जिस नदिया की नौका जाके,नदिया के हीं धार बहे ,
उस नौका को किधर फ़िक्र कि,कोई ना पतवार रहे?
लहरों से लड़ने भिड़ने में , उस नौका का सम्मान नहीं,
बलिदान छोड़ा राणा के साथ साथ
अपनी भी अमर कहानी को
अरि विजय गर्व से फूल उठे
इस त रह हो गया समर अंत
पर किसकी विजय रही बतला
ऐ सत्य सत्य अंबर अनंत ?
भीषण वैज्ञानिकों को बादलों में बैसि आकृतियां नहीं दिखाई देतीं जैसी कि बच्चों को दिखाई देती हैं .भूरे,काळा बदल कभी हिरण बन जाते हैं तो कभी हाथी,कभी चिड़िया बन जाते हैं तो कभी कुछ और .हवा में ऐसे तैरते हैं जैसे नदी में नाव .उड़ते ऐसे हैं जैसे विहंग दल .बादल तो बादल हैं उनका क्या कहना ? वैज्ञानिकों ने बादलों को ‘ पक्षाभ’ और ‘ कपासी ‘ नाम जरूर दिए हैं .
साँझ लगता है अब कुछ घड़ी यून्ही टंगी रहेगी ।
सुन्न सी पड़ी है समस्त कोहेफिज़ा,
भ्रमण पर जो निकला तो मैं चलता ही चला,
यह आस के पंख हैं या पलायन के पाँव,
घर में धरा क्या है जो लौट कर जाऊँ?
संस्कार अगर मेरी भी होती वैसी परवरिश,
तो ना ऐसे नजर रख पाते वो।
संस्कार जो मुझे दिए हैं,
बेटों को भी देते, तो न हमें डराते वो।
अब इसे बदलने में तो,
एक पीढ़ी लग जाएगी।
आज मैं काफी से अधिक विलम्ब से आई
जवाब देंहटाएंएक पड़ोसन को लेकर अस्पताल चली गई थी
बिटिया के साथ एक नवजात बिटिया भी साथ लाई...
बढ़िया अंक
सादर नमन
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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