हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
नए वर्ष में नयी प्रस्तुति... आपके साथ से हम हो जाते हैं
धर्म व कर्म सिखाई मेदिनी
अधर्म व कुकर्म देखी मेदिनी
बाग-बगीचे लुप्त हो गई अवनी पर
भवन-बगीचे बन गई अवनी पर
चारो ओर जल रही नफरत की यूँ अग्नि
कल पीले हुए हाथ आज विधवा हुई भगिनी ।।
दो गज भू की खातिर बने हो खून के प्यासे
एक-दूजे को काटो लेकर हाथ गंड़ासे ।।
गाजियाबाद जाऊँ और गुरुवर डॉ कुँवर बेचैन से मुलाक़ात किए बिना लौट आऊँ, ऐसा हो नहीं सकता। हो यह भी नहीं सकता कि खाली हाथ आऊँ...
उनका नया गीत संग्रह "लौट आए गीत के दिन" और उसी संग्रह का एक गीत पेश है-
सदा की तरह....
जवाब देंहटाएंसदा बहार प्रस्तुति
आभार
सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति में डॉक्टर गांगुली और डॉक्टर पद्मावती से मिलना अच्छा लगा । बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंमुझे नागिन के पूरे एपिसोड के सभी सीज़न उच्च गुणवत्ता में मिले हैं, कृपया नागिन 6 ऑनलाइन देखने के लिए इस वेबसाइट पर जाएँ नागिन 6
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