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रविवार, 26 मार्च 2023

3709.....मैं राम।......

जय मां हाटेशवरी....

सृष्टि का आधार तूंही माँ जग की तूंहीं सृजनहार
मान सम्मान और समृद्धि दे दे कर सबका कल्यान 
तेरे चरण में शीश नवाऊं माँ दे दे पावन चरणों में स्थान ।
तूं सबकी दुखहर्ता माँ तूं ही पालनहार 
सजा रहे दरबार तेरा तुम रक्षा की अवतार 
आई द्वार तेरे फैलाये झोली कर दे पूरे अरमान 
मेरी आस्था,विश्वास को दे दे बल मांगूं ये वरदान 

सादर नमन.....
अब पढ़िये आज के लिये मेरी पसंद.....

मैं राम
पर सच तो यही रहा !
रघुकुल रीत निभाते हुए
मैं सिर्फ और सिर्फ सूर्यवंशी राजा हुआ
मनुष्य से भगवान बनाया गया
सीता से दूर
लवकुश के जन्म से अनभिज्ञ
या तो पूजा जाने लगा
या फिर कटघरे में डाला गया ...
मैं सफाई क्या दूं !!! ...

वो आप थे
सर्द से, वो पल भूलकर,
गुनगुनी, उन्हीं बातों में घुलकर,
गुम से, हो चले हम,
जाने किधर!
अब भी, धुन पे जिसकी रमाता धुनी,
वो आप थे!

ज़िद
कभी तुम गिरे,
कभी मुझे चोट लगी, 
पर हम चुपचाप देखते रहे,
न किसी ने किसी को पुकारा,
न किसी ने कोई पहल की. 
अब जब मंज़िल दूर है,
वक़्त बचा ही नहीं, 
तो थोड़ी हलचल हुई है,
वह भी इशारों-इशारों में.

 

सुख दुःख की दूरी समझी  
बात समझ में आई
सुख के सब साथी होते 
दुख में  कोई  साथ नहीं  देता 
तब साहस का ही सहारा होता  | 
कठिनाइयों से  भागने  से  लाभ क्या 
जब अकेले ही रहना है
जब तक रहा साथ तुम्हारा जीवन में विविध रंग रहे
कभी किसी अभाव का हुआ ना एहसास |

काग़ज़ पे क़लम से लिखा
क्लासरूम में पढ़ने गया 
तो कहने लगे मेहनत है
वही काम फ़ोन पे किया
तो कहने लगे लानत है
लोगों से मिल के आया 
तो कहने लगे मेहनत है
वही काम फ़ोन पे किया
तो कहने लगे लानत है
लायब्रेरी में बैठ गया
तो कहने लगे मेहनत है
वही काम फ़ोन पे किया
तो कहने लगे लानत है

धन्यवाद।

5 टिप्‍पणियां:

  1. जय मातेश्वरी की
    शानदार अंक
    आभार आपका
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. माता रानी की अनुकंपा सब पर बनी रहे
    शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत शानदार प्रस्तुति के लिए आभार आपका प्रिय कुलदीप भाई।आज के अंक में शामिल सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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