।।प्रातःवंदन।।
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
वो पहले मुहब्बत करने का वादा ओढ़ के आएगा
दहलीज़ पर रखा चिराग बुझाना मत सहर देखकर
अंधेरा उजाले का लबादा ओढ़ के आएगा ..
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तुझमें मुझमें कुछ भेद नहीं
मैं तुझ से ही तो आया है,
अब मस्त हुआ मन यह डोले
सिमटी यह सारी माया है !
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हाय ये .…....!
कुछ मार दी ,
कुछ जिंदा रही ,
कुछ आने वाली है ,
हाय ये #ख्वाहिशें
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रंग चैत्र के ...
चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर सम्मोहित करती है।
अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ लिखा जो अद्भुत है। मुझे भी यह महीना बहुत ही आकर्षित करता है ।..
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सुप्रभात! सुंदर भूमिका, लाजवाब ग़ज़ल और अमृता प्रीतम की रचनाओं में चैत्र का प्रतीक ! वाक़ई आज की हलचल काफ़ी अलग है, मन पाए विश्राम को स्थान देने हेतु हृदय से आभार पम्मी जी!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग "हाय ये .....!" को इस मंच पर साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद । आभार ।
सादर ।
सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां । सादर ।
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