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बुधवार, 15 मार्च 2023

3698..सिमटी यहाँ सारी माया है !

 ।।प्रातःवंदन।।

"जैसे उजली धूप सबको हँसाती हुई आलोक फैला देती है, जैसे उल्लास की मुक्त प्रेरणा फूलों की पंखड़ियों को गद्‌गद कर देती है, जैसे सुरभि का शीतल झोंका सबका आलिङ्गन करने के लिये विह्वल रहता है, वैसे ही जीवन की निरन्तर परिस्थिति होनी चाहिये।"
जयशंकर प्रसाद
प्रस्तुतिकरण के क्रम को आगें बढ़ातें हुए नजर डालें..✍️

जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा 

वो पहले मुहब्बत करने का वादा ओढ़ के आएगा 

दहलीज़ पर रखा चिराग बुझाना मत सहर देखकर

अंधेरा उजाले का लबादा ओढ़ के आएगा ..

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हम ही तो बादल बन बरसे 


तुझमें मुझमें कुछ भेद नहीं 

मैं तुझ से ही तो आया है, 

अब मस्त हुआ मन यह डोले 

सिमटी यह सारी माया है !

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हाय ये .…....!


कुछ मार दी ,

कुछ जिंदा रही ,

कुछ आने वाली है ,

हाय ये #ख्वाहिशें

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 रंग चैत्र के ...

  चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर सम्मोहित करती है। 

  अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ लिखा जो अद्भुत है। मुझे भी यह महीना बहुत ही आकर्षित करता है ।..

🏵️

पीर हर लोगी

एक नज़र तुम देखोगी तो पीर हर लोगी
छू ले जो  होठो से धतूरा खीर कर दोगी

तुम तो चलती फिरती इक मधुशाला हो
दिल में उतर जाओ तो नशा गंभीर कर दोगी..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! सुंदर भूमिका, लाजवाब ग़ज़ल और अमृता प्रीतम की रचनाओं में चैत्र का प्रतीक ! वाक़ई आज की हलचल काफ़ी अलग है, मन पाए विश्राम को स्थान देने हेतु हृदय से आभार पम्मी जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय मेम,
    मेरी लिखी रचना ब्लॉग "हाय ये .....!" को इस मंच पर साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद । आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां । सादर ।

      हटाएं

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