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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा एक नायक बनो और सदैव यह कहो “मुझे कोई डर नहीं है”।
एमर्सन ने कहा "डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है"।
ओशो ने कहा, उस तरह से मत चलिए जिस तरह से डर आपको चलाये, बल्कि उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये।
गाँधी जी ने कहा हमारा वास्तविक शत्रु हमारा डर है।
मेरी समझ से परिस्थितियों के अनुसार भय के अनेक रूप है किंतु यह हम पर निर्भर है कि भय का सामना किस प्रकार किया जाये। विशेषकर जिनके हाथों में क़लम है उनका दायित्व तो सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है,तो आप का भय आपके ईमानदारी से कितना बड़ा है ये आप तय करें और आनंद लीजिए बेखौफ़ क़लम से निकली अभिव्यक्ति की
स्त्रियाँ अपने के लिए समाज की आँखों में सम्मान देखना चाहती हैं , कोमल मन संवेदनशील स्त्रियाँ अपनी कल्पनाओं में साधारण,सुख और स्नेह से भरे जीवन का खूबसूरत स्वप्न बुनकर उड़ने लगती ह़ै आसमान में किंतु यथार्थ की धरातल के स्पर्श पाकर बुलबुले की भाँति टूटे स्वप्न की यात्रा की अनुभूति को कलमबद्ध करती एक रचना पढ़िए-
ज्यादा दिनों तक आसमान में
संचार क्रांति के डिजिटल होते जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा सोशल मीडिया बन चुका है सुबह आँख खुलने के बाद देर रात तक अनगिनत बार टिप-टाप करने की आदत सामान्य है पढ़िए रोचक जानकारी से भरा हुआ एक तथ्य पूर्ण लेख
यूट्यूब के अस्तित्व में आने को ले एक कहानी प्रचलित है कि 2005 के शुरुआती महीनों के दौरान एक रात चैन के घर में दी गई एक डिनर पार्टी में लिए गए वीडियो को जब दोस्तों को शेयर करने में कठिनाई आई, तब हर्ले और चैन के दिमाग में यूट्यूब के विचार ने जन्म लिया। पर इस खोज के तीसरे सहभागी करीम, जो उस पार्टी में शामिल नहीं हो सका था, के अनुसार यूट्यूब की प्रेरणा, HOT or NOT वेब साइट से तब मिली जब 2004 में हिंद महासागर में आए सुनामी तूफ़ान की वीडियो क्लिप, इंटरनेट पर कहीं भी उपलब्ध नहीं हो सकी थी ! जो भी हो आज इस यू नलिका ने दुनिया भर को गोल-गोल घुमा कर रख दिया है !
क्या आप भी संगीत सुनने के शौकीन है,अपने पसंदीदा गायक/गायिकाओं,गीत-संगीत की गुणवत्ता को लेकर बहस हो जाती होगी न अपने परिचित मित्रों से अबकी बार बहस करने के पूर्व पढ़िए इस लेख को
न घर में और न लोगों के दिलों में
नहीं बचा है वह उत्साह
न वह अपनापन
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी,आज का अंक विविधताओं से भरा और शानदार है, हर रचना का परिचय कराती पंक्तियों ने ही मन मोह लिया अभी तो ब्लॉग पर जाकर पढ़ना बाकी है,सुंदर अंक सजाने के लिए आपका आभार,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ...
किसलिये झाँके
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिखे के पीछे से एक वीभत्स चेहरा
आईने लिखना छोड़ दें
पर्दे गिरा सारा सभीकुछ सरेआम लिख दें
शानदार अंक..
सादर..
जी ! सुप्रभातम् वाले नमन संग आभार आपका .. मेरे निरीह बकरों की गुहार भरी अर्ज़ी को "पाँच लिंकों का आंनद" के मंच पर आज की अपनी बहुआयामी प्रस्तुति में आगे तक बढ़ाने के लिए .. इस साल तो वो बेचारे हर बार की तरह "कट ही गए" .. शायद ... शायद अगले साल कटने के पहले सुन लें इन निरीहों की विधाता .. बस यूँ ही ...
जवाब देंहटाएंआज की भूमिका का विषय भी महापुरुषों की अनुपम कथनों से सजी, सोचनीय है .. इसी डर ने कभी हमारे पुरख़े आदिमानवों को कड़कती बिजली, कोई वीरान गली, हवा की तूफ़ान, नदियों की उफान, सूरज की ताप, धरती की विराट नाप से उपजे भय से इनको इन सब को और इन सब के प्रकोप से बचने के लिए एक काल्पनिक शेषनाग, विश्वकर्मा, इंद्र जैसे भगवानों को गढ़ने और पूजने पर मज़बूर किया होगा .. शायद ...
भय, लालच, स्वार्थ, और इन तीनों से पनपी हुई चापलूसी भी अक़्सर ईमानदारी की गला घोंट ही तो देती हैं .. चाहे वह तथाकथित भगवान की ही क्यों ना हो .. शायद ...
बाकी, बारी-बारी से फ़ुर्सत में पढ़ते हैं .. दिनचर्या से निपटने के बाद .. बस यूँ ही ...
बेखौफ़ क़लम से निकली अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकुछ समाज के उत्थान हेतु कुछ पूर्वाग्रह से निकली
उम्दा चयन छुटकी
साधुवाद
डर शायद मानसिक कमज़ोरी की निशानी है । महापुरुषों के कथन से भी यही लगता है कि डर कमज़ोर बनाता है ...अच्छे वक्तव्य चुने हैं । सुंदर मीमांसा के साथ सजी प्रस्तुति सराहनीय है ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह
बहुत सुंदर संकलन ! मुझे भी सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआभारी हूं श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और प्रभावी भूमिका के साथ
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक संयोजन
आपको साधुवाद
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंअच्छी और सराहनीय भूमिका के आज की मनमोहक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रिय श्वेता। सभी लिंक शानदार रहे। एक बेजुबान के भीतर की कराह को शब्दांकित करती सुबोध जी की रचना बहुत मार्मिक है और प्रश्न उठाती है कि वास्तव में करुणा का देवता बेजुबान,निरीह प्राणियों की वीभत्स बलि से खुश होता होगा। मुझे किसी ने एक बहुत मार्मिक और ह्रदय भेदती पंक्तियाँ भेजी जो यहां लिख रही हूं,---
जवाब देंहटाएंकटा इस तरह एक बेजुबान,
खून सारा नाली में बह गया ।
पत्थर दिल था वह जो बहते
खून
को देखकर ईद मुबारक
कह गया।।////
सभी रचनाकारों का अभिनंदन ��������
उम्दा लिंकों से सजी शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवन शुभकमनाएं।