नमस्कार ! आज की चर्चा शुरू करने से पहले मैं उन सभी पाठकों का आभार प्रकट करती हूँ जिन्होंने मेरे किये गए प्रश्न पर विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत करे । सभी ने इस तरह के मंच को महत्त्व दिया । सभी चर्चाकारों को खुशी का एहसास हुआ होगा कि जो हम लोग कार्य कर रहे हैं वो व्यर्थ नहीं है ।
मुख्य बात ये है कि ये मंच आपको दूसरे ब्लॉग तक पहुँचाने का काम करते हैं , लेकिन जुड़ना आपको स्वयं पड़ता है । आप जब तक किसी के लिखे पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देंगे तब तक एक दूसरे से जुड़ाव महसूस नहीं कर सकते । इसी लिए मेरा मानना है कि एक दूसरे के लिखे पर टिप्पणियाँ करना लेखक को प्रोत्साहित करता है । और आप स्वयं जो लिखते हैं उस पर भी उनकी टिप्पणियों से प्रोत्साहित अवश्य होते होंगे ।
ये टिप्पणियाँ ही हैं जो हम ब्लॉगर्स को इस कदर जोड़ देती हैं कि लगता ही नहीं कि हम कभी मिले नहीं हैं । अन्यथा कैसे हम लोग एक दूसरे से परिचित हो पाते यदि हम और आप एक दूसरे के ब्लॉग पर जा कर प्रतिक्रिया न दिए होते ?
इसीलिए जब भी लिंक्स पर जाएँ तो अपनी उपस्थिति दर्ज़ करना न भूलें । यदि किसी का मानना ये है कि ब्लॉग पर लोग टिप्पणी के लालच में लिखते हैं तो गलत है , आज कल लोग फेसबुक पर लिख कर त्वरित प्रतिक्रिया पा जाते हैं । लेकिन अपनी पोस्ट ब्लॉग पर भी डालते हैं ।बस अब जो फेसबुक से ज्यादा जुड़े हैं वो ब्लॉग दर ब्लॉग नहीं जाते या जा पाते । क्योंकि समय भी तो होना चाहिए न ।
इतना सब लिखने का तात्पर्य इतना ही कि सब टिप्पणियाँ देने में कंजूसी न कीजिये , इस आभासी दुनिया में यही एक जुड़ाव का माध्यम है । मुझे भी खूब टिप्पणियाँ दिया कीजिये , मैं तो वैसे भी बहुत लालची हूँ इस मामले में ।
बहुत लम्बा आख्यान हो गया , अब कुछ लिंक्स भी हो जाएँ -----
यहाँ तो काफी ज्ञान की बातें हो गईं , अब एक और दुनिया के ज्ञान की बात कर लें , जी हाँ आज कल व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी अपना ज्ञान बाँटने के कार्यक्रम में अव्वल है | एक जायज़ा लीजिए ---
तिवारी जी पान की दुकान की तरफ सर झुकाए चले आ रहे थे। हाथ में एक किताब थामे थे। किसी से
कोई बात चीत नहीं। न जाने मन ही मन क्या सोच रहे थे। चेहरे की गंभीरता को देख कर अनुमान
लगाया जा सकता था कि निश्चित ही किसी बड़ी योजना की उधेड़बुन में लगे हैं।
अभी सुबह का सात भी ठीक से नहीं बजा था। पान की दुकान अभी खोलने की तैयारी में चौरसिया जी
लगे थे। तिवारी जी बेंच पर बैठ गए। नमस्ते बंदगी के बाद तिवारी जी अखबार में खो गए और किताब
कंधे पर टंगे झोले में रख दी गई।
अभी मैंने व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी की सैर कराई और अब ले चल रहे हैं ट्वीटर पर । आखिर देखें तो क्या ट्रेंड चल रहा है ...वहाँ पर शायद कोई बात या पोस्ट सबसे ज्यादा पढ़ी - लिखी जाती तो ट्रेंड में आ जाती होगी .... आप पाठक भी इस ट्रेंड का आनंद लें --
राहुल जी पीएम बनेंगे!
ट्रेंड से मतलब हैशटैग के साथ किसी विचार(जैसे- #राहुलजीपीएमबनेंगे) के पक्ष या विपक्ष में हज़ारों-लाखों लोग ट्वीट करते हैं जिसे उस विषय का ट्रेंड करना कहा जाता है। लोग अपनी राय रखते हैं कभी-कभी गंदी-गंदी गालियों का प्रयोग होता है। लेकिन एक बात तो है कि जो विषय भी ट्रेंड करता या कराया जाता है उस पर आए ट्वीट पढ़कर काफी कुछ नया जानने को भी मिलता है।
अब प्रधान मंत्री कोई भी बने हम आम जनों को तो केवल यही चाहिए कि पेट्रोल सस्ता हो तो गैस के दाम न बढ़ें --- इसी मुद्दे पर एक ग़ज़ल -----
किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ी हो, जनता गजट-बजट पलटे
पूँजीपतियों की चाँदी है, साँझ-सकारे; देखो तो !
गैस रसोई की तन-तन कर, गृहिणी को ताने मारे
डीजल औ' पेट्रोल दिखाते, दिन में तारे; देखो तो !
कुछ लोग हर समय दुःख का रोना रोते रहते हैं , लेकिन कुछ लोग हैं कि कमियाँ कितनी ही हों उसके विपरीत अच्छी उम्मीद भी रखते हैं । एक और ग़ज़ल मुलाहिज़ा फरमाएँ ---
लिखा है
बद्द-नसीब तो खुश-नसीब भी लिखा होगा।
वो ख़ुदा है आज गर्दीशी तो कल ईद भी लिखा होगा।
और इसी तरह एक उम्मीद ये भी की जंगल को किस तरह बचाया जाय, प्रकृति को बचाना हमारी जिम्मेदारी है । यहाँ आप पढ़ें और विचार करें -----
तुम्हें जंगल चाहिए
मुझे भी।
तुम्हें
उसे रौंदकर
बनाना है
चीत्कार करता
महत्वाकांक्षी नगर।
फिलहाल आज के भारत की बात तो कर ली , चलते चलते आपको ले चलती हूँ महाभारत के काल में ----- जहाँ कवि हृदय कह उठा है कि भीष्म उठो अब निर्णय लो -----
द्रौपदी के चीर की तुम चीख सुनते क्यों नहीं,
विदुर की तुम न्यायसंगत सीख सुनते क्यों नहीं,
पाण्डवों का धर्मसंकट, जब मुखर होकर बह रहा,
यह तुम्हारा कुल कराहे, घाव गहरे सह रहा,
धर्म की कोई अघोषित व्यंजना मत बुदबुदाओ,
भीष्म उठ निर्णय सुनाओ ।
आज बस इतना ही ..... लिंक्स पर जाइये और अपने हस्ताक्षर के रूप में टिप्पणी करना न भूलें । टोकरा भर कर टिप्पणियाँ कीजिये और टोकरा भर टिप्पणियाँ पाइए ...... और नए पुराने सब ब्लॉगर्स से जुड़िये .... यह मेरा आग्रह है .......बाकी तो आपकी मर्जी ।
आज यहाँ किसी रचनाकार का नाम और फोटो नहीं लगायी गयी है ..... शीर्षक को सार्थक करते हुए ये रहस्य है ..... लिंक पर जा कर ही पता चलेगा कि इनके लेखक कौन हैं ....
फिर मिलते हैं ....इसी जगह...... इसी समय कुछ नए लिंक्स के साथ ।
संगीता स्वरूप ।
बिल्ली और किताब व्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंअगला पी एम कौन..हैशटैग चालू आहे..
राहुल गांधी को पप्पू का नाम किसने दिया?
सिद्धू जी जब बी जे पी में थे तब उन्होंने ने ही पुकारा था..और आज उसी पप्पू के दल ने अध्यक्ष बनाकर पंजाब में तहलका मचवा दिया..बस ये बकवास यहीं तक..
परिवर्तन होना ही चाहिए.. उत्सुकता को जागृत करता है..
बेहतरीन अंक.. समीर जी की बिल्ली पुराण अच्छी लगी..
आभार दीदी
सादर नमन..
शुक्रिया यशोदा । अंक पसंद आया खुशी हुई ।
हटाएंशानदार प्रस्तुति। सुंदर और बढ़िया अंक। आदरणीया संगीता जी के अनुभव के बोलों से भी सभी ब्लॉगर अवश्य ही लाभान्वित होंगे। सभी रचनाकारों को बधाई। आपका बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंवीरेंद्र जी ,
हटाएंआपके शब्दों ने मन तृप्त किया । अंक पसंद करने के लिए आभार ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति... सभी जोड़ने वाली...। आपकी प्रस्तुति पर और शब्दों के मंथन पर खूब बधाईयां...। वाकई सभी को रचनाएं पढ़नी और कमेंट करना चाहिए... मैं अपनी कहूँ अपने आप को बेहतर करूंगा...।आभार
जवाब देंहटाएंसंदीप जी ,
हटाएंआपने भी हर शब्द का यहाँ मंथन कर ही डाला । मेरी बातों से सहमत होने के लिए आभार ।
ॐ नमः शिवाय ! आपके अनमोल, उत्प्रेरक वचन से उन दिनों की स्मृतियां जीवंत हो उठी जब प्रेम व उदारता के साथ सौ-दो सौ टिप्पणियों का आदान-प्रदान हुआ करता था । हम पुराने लोग उस कालखंड के भी साक्षी हैं । ऐसा लगता था कि सबों को ब्लागिंग के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प है ही नहीं । अब जहां कई सारे विकल्प हैं तो भी प्रतिक्रिया ही अन्तर्सम्बन्धों का नेह-डोर है । जिसका खुले हृदय से प्रकटीकरण अवश्य होना चाहिए । हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ प्रभावी संवाद के लिए । सुन्दर प्रस्तुति के लिए भी ।
जवाब देंहटाएंअमृता जी ,
हटाएंआपने उस समय से आज को जोड़ा है । आप स्वयं ही ब्लॉग जगत में एक सेतु का काम कर रही हैं ।
अब जहां कई सारे विकल्प हैं तो भी प्रतिक्रिया ही अन्तर्सम्बन्धों का नेह-डोर है ।
आपका यह कथ्य सौ टका सही है । पुराने ब्लॉगर इसी नेह से अब तक जुड़े हुए हैं ।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।
जी बहुत आभार आपका। कुछ वर्षों के अन्तराल के बाद जब ब्लाग में लौटा तो सबसे पहले यहीं आया। जानता हूँ सब यहाँ पर ही जुटते हैं। पुनः आभार आपका पोस्ट को सम्मिलित करने के लिये।
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी ,
हटाएंसच है ये बात की यही मंच हमें नए लोगों का पता देते हैं । मैं भी चर्चा मंच और इस मंच के माध्यम से ही नए साथियों के साथ जुड़ी ।
आभार ।
इसीलिए जब भी लिंक्स पर जाएँ तो अपनी उपस्थिति दर्ज़ करना न भूलें । यदि किसी का मानना ये है कि ब्लॉग पर लोग टिप्पणी के लालच में लिखते हैं तो गलत है , बिल्कुल सही कहा आपने मैम अपनी प्रतिक्रिया देना बहुत जरूरी है और प्रतिक्रिया का मतलब सिर्फ तारीफ़ करना ही थोड़ी है! आलोचनात्मक प्रतिक्रिया भी तो दी जा सकती है जिससे ब्लॉगर अपनी लेखनी में सुधार ला सकें!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
प्रिय मनीषा ,
हटाएंआप मेरी बात से सहमत हुईं , अच्छा लगा ।
प्रतिक्रिया का अर्थ ये नहीं कि वाहवाही कर चले आएँ । सटीक समीक्षा करनी चाहिए ।पढ़ कर जैसा आप महसूस करते हैं , या समझते हैं .... अपने विचार से अवगत कराना भी ज़रूरी है । कुछ गलत लग रहा है तो नम्रतापूर्वक उसे बताया जाना चाहिए ।
मुझे बहुत खुशी हुई कि तुमने अपने सटीक विचार रखे ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।
आज यहाँ किसी रचनाकार का नाम और फोटो नहीं लगायी गयी है ..... शीर्षक को सार्थक करते हुए ये रहस्य है ..... लिंक पर जा कर ही पता चलेगा कि इनके लेखक कौन हैं ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है 👌👌 शानदार और रोचक प्रयास ...
आपकी प्रस्तुति हर बार अनूठापन लिए होती है .. बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं💐💐
कोशिश रहेगी कि चयनित लिंक्स पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाऊँ 🙏🙏
प्रिय सदा उर्फ सीमा ,
हटाएंआज यहाँ तुमको देख कर अच्छा लग रहा ।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती 😄😄😄
प्रस्तुति पसंद करने का हार्दिक आभार ।
आपकी प्रस्तुति की अदा निराली है। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंविश्वमोहन जी ,
हटाएंआपकी सराहना मिली । आभार ।
Unalike,Constructive n Progressively positive expression,Sangeeta. In such a forum mutual appreciation is an obvious pre-requisitive. All links are meaningfully rich.
जवाब देंहटाएंThanks so much Swarup sahab for such appreciative words . Iam humbled .
हटाएंजी दी,
जवाब देंहटाएंकिसी भी कवि/लेखक के लिए पाठकों की प्रतिक्रिया ऊर्जा होती है जिससे लेखनी के आत्मविश्वास का निर्माण होता है।
सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं
वाट्सएप व्यंग्य,
बेहतरीन गज़लें,
समसामायिक समाचार,
जंगल और मनुष्य की बात
और
भीष्म को इंगित करके लिखा गया
उत्तदायित्व प्रति सचेत करती
सराहनीय रचना।
अस्वस्थ महसूस करते हुए भी आपने इतनी मेहनत और पूरे मन से सुंदर श्रमसाध्य अंक तैयार किया आपकी कर्मठता प्रेरक है दी।
सप्रेम
सादर।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंप्रतिक्रियाओं पर विचार जान कर अच्छा लगा । लिंक्स को जा कर पढ़ना अपने आप में सराहनीय है ।
सच ही कल थोड़ी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर न जाने कहाँ से ऊर्जा का संचार हुआ 😄😄😄
सस्नेह ।
सहमत हूँ दी आपकी बातों से। लोग पढ़ते हैं पर उस हिसाब से टिप्पणी नहीं आतीं। टिप्पणी देते समय उदारता होनी चाहिए। मेरे लिए तो आपका प्रोत्साहन एवं आशीर्वाद अविस्मरणीय है। सुन्दर संकलन ,हर बार की तरह!!
जवाब देंहटाएंप्रिय अनुपमा ,
हटाएंसही कहा कि ब्लॉग पर पढ़ने तो बहुत आते हैं , फिर भी हमको उन सबका आभार मनना चाहिए जो अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराते हैं ।
आपका लेखन स्वयं में एक मिसाल है।
आभार
विविध रचनाएँ...बहुत आकर्षक प्रस्तुति 🙏
जवाब देंहटाएंपाठकों की प्रतिक्रियाओं से हम सभी में साकारात्मक उर्जा तो जरुर बनतीं है।
सादर।
प्रतिक्रियाएं सच ही सकारात्मक ऊर्जा देती हैं ।
हटाएंशुक्रिया पम्मी ।
सभी लिंक को पढ़ कर यथासंभव कमेन्ट किया…
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विविधतापूर्ण , प्रस्तुति हमेशा की तरह…मनोरंजक व बढ़िया अंक। आपके परिश्रम से व अनुभव से सभी अवश्य ही लाभान्वित होंगे। सभी रचनाकारों को व आपको बहुत बधाई। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया 🌹
प्रिय उषा जी ,
हटाएंआप जैसे पाठक ही हमारा हौसला बढ़ाते हैं । हर लिंक को पढ़ हमें उत्साहित करते हैं ।
आभार ।
दौड़ती भागती दुनिया के बीच ब्लॉग की सैर एक ठहराव देती है. अच्छा लगता है.
जवाब देंहटाएंयह आपने बहुत अच्छी बात की कि टिप्पणियों के द्वारा ही सब ब्लॉगर्स आपस में बिना मिले जुले भी परीचित रहे. बहुत समय बाद अमृता तन्मय की टिप्पणी देखकर लगा कोई सखी घूम फिर वापस मिल गई हो जैसे 😊
प्रिय वाणी ,
हटाएंसच ब्लॉग एक ठहराव ही लगता है । स्वयं का लिखा पुराना पढ़ कर भी बहुत आनंद आता है।
टिप्पणियां ही हम सबको इतने वर्षों से आपस में जोड़े हुए हैं । हर एक के साथ अपनापन महसूस होता है ।
अमृता तन्मय जी ब्लॉग पर नियमित हैं । शायद फेसबुक पर नहीं हैं ।
बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय दीदी, हमेशा की तरह सुंदर और लाजवाब अंक, आपके कथन से तो मैं शतप्रतिशत सहमत हूँ,कि ब्लॉग पर जाएँ तो टिप्पणी भी करें, टिप्पणियों से रचना की सार्थकता समझ आ जाती है और सुधार की गुंजाइश भी बनी रहती है,ब्लॉग जगत के लोग एक दूसरे का मनोबल बढ़ाकर,नव सृजन को प्रोत्साहित कर सकते हैं,और प्रेरक भी बन सकते हैं आपके नित नए और अनुकरणीय कार्य को मेरा सादर नमन।
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा,
हटाएंटिप्पणियों के बारे में तुम्हारे विचार जान कर अच्छा लगा । सुधार करना बहुत कम लोग पसंद करते हैं ।लेकिन मैं हमेशा चाहूँगी कि यदि कुछ गलत है तो सुधार होना ज़रूरी है ।
मुझसे शायद लोग नाराज़ भी हो सकते हैं क्यों कि मुझे यदि सही नहीं लगता तो मैं इंगित कर देती हूँ ।
सराहना के लिए शुक्रिया ।
बहुत ही प्यारा संकलन
जवाब देंहटाएंबेशक प्रोत्साहन मनोबल बढाता है
प्रिय भारती ,
हटाएंबहुत आभार सहमत होने के लिए और प्रस्तुति पसंद करने के लिए ।
हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुतीकरण उत्कृष्ट लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने कि ये टिप्पणियाँ ही हैं जो हम ब्लॉगर्स को इस कदर जोड़ देती हैं कि लगता ही नहीं कि हम कभी मिले नहीं हैं ।
साथ ही मनोबल भी बढ़ता है और मुझे तो लगता है कि ये प्रतिक्रियाएं ही तो हम लेखकों की कमाई हैं...एक दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान हमें भावों का धनी बनाता है...।
सुधा जी ,
हटाएंआपको संकलन पसंद आया हार्दिक खुशी मिली ।
ब्लॉग जगत में टिप्पणियाँ ही तो रचनाकारों की कमाई हैं , आपने सही कहा ।
आभार ।
बढ़िया , सराहनीय अंक प्रिय दीदी | संतुलित अंक जिसका अवलोकन करते ज्यादा देर नहीं लगी |
जवाब देंहटाएंभूमिका में आज फिर सामूहिक ब्लॉग की टिप्पणियों का जिक्र है | सभी के चयनित विचार बहुत ही उम्दा हैं और सच्चाई के करीब है |चर्चाकारों के योगदान का मूल्यांकन करना बहुत जरूरी है | उनकी निष्ठा और श्रम के लिए कोई भी प्रशंसा का शब्द पर्याप्त नहीं |उनका अतुलनीय श्रम किसी ब्लॉग को कहाँ से कहाँ पहुंचा सकता है ये प्रत्यक्ष देखा जा सकता है | मेरा इस विषय में अनुभव बहुत सुखद रहा है | टिप्पणियों की क्या कहूँ -- अपना तो छः महीने से टिप्पणियों पर ही गुजारा है | देखते हैं कब कुछ और लिखा जाता है | टिप्पणी रचनाकार और पाठक के बीच का स्नेह और सद्भावना भरा सेतु है |पर कोई भी रचनाकार ब्लॉग मात्र टिप्पणियों के लिए लिखता है -- इससे बचकानी बात कोई नहीं हो सकती || सब स्वांत सुखाय लिखते हैं | बल्कि मैं तो ये कहूँगी कि पढ़ना और टिप्पणी लिखना दोनों ही लेखन के लिए संजीवनी है | मुझे लगता है टिप्पणी हमारा स्नेह है जो शब्दों के रूप में किसी ब्लॉग पर अंकित होता है | यूँ सबके लेखन में कोई ना कोई उल्लेखनीय चीज जरुर होतीहै | मैंने कितने ब्लॉग पढ़े और ढेरों र रचनाएँ पढ़ी -- पर कभी कोई ऐसी रचना नहीं पढ़ी जिसमें कोई बात ना हो |सभी अपने मन के भाव डूबकर व्यक्त करते हैं यही लेखन की सार्थकता है |आज की सभी रचनाएँ उल्लेखनीय रहीं | सभी रचनाकारों का सस्नेह अभिनन्दन | आपको बहुत- बहुत बधाई इस सुंदर प्रस्तुति केलिए |🙏🙏💐🌷🌷❤️
प्रिय रेणु ,
जवाब देंहटाएंअंक की सराहना के लिए आभार ।
टिप्पणियों पर विस्तृत विचार पढ़ कर अच्छा लगा ।सच टिप्पणियों के माध्यम से हम अपना स्नेह अंकित करते हैं।
ये सशक्त माध्यम है एक दूसरे से जुड़ने का ।
अब तुम्हारे नए लेखन का इंतज़ार है ।
सस्नेह
आपकी कलम का तो वर्षों से कायल रहा हूँ। व्यस्तताओं ने ब्लॉग जगत से दूर कर दिया है किंतु उस युग की स्मृतियाँ बचपन की स्मृतियों की तरह अमिट हैं, जीवन का अभिन्न अंग हैं।
जवाब देंहटाएंअरुण जी ,
जवाब देंहटाएंमुझे लगा कि बस आप पोस्ट ब्लॉग पर डालते हैं , पता नहीं टिप्पणी देखेंगे भी या नहीं ।।
अब तो पूरानी स्मृतियाँ युग का आभास देती हैं ।
यहाँ आने का आभार ।