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रविवार, 18 जुलाई 2021

3093..तुम्हारी चाहत में नज़रबन्द हूँ

सादर अभिवादन 
रविवार और हमारा दिन
खाने खिलाने का दिन
और सोने में सोहागा
प्रस्तुति बनाने का दिन
....
आज की रचनाओं मे ..
क्षितिज ने पाँचवी सालगिरह मनाया 
हम सभी आन्दित हैं
सखी रेणुबाला हमारे संग शामिल हैं इस उत्सव में
अशेष शुभकामनाएँ..
एक खास रचना क्षितिज से
ना सुनाई देगी सदा,तुम्हें  ये सदा मेरी,
हो  जायेंगी  एक दिन, तुमसे राहें  जुदा मेरी ,
महकेगा कभी यादों में ,गुलाब की तरह
तुम्हारी जिंदगी का वो क्षणिक आनंद हूँ !


धुंधलाने लगे हैं, अब वो सारे मंज़र,
तुम्हारी खत के, वो सारे अक्षर,
पर हुए, मन पे टंकित,
तेरे शब्द-शब्द,
तन्हा पलों को, वो कर जाते हैं निःशब्द,
और गूंजते हैं, वो ही शब्द,
महक उठते हैं, वो पल,
बह जाता हूँ, अब भी उसी कल में.....


शुद्ध शाकाहारी
परिवारों में भी
कभी पनीर की सब्जी,
या तो फिर कभी
कंगनी या मखाना
या फिर ..
बासमती चावल की
स्वादिष्ट सोंधी
रबड़ीदार तसमई से
सजाती हैं,


"वो तो होगी ही ना,इस बार खेतों में बबुआ ने जी-तोड़ मेहनत जो की है।
कड़ी धूप में पसीना बहाया है..!"
"हाँ बेटा..इन बूढ़ी हड्डियों से अब उतनी ताकत से हल नहीं चलता जितनी
ताकत से तूने चलाया।बीज भी बहुत अच्छी तरह लगा..!"
"बापू कल सुबह मैं भी चलूँगा खेतों में..!"विक्रम अपनी तारीफ़ सुनकर
उत्साह से भर गया।


वसुंधरा की गोलाई नापते
आदि और अन्त के पड़ाव पर
अनंत की ओर अग्रसर
कभी मूक कभी वाचाल
समय तुम और मैं
निरंतर चलते अपनी चाल
.....
और अंत श्रद्धासुमन
ब्रम्हलीन सुरेखा सीकरी जी को

......
बस
सादर


 

29 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! रविवारीय आलस भरी सुप्रभातम् वाली नमन संग आभार आपका .. "पाँच लिंकों का आनन्द" की आज की अपनी ज़ायक़ेदार लज़ीज़ व्यंजन वाली थाली-सी प्रस्तुति में इक हरी मिर्ची की तरह मेरी बतकही को जगह देने के लिए ...
    साथ ही रेणु जी के बहाने पुनः सालगिरह (चौथी - पाँचवीं में थोड़ा confused हूँ 😃😃) की अशेष-असीम शुभकामनाएं मंच से जुड़ी हर उस शख़्सियत को, जिनके योगदान से यह मंच अब तक का सफ़र अनवरत तय करता आया है और .. प्रकृति की गोद में आगे भी करता रहेगा .. बस यूँ ही ...
    (सप्ताह में एक दिन शब्द-विशेष पर आधारित वाली प्रस्तुति बेशक़ .. miss करते होंगे, रचनाकार या पाठकवृंद .. शायद ...)

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    उत्तर
    1. आभार..
      हम-कदम के दिन भी बहुरेंगे
      याद दिलाया आभार
      सोच रही हूँ अपने चर्चकारों की राय ज़रूरी है..
      सादर..

      हटाएं
    2. हार्दिक आभार सुबोध जी | चार साल पूरे हुए हैं | पाँचवा चल पड़ा | और हमकदम बहुत याद आता है सचमुच | हालांकि बाद में समायाभाव के कारण मैंने भी इसमें भाग लेना छोड़ दिया था पर मेरी यादगार रचनाएँ आयीं इसके बहाने | यदि अभी इसे दुबारा लाने की कोशिश है तो स्वागत योग्य है पर महीने में एक या दो बार हो तो प्रभावी रहेगा | सादर

      हटाएं
  2. आदरणीय दीदी, सुप्रभात !
    सबसे पहले बड़े और छोटे पर्दे की मूर्धन्य कलाकार दिवंगत रेखा जी सीकरी की पुण्य स्मृति को सादर नमन। वे अपने भावपूर्ण अभिनय के जरिए हमारे बीच हमेशा रहेंगी
    मंच को ह्रदय से नमन करते हुए आभारी हूं कि आपने मेरे ब्लॉग की वर्षगांत की खुशी को महत्व दिया। संशोधन करना चाहूंगी, पांचवी नहीं चौथी सालगिरह है ब्लॉग की। नौ जुलाई 2017 को पहली पोस्ट डाली गई थी। उन सभी पाठकों को नमन जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में बराबर ब्लॉग पर उपस्थित रहे। आज की सभी रचनाएँ रोचक और पठनीय हैं। अनुराधा जी की लोक जीवन पर आधारित कहानी सबको जरुर पढ़नी चाहिए। उनके ब्लॉग पर सभी तरह की रचनाएँ मौजूद है । छोटी बडी कहानियां अत्यंत रोचक और भावपूर्ण हैं। बाकी रचनाएं पढ़ ली हैं । बाद में प्रतिक्रियाएं देती हूं। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। आपको पुनः आभार 🙏🙏

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    उत्तर
    1. एक पंक्ति और जुड़ी
      चौथा वर्ष खर्च कर कदम
      पाँचवें की ओर..
      सादर..

      हटाएं
    2. कहते है इंसान गलतियां जब करता है
      ये समझिये वो सुधर रहा है..
      आभार..
      सादर..

      हटाएं
    3. 🙏😀 अच्छा अनुभव है दीदी 🙏😀

      हटाएं
  3. सुन्दर संकलन हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं ♥👌💐

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    उत्तर
    1. आभार दीदी..
      आप आई अच्छा लगा
      आपकी रचना न हो तब भी आइएगा
      सादर नमन..

      हटाएं
  4. आज की अपनी प्रस्तुति में एक आभासी केक चिपका कर .. और भी ललचा 😛😛 दिया है आप ने .. अब तो online delivery का युग है .. केक ना खिलाने का बहाना भी नहीं चलेगा 😀😀 .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ज़ियादा लालच
      सचमुच नुकसान देह होता है
      सादर..

      हटाएं
    2. सच्ची में !? .. या केक खिलाने के डर से टरका रहीं हैं आप 😢😢😢

      हटाएं
    3. सुबोध जी , आपने सच कहा कि ऑनलाइन का जमाना है | Zomato app का जमाना है | कोई मुश्किल नहीं है। पता अदद चाहिए बस, केक सस्नेह आप तक पहुँच जाएगा ।😀😊 सादर,सस्नेह आभार आपके स्नेहिल उद्गारों का 🙏💐

      हटाएं
    4. "आपने कह दिया .. मान लीजिए हमने खा लिया" - फ़िलहाल हम ऐसा नहीं कहने वाले .. पर क्या है ना कि .. अकेले केक पचेगा नहीं .. सब की तथाकथित नज़र लग जायेगी .. कभी क़ुदरत ने आभासी दुनिया वाले मंच से हक़ीक़त की जमीनी सतह पर मिलवाया तो इकट्ठे मिल कर काटेंगे (केक को) और खायेंगे भी .. बस यूँ ही ...

      हटाएं
    5. उस शुभ दिन की प्रतीक्षा रहेंगी। इस जन्म में जल्द आए।🙏💐😊

      हटाएं
  5. अपने मंच की आज की प्रस्तुति में सुरेखा सीकरी जी जैसी बहुमुखी प्रतिभा वाली हालिया दिवंगत शख़्सियत को याद करने के लिए साधुवाद कहना भूल ही गया था .. साथ ही इसी बहाने सर्वेश्वर जी की पाँच परतों वाली चाँदनी में नहलाने के लिए भी आभार आपका .. बस यूँ ही ...

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    उत्तर
    1. वाकई..
      बालिका वधू की दादी सा बहुत याद आएगी
      सादर..

      हटाएं
  6. बहुत ही सुंदर संकलन और अच्छी रचनाएं...सभी को खूब बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार संदीप भाई
      आपने सराहा
      हम भरपाए
      सादर..

      हटाएं
  7. सुंदर संकलन । प्रिय सखी रेणु जी को बहुत-बहुत बधाई 💐💐💐💐💐बस ऐसे ही खूबसूरत रचनाओं का रसास्वादन करवाती रहिये ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार दीदी
      आप रोज आइए साथ में
      एक गीत का लिंक भी लाइए
      सादर..

      हटाएं
  8. सुंदर सूत्रों का संकलन, प्रिय रेणु जी को ब्लॉग की चौथी सालगिरह की दिल से बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ,
    सुरेखा सीकरी जी को सादर नमन,
    आपको मेरा सादर अभिवादन..शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सखी जिज्ञासा जी
      कोरोना जा रहा है नैपथ्य में
      ऐसे में मुखरित मौन मुखर होने को छटपटा रहा है...
      एक ही ब्लॉग से पांच रचनाओं के लिंक
      देने का मन है..
      राय दीजिएगा
      सादर..

      हटाएं
  9. प्रिय रेणु के ब्लॉग के चार वर्ष पूरे होने पर रेणु को हार्दिक बधाई ।
    सुरेखा सीकरी जी की अभिनय क्षमता की हमेशा ही कायल रही हूं । उनकी आत्मा को ईश्वर शान्ति प्रदान करे । नमन 🙏🙏🙏🙏

    आज के सभी लिंक्स पर दस्तक दे आयी हूँ ।
    क्षितिज पर उत्सव है तो कहीं अंकित यादें ।
    बंजारा ऐतवार की बात कह रहा तो कहीं आस के पुष्प अपनी सुगंध फैला रहे और फिर वही अनंत की ओर अग्रसर कदम चंदनीं की पाँच परतों तक ले जाते हैं ।
    सुंदर संयोजन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी..
      सादर नमन
      आपके द्वारा की गई अंक की समीक्षा
      मन को भा गई..
      पुनः आभार..
      सादर...

      हटाएं
  10. दिवंगत सुरेखा सीकरीजी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके द्वारा निभाए गए कई किरदार याद आ रहे हैं...
    प्रिय रेणु बहन ने बहुत सुंदर रचना के साथ ब्लॉग क्षितिज के पाँचवें वर्ष में प्रवेश किया। बहुत बहुत शुभकामनाएँ व बधाई।
    अनेक सुंदर रचनाएँ पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने हेतु आदरणीया दीदी का बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।

    जवाब देंहटाएं
  12. संगीता दीदी , जिज्ञासा जी ,प्रिय मीना , संदीप जी , भारती जी , अनुपमा जी , शुभा जी के साथ यशोदा दीदी --- सभी को सस्नेह आभार अतुलनीय शुभकामनाओं के लिए -- ये स्नेह बना रहे |

    जवाब देंहटाएं

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