हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...
डूबे सारे शोक में, करते गुणगान
क्यों प्रतीक्षारत रहते महाप्रयाण
राजकपूर के कैंप में प्रवेश करना कठिन था, खासकर के संगीत के क्षेत्र में, मेरा नाम जोकर में दो गाने लिखने का अवसर मिल गया
१. कहता है जोकर, सारा जमाना और २. ऐ भाई जरा देख के चलो
कम्पोजीशन के दौरान शंकर जयकिशन ने गाने के बोल में गलतिया निकाल दी, नीरज ने तुरंत कह दिया, “क्या तुम दोनों राज कपूर से ज्यादा संगीत समझते हो….? बस फिर क्या था, नीरज की भविष्य के लिए छुट्टी हो गयी , समय ने करवट बदली , वर्षो बाद शंकर जयकिशन और नीरज ने फिर कन्यादान में साथ काम किया “लिखे जो खत तुझे “
समय जड़वत हो कर
उस पटल को देखता रहा कुछ क्षण
फिर ठिठक कर कूच करने को
तत्पर हुआ
उसे याद आया वह रुकना नहीं जानता
उसे तो चलते जाना है।
आठवीं पार्टी कान्फरेन्स के लिए धनबाद ट्रेन पकड़ने के लिए हजारीबाग रोड से चली पैसेंजर ट्रेन के ठसाठस भरे डब्बे में कुछ देर खड़े खड़े द्रविण प्राणायाम करने के बाद जैसे ही कमर सीधी करने के लिए एक सीट का सहारा मिला और मैंने बैग से महाश्वेता देवी का "अमृत संचय" निकालकर बनारस में कर्नल नील के अत्याचारों के ब्योरे पर नज़र दौड़ानी शुरु की कि उदय ने भीड़ से सरक कर कन्धा थपथपाया और खबर दी - "त्रिलोचन जी गये"। उनकी पिछली बीमारी की खबर भी दिल्ली जाते हुए ट्रेन में मिली थी वाचस्पति जी से। स्मृतिलोप का पता "समयान्तर" में अजय सिंह के लेख को ट्रेन में ही पढ़ते हुए चला और अब उनके आखिरी सफर की खबर भी मिली सफर करते हुए।
यदि किंचित भी अत्युक्ति और हो अतिरंजित
मम वचन, प्रभू! मम निखिल साधना कर खंडित
तो आप मुझे दें रौरव का अति दंड घोर-
मेरे तप का फल नष्ट भ्रष्ट होवे अथोर।
बजता रहे तार मत टूटे गाता मन बंजारा
बाणों की शैया पर लेटा, फिर भी मत्यु न चाहे
इस इच्छा इस आकर्षण को रोये या कि सराहे
क्रूर कल्पना कितनी तट की बना रहे मंझधारा
सादर नमन दीदी
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजवाब अंक
आभार..
सादर..
जी दी,
जवाब देंहटाएंसंस्मरण सहित सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं।
सारगर्भित सूत्र, हमेशा की तरह नये परिचय के साथ बहुत अच्छी रचनाएँ।
एक विषय पर विविधतापूर्ण विचारो़ का समागम आपके अंक की विशेषता है।
सस्नेह प्रणाम दी।
स।दर
बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह...कुछ खास...कुछ अलग,सादर नमन दी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंको से सजा अंक । बहुत आभार और नमन आदरणीय दीदी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजीवन के शाश्वत गंतव्य महाप्रयाण के बहाने से अभिनव , अविस्मरनीय अंक आदरणीय दीदी | कवि नीरज का महाप्रयाण , कवि त्रिलोचन का महाप्रयाण , वैदेही का महाप्रयाण , कविवर पं.आनंदी सहाय शुक्ल का महाप्रयाण और पंछी के बहाने समस्त जीवन का प्रयाण दर्शन | सभी रचनाएँ भावपूर्ण और पठनीय होने के साथ साथ ज्ञानवर्धक भी रही |आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं इस भावों से भरे अंक के लिए |
जवाब देंहटाएंमहाप्रयाण के संदर्भों का अनूठा प्रयोग।
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