निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 10 जुलाई 2021

3085... महाप्रयाण

  

हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...

डूबे सारे शोक में, करते गुणगान

क्यों प्रतीक्षारत रहते महाप्रयाण

राजकपूर के कैंप में प्रवेश करना कठिन था, खासकर के संगीत के क्षेत्र में, मेरा नाम जोकर में दो गाने  लिखने का अवसर मिल गया

१.  कहता है जोकर, सारा जमाना और २. ऐ भाई जरा देख के चलो

कम्पोजीशन के दौरान शंकर जयकिशन ने गाने के बोल में गलतिया निकाल दी, नीरज ने तुरंत कह दिया, “क्या तुम दोनों राज कपूर से ज्यादा संगीत समझते हो….? बस फिर क्या था, नीरज की भविष्य के लिए छुट्टी हो गयी , समय ने करवट बदली , वर्षो बाद शंकर जयकिशन और नीरज ने फिर कन्यादान में साथ काम किया “लिखे जो खत तुझे “

महाप्रयाण

समय जड़वत हो कर 

उस पटल को देखता रहा कुछ क्षण

फिर ठिठक कर कूच करने को

तत्पर हुआ

उसे याद आया वह रुकना नहीं जानता

उसे तो चलते जाना है।

महा कवि का महाप्रयाण

आठवीं पार्टी कान्फरेन्स के लिए धनबाद ट्रेन पकड़ने के लिए हजारीबाग रोड से चली पैसेंजर ट्रेन के ठसाठस भरे डब्बे में कुछ देर खड़े खड़े द्रविण प्राणायाम करने के बाद जैसे ही कमर सीधी करने के लिए एक सीट का सहारा मिला और मैंने बैग से महाश्वेता देवी का "अमृत संचय" निकालकर बनारस में कर्नल नील के अत्याचारों के ब्योरे पर नज़र दौड़ानी शुरु की कि उदय ने भीड़ से सरक कर कन्धा थपथपाया और खबर दी - "त्रिलोचन जी गये"। उनकी पिछली बीमारी की खबर भी दिल्ली जाते हुए ट्रेन में मिली थी वाचस्पति जी से। स्मृतिलोप का पता "समयान्तर" में अजय सिंह के लेख को ट्रेन में ही पढ़ते हुए चला और अब उनके आखिरी सफर की खबर भी मिली सफर करते हुए।

वैदेही का महाप्रयाण

यदि किंचित भी अत्युक्ति और हो अतिरंजित

मम वचन, प्रभू! मम निखिल साधना कर खंडित

तो आप मुझे दें रौरव का अति दंड घोर-

मेरे तप का फल नष्ट भ्रष्ट होवे अथोर।

टूट गया सांसों का...

बजता रहे तार मत टूटे गाता मन बंजारा

बाणों की शैया पर लेटा, फिर भी मत्यु न चाहे

इस इच्छा इस आकर्षण को रोये या कि सराहे

क्रूर कल्पना  कितनी तट की बना रहे मंझधारा

>>>>>>><<<<<<<
पुन: भेंट होगी...
>>>>>>><<<<<<<

8 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमन दीदी
    हमेशा की तरह लाजवाब अंक
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. जी दी,
    संस्मरण सहित सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं।
    सारगर्भित सूत्र, हमेशा की तरह नये परिचय के साथ बहुत अच्छी रचनाएँ।
    एक विषय पर विविधतापूर्ण विचारो़ का समागम आपके अंक की विशेषता है।

    सस्नेह प्रणाम दी।
    स।दर

    जवाब देंहटाएं
  3. हमेशा की तरह...कुछ खास...कुछ अलग,सादर नमन दी

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंको से सजा अंक । बहुत आभार और नमन आदरणीय दीदी।

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन के शाश्वत गंतव्य महाप्रयाण के बहाने से अभिनव , अविस्मरनीय अंक आदरणीय दीदी | कवि नीरज का महाप्रयाण , कवि त्रिलोचन का महाप्रयाण , वैदेही का महाप्रयाण , कविवर पं.आनंदी सहाय शुक्ल का महाप्रयाण और पंछी के बहाने समस्त जीवन का प्रयाण दर्शन | सभी रचनाएँ भावपूर्ण और पठनीय होने के साथ साथ ज्ञानवर्धक भी रही |आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं इस भावों से भरे अंक के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  6. महाप्रयाण के संदर्भों का अनूठा प्रयोग।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...