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बुधवार, 27 नवंबर 2019

1593.. गिरे थे हम भी जैसे लोग सब गिरते हैं राहों में..

।। भोर वंदन ।।
"ओस-बूंद कहती है; लिख दूं 
नव-गुलाब पर मन की बात। 
कवि कहता है : मैं भी लिख दूं 
प्रिय शब्दों में मन की बात॥ 

ओस-बूंद लिख सकी नहीं कुछ 

नव-गुलाब हो गया मलीन। 

पर कवि ने लिख दिया ओस से 

नव-गुलाब पर काव्य नवीन॥"

केदारनाथ अग्रवाल 



जी, हाँ.. उपर्युक्त पंक्तियों में कलम,कवि और दावातों में निहित शब्दों के रंगरूप जिसे संजोने की कोशिश 
आज की लिंकों में...रचनाकारों के नाम क्रमानुसार पढ़ें..
आ० दिगंबर नासवा जी

आ० विश्वमोहन जी

आ० एकलव्य जी

आ० अनुराधा चौहान जी

आ० कमल उपाध्याय जी
आ० अश्क जगदलपुरी जी..✍

💢💢







लिखे थे दो तभी तो चार दाने हाथ ना आए

बहुत डूबे समुन्दर में खज़ाने हाथ ना आए



गिरे थे हम भी जैसे लोग सब गिरते हैं राहों में

यही है फ़र्क बस हमको उठाने हाथ ना आए



रकीबों ने तो सारा मैल दिल से साफ़ कर डाला..

💢💢





जंगल में भी प्रजातांत्रिक मूल्य अब आकृति ग्रहण करने लगे थे। जानवरों में चेतना आ गयी थी। सूचनाओं के तीव्र प्रचार-प्रसार के युग में उन्होंने भी अपने संपर्क सूत्र सुदृढ कर लिए थे। अन्य प्रजातियों की बस्ती में भी उन्होंने अपने जासूस पालतू रूप में छोड़ रखे थे जो भोजन-पत्तर, रहन-सहन से लेकर बात-विचार तक  की प्रणालियों से जंगल की जनता को जागरूक रखते। जनता बड़ी तेजी से आधुनिक हो रही ..

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हृदय हो गया बेचारा।

दर-बदर की ठोकर खाता,

फिरता है मारा-मारा।

निशब्द है भंवरों की गुँजन,

दर्द तड़पें मन के अंदर।

मुरझाए पौधे पे फूल,

चुभते हैं हृदय में शूल।

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मेरा शहर मुंबई 

खड़ा समंदर किनारे 

तनकर मौज लेता है।   

मेरा शहर मुंबई 

जो भी इसे आजमाता  

वो मन माँगी मुराद पाता
💢💢



लूट गये है बाज़ार हम आलोचना करेंगे 

ठप पड़े है व्यापार हम आलोचना करेंगे



आज जो इधर है कल वो उधर होंगे 

गिरगिटों की है सरकार हम आलोचना करेंगे



5 साल लूटा हमने अब आपकी बारी है 

आप करना भ्रष्टाचार हम आलोचना करेंगे..



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हम-क़दम का नया विषय

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।।इति शम।।

धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    बेहतरीन पंक्तियों का आस्वादन
    अप्रतिम...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! बहुत सुंदर। आभार और बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर भूमिका की पंक्तियों के साथ बेहतरीन सूत्रों का संकलन बहुत अच्छी प्रस्तुति दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह ..। सुंदर हलचल आज की
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए आज

    जवाब देंहटाएं

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