प्रातःवंदन
(अपने अपने नाम को विश्वास के साथ रख लो मेरी मंडली लिस्ट में),
आओ चाय की टपरी पर पैदल चलते हैं,
बारिश के जमा पानी के छींटें उड़ाते,
ठहाके लगाते ...
...
घर के अलग-अलग हिस्सों में
बेतरतीब पड़ी मिलेंगी किताबें
कुछ पढ़ी, कुछ आधी पढ़ी
कुछ बिना पढ़ी.
...
हास्य कवि...
पत्नी पर कविता सुनाओ तो पत्नी नाराज़ हो जाती है,
बालों पर कविता सुनाओ तो दोस्तों की हालत नासाज हो जाती है।
धर्म पर कविता सुनाओ तो
लोग सांप्रदायिक फसाद में फंस जाते हैं,
...
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर चर्चा में शामिल करने के लिएआभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंछोटी प्रस्तुती पर बढ़िया।
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