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बुधवार, 14 अगस्त 2024

4217..देता है सच्ची ख़बर..

 ।।प्रातःवंदन।।

"कवि आज सुना वह गान रे, 
जिससे खुल जाएँ अलस पलक। 
नस–नस में जीवन झंकृत हो, 
हो अंग–अंग में जोश झलक..!!"
अटल बिहारी वाजपेई
स्वतंत्र भारत का अलख लिए चलिए हम सभी 78 वां स्वतंत्र मनाए  साथ ही सभी महापुरुषों,क्रांतिकारियों  द्वारा देश के  आजादी के लिए अतुलनीय योगदान को नमन ..इसके साथ प्रस्तुतिकरण का आनन्द लेते हुए..✍️

चालीस की सड़क 

दुनिया अब बाजार में बदल गई है

दोस्त अब आत्महत्याओ में बदल गई है

मंच अब मंडियो में बदल गई है

कविताए अब पंक्तियो में बदल ...

✨️

पीड़ा 



ऐसी ही तो होती है पीड़ा 

जैसे जम गया हो भीतर 

उदासी का एक पर्वत  

अवरोधित हो गयी हो 

अविरल धारा 

छिन्नमस्तिका!

आसमान भी रो रहा था,

धरती पानी- पानी थी।

काली बाड़ी खप्परधारी,

चुप्पी ये बेमानी थी।..

✨️

स्त्रियाँ  

 स्त्रियाँ  चखी जाती हैं 

किसी व्यंजन की तरह 

उन्हें उछाला जाता है 

हवा में किसी सिक्के की तरह 

उन्हें परखा जाता है 

किसी वस्तु की तरह ..

✨️

एक तो मंदा ये कारोबार का,

 और उस पर क़र्ज़ साहूकार का।

मान लो हज़रत ! तवाज़ुन के बिना,

है नहीं कुछ फ़ाइदा रफ़्तार का।

आजकल देता हो जो सच्ची ख़बर,

नाम बतलाएँ किसी अख़बार का।

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️


5 टिप्‍पणियां:

  1. स्त्रियाँ चखी जाती हैं
    सुंदर अंक
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ ! सार्थक भूमिका और पठनीय रचनाओं का संयोजन, आभार पम्मी जी !

    जवाब देंहटाएं

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