शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ. (सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच चुनिंदा रचनाएँ-
मीत हमारा था अति मेधावी,
अति प्रिय था संदीपनि गुरु का।
आज हम हैँ दोनों अलग अलग,
पर दोनों का नाता आश्रम का।।
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बुंदेली ग़ज़ल | रामधई | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
जो तुम हमरो भलो चात हो
हमरे कांटा चुनो, रामधई!
हम समझे गुनगुनो, रामधई!
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जब क्लास ले
ली सब्जी वाली अम्मा ने! किस्सा-ए-रायपुर
तो बात हो रही थी
हमारे विस्थापन की ! हमारा ठिकाना बना था, न्यू शांति नगर !
तो एक बार ठंड के दिनों में ऐसे ही विभिन्न खाद्य पदार्थों की रायपुर में उपलब्धि
पर चर्चा में मकई का आटा भी आ फंसा ! उन दिनों किराने की सबसे नामी दूकान घनश्याम
प्रोविजन स्टोर हुआ करती थी, जो मोती बाग के पास चौराहे पर, मालवीय रोड़ से
फर्लांग भर दूर स्थित थी। बताया गया कि और कहीं मिले ना मिले वहाँ जरूर मिल
जाएगा!मैंने अपना स्कूटर उठाया और पहुँच गए घनश्याम किराना भंडार ! दस मिनट भी तो
नहीं लगते थे ! *****
बाढ़ को "मौसमी हत्यारा" कहा जाता है। क्योंकि इससे हजारों लोगो को
जिंदगियां प्रभावित होती है। कुछ तो बाढ़ की बिभीषिका के बलि चढ़ जाते हैं और कुछ
बाढ़ के गुजरने के बाद जिन्दा होते हुए भी मरे से भी बतर जीवन गुजारने को मजबूर
होते हैं। क्योंकि बाढ़ के बाद की तबाही का मंजर बहुत भयानक होता है जिसका असर महीनो चलता है।
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जबरदस्त अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
जबरदस्त अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात ! शीर्षक पंक्ति शरद जी की रचना से है, सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, 'एक जीवन एक कहानी' को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंशानदार अंक।
जवाब देंहटाएंसराहनीय अंक, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने केलिए दिल से शुक्रिया, पांच लिंकोऺ के सभी आदरणीय सदस्यो और सभी साथी रचनाकारों को मेरा सादर अभिवादन 🙏
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर मान देने हेतु हार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएंउत्तम संकलन।
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