सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
कजरारी काली रातों में,
तारा बन कर जीया करे।
वेदनाओं को भूल-भाल कर,
ख़ुशियों वाली राह चले॥
जो पावन है वही शेष रहेगा
मायावी हर बार चला ही जाएगा
जैसे मृत्यु ले जाएगी देह
पर आत्मा तब भी निहारती रहेगी!
नए दस्तखत,
नए मुतालबे,
ज़िन्दगी
को हमने,
जो बूंदें थी नीचे जा गिरी ,
वो अभी तक #मदहोश पड़ी ,
कुछ बाहों में सिमटी सिमटी,
#किस्मत थी अच्छी जिनकी।
कुछ घरों में औरतें
जलती है
सुबह से शाम तक
और रात होने पर
शरीर पर उग आये फफोले को
धो देती हैं नमक के पानी से
जो पावन है वही शेष रहेगा
जवाब देंहटाएंशानदार अंक
आभार
सादर
अति सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना ब्लॉग "#भीगकर तुमने #बारिश में " को इस मंच में स्थान देने हेतु धन्यवाद एवम आभार ।...
सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा ।
सादर ।
सुन्दर लिंकों से सुसज्जित संकलन ।”सदा सर्वदा” को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सुसज्जित चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह! अनुज रविन्द्र जी ,शानदार अंक।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर और सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसराहनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देता एक और अभिनव अंक, आभार 'मन पाये विश्राम जहां' को भी सम्मिलित करने हेतु रवींद्र जी!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत उत्कृष्ट सूत्रों से सजी प्रस्तुति।सभी सम्मिलित रचनाकारों को बहुत- बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।इस सार्थक प्रस्तुति आपको आभार और बधाई रवींद्र भाई 🙏
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