सादर अभिवादन
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सर्व प्रथम पाँच लिंक मंच के समस्त स्नेही पाठक वृन्द को मेरा सप्रेम अभिवादन !
आज एक बार फिर से बड़े स्नेह से मुझे प्रिय यशोदा दीदी की ओर से अतिथि चर्चाकार बनने के लिए आमंत्रित किया गया | ये मेरा सौभाग्य है | आज के दिन यहाँ होना इसलिए भी ख़ास है क्योंकि आज हमारे इस प्यारे मंच का आठवाँ स्थापना दिवस है |सभी अत्यंत प्रतिभाशाली और कलम के धनी चर्चाकारों के साथ आदरणीय यशोदा दीदी और बड़े भैया दिग्विजय जी अग्रवाल इस मंच की स्थापना कर अपने एक सार्थक स्वप्न को साकार किया | ये मंच साहित्यिक भाईचारे का अनुपम मंच हैं जहाँ विभिन्न ब्लॉग अपना परिचय और विस्तार दोनों पाते हैं | क्योंकि पाँच लिंक मंच पहली प्रस्तुति जगन्नाथपुरी की सुप्रसिद्ध रथयात्रा के दिन लगाई गयी सो मंच पर इस दिन का ख़ास महत्व है क्योंकि रथ यात्रा एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक यात्रा है तो इस साहित्यिक मंच की यात्रा सृजन की यात्रा है | दोनों ही आंतरिक भाव से जुडी हैं | जब इंसान झुड से जुड़ता है तो वह खुद को बेहतरीन ढंग से अभिव्यक्त करता है || |यूँ पहली प्रस्तुति की तिथि 19 जुलाई 2015थी जबकि अबकी बार ये यात्रा आज यानि 20 जून को शुरू हो रही है ,अतः आज ही मंच का आठवाँ स्थापना दिवस है |मंच के सभी चर्चाकारों को उनकी निष्काम सेवा के लिए नमन और हार्दिक बधाई जिन्होंने ना जाने कितने रचनाकारों की भावाभिव्यक्ति को अनगिन पाठकों तक पहुँचाया| जब एक रचनाकार की रचना को विभिन्न पाठक अपनी नज़र से देखते हैं उस आनंद की कोई सीमा नहीं | क्योंकि एक रचनाकार को केवल सम्मान और प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है जो इस मंच से जुड़कर सभी को भरपूर मिला है |आइये आज की रचनाओं की और चलते हैं ---
ओंकार जी बहुत सहज और सरल लिखते हैं | हर कोई उनकी रचना के मर्म को पहचान सकता है | हर विषय पर उनका दृष्टिकोण और लेखन शैली प्रभावित किये बिना नहीं रहती | इसी क्रम में नदी पर उनकी मार्मिक रचना जिसमें नदी को भावपूर्ण उद्बोधन दिया गया है | नदी शायद नहीं जानती उसके अस्तित्व की गरिमा उसके मौन बहने में नहीं अपितु उसके सम्मान के लिए कभी -कभार उसका रौद्र रूप धारण करना भी जरूरी है ---
पर कभी-कभी तुम में
उफान भी आना चाहिए,
बहुत ज़रूरी है यह
तुम्हारी अस्मिता के लिए.////
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अनीता जी के लेखन में सकारात्मकता है , जीवन की उमंग है और निराशा से बाहर निकलने का आह्वान है | आध्यात्म पर उनकी पकड बहुत मजबूत है | अपने दुखों और निराशाओं के सहेजकर रखने वाले कभी जीवन का भरपूर आनंद नहीं उठा सकते | यदि सच्ची ख़ुशी चाहिए कुंठाओं से मुक्त करना ही होगा मन को | यही कहती है ये पुलकती रचना --
नदिया सा बह जाने दो मन
हो वाष्पित उड़ जाने दो मन
चम्पा सा खिल जाने दो मन
लहर लहर लहराने दो मन/////
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आदरणीय आशा जी अपने भीतर के सहज भावों को लिखने में माहिर हैं |विभिन्न विषयों पर उनका लेखन लगातार जारी है |उनकी प्रस्तुत रचना में ईश्वर से एक मधुर शिकवा है | क्योंकि जो कुछ संसार से हमें नहीं मिलता वह हम ईश्वर से पाने की आशा करते हैं. पर कभी -कभार यहाँ से भी मनचाहा ना मिले तो भक्त का मन विकल हो ईश्वर से अपने प्रश्नों के उत्तर माँगता है | कुछ इसी भाव की रचना है --
तुम मेरे हो मेरे ही रहो
श्याम सलोने और किसी के नहीं
मुझे राधा मीरा से भी ईर्षा होती है
और तुम्हारे अन्य भक्तों से
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ब्लॉग जगत को अनूठे ' उलूक दर्शन ' से परिचित करवाने वाले सुशील कुमार जोशी जी ब्लॉग जगत में किसी पहचान के मोहताज नहीं |उलूक का संसार को देखने का अपना नजरिया है अपना चश्मा है | दुनिया के बिगड़ते समीकरणों से उलूक भी परेशान है | कुछ मौन धारण करने की असफल चेष्टा भी है पर इस मौन भी एक बेचैनी है जो रचना में ढल गयी ---
हड़बड़ाना बंद हो गया सकपकाना बंद हो गया
सुकून शब्दकोष में सो गया
नीद बेहोशी सी हो गयी
सपनों का आना बंद हो गया
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तुषार जी ब्लॉग जगत के मधुर कवि और गीतकार हैं |उनकी रचनाओं में कोमलता और माधुर्य है | मोहक शब्दावली से संवरे उनके गीत मन को छू जाते हैं |प्रस्तुत गीत मौसम के बदलते मिजाज़ पर कवि मन की मार्मिक अभिव्यक्ति है |जो ऋतुओं का स्वाभाविक चलन था वह कैसे अचानक बदल गया यही सार है गीत का |
एक गीत -एक भी आषाढ़ में बादल नहीं है-
किताबों के
गीत में वंशी नहीं मादल नहीं है.
कौन ऋतुओं से
भला पूछे
एक भी आसाढ़ में बादल नहीं है.
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और अब सदी के दो अमर कलाकारों लता जी मंगेशकर और भीमसेन जोशी द्वारा गया एक प्रसिद्द भजन जो मेरे मन के बहुत करीब है --
//youtu.be/J7DP-sCeHmE|
अंत में एक बार फिर से पांच लिंक मंच को उसके स्थापना दिवस पर ढेरों शुभकामनाएँ | इस मंच की महफ़िलें सदा आबाद रहें यही दुआ है |
रेणु
सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंतीनों को
दाऊ भैय्या, बहना सुमद्रा और श्री कृष्ण को
आभार बहन रेणु और भाई रवींद्र जी और परोक्ष रूप से जुड़ी सखी श्वेता को,आप तीनों को इस वजनदार प्रस्तुति हेतु....
बधाइयां शुभकामनाएं....
हार्दिक आभार
सादर
सच कहूँ तो ये प्रस्तुति प्रिय श्वेता के बिना सम्भव न हो पाती।देर रात में प्रस्तुति को नये कलेवर में उसी ने सजा कर खास बना दिया ।
हटाएंसादर प्रणाम तीनों मूर्तियों को
जवाब देंहटाएंसादर आभार इस शानदार अंक के लिए
आठ वर्षों का यह बालक अभी भी प्रशिक्षु अवस्था में है,
आभार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े सहयोगी भाई बहनों को,
सादर शुभकामनाएं,
सादर....
जी दीदी,हार्दिक आभार इस शुभअवसर का हिस्सा बनाने के लिए। इस स्नेहिल मंच को बालक नहीं अपितु एक आठ साल का छायादार वृक्ष कहना चाहिए जिसकी सघन छाँव में साहित्यिक भाईचारा फलफूल रहा है,जहाँ से रचनाकार आपसी सौहार्द,शिष्टाचार और विनम्रता का संस्कार ग्रहण करते हैं।एक दूसरे की रचनाओं को खुले दिल से सराह कर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए साहित्य सृजन में अपना योगदान देते हैं। प्रिय श्वेता को हार्दिक आभार जिसने प्रस्तुति को रंगीन और असाधारण बना दिया।एक बार फिर से आभार और प्रणाम 🙏🌹🌹
हटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
शुक्रिया
प्रणाम और आभार प्रिय दीदी 🙏
हटाएंपांच लिंकों के आनंद की यात्रा के आठवें मील के पत्थर को स्थापित कर मंच को आगे बढाने के लिए इसके सभी स्तंभों के लिए साधुवाद| यशोदा जी और दिग्विजय जी की मेहनत सफल होवे कारवां इसी तरह आगे बढ़ता चले| शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंरेणु जी ने बहुत खूबसूरती से रचनाओं का संकलन किया है| आभार 'उलूक' की बकबक को स्थान देने के लिए | श्वेता जी को भी धन्यवाद इस अंक के लिए|
स्वागत है आपका सुशील जी 🙏
हटाएंसुप्रभात! रथयात्रा के पावन अवसर पर सभी पाठकों को शुभकामनाएँ। पाँच लिंकों की इस अनुपम यात्रा के लिए भी सभी आयोजकों को हार्दिक बधाई, आज का अंक रेणु जी की लेखनी के जादू से बहुत ही विशेष बन पड़ा है, 'मन पाये विश्राम जहां' को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंस्वागत और आभार अनीता जी 🙏
हटाएंशानदार अंक. बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंअभिनंदन और आभार ओंकार जी 🙏
हटाएंरथयात्रा की सबको हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंइस मंच के स्थापना दिवस के उपलक्ष में इस मंच से जुड़े हर चर्चाकार को बधाई और शुभकामनाएँ । विशेष रूप से प्रिय यशोदा के निष्काम भाव से किये श्रम को नमन ।
प्रिय रेणु ने अतिथि चर्चाकार के रूप में अपने दायित्व का पूर्णरूपेण निर्वाह किया है ।
सभी लिंक बेहतरीन सहेजे हैं ।
सुंदर और सारगर्भित आंक के लिए आभार ।
प्रणाम और आभार प्रिय दीदी।🙏
हटाएंवाह लाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंस्थापना दिवस और रथयात्रा की बहुत बहुत शुभकामनाएं
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंस्वागत और आभार प्रिय भारती जी 🙏
हटाएंवाह! सुन्दर प्रस्तुति सखी रेणु जी ।पाँच लिंकों का आनंद आज आठ वर्ष पूरे कर रहा है ..हार्दिक शुभकामनाएँ ..सफर बस यूँ ही जारी रहे ..वाकई यहाँ आकर मन आनंदित हो जाता है व
जवाब देंहटाएंअभिनंदन और आभार प्रिय शुभा जी 🙏
हटाएंस्थापना दिवस के इस विशेष अवसर पर आज की इस विशेष प्रस्तुति को इतनी विविधता से विशेष बनाने हेतु रेणु जी एवं
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता को बहुत बहुत बधाई ।मंच से जुड़े सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
सभघ लिंक बेहद उम्दा एवं पठनीय हैं बधाई चयनित रचनाकारों को भी ।
स्थापना दिवस के इस विशेष अवसर पर आज की इस विशेष प्रस्तुति को इतनी विविधता से विशेष बनाने हेतु रेणु जी एवं
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता को बहुत बहुत बधाई ।मंच से जुड़े सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
सभघ लिंक बेहद उम्दा एवं पठनीय हैं बधाई चयनित रचनाकारों को भी ।
हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय सुधा जी 🙏
हटाएंपांच लिंकों की शाश्वत रथ यात्रा के आठवें दिवस के शुभ अवसर पर आज की चर्चाकार, सभी रचनाकार और हलचल परिवार के सभी साहित्यकार सदस्यों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🌹❤️🌹🙏
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत और आभार आदरणीय विश्वमोहन जी 🙏
हटाएंआपका हृदय से आभार. सभी लिंक्स अच्छे पठनीय. नमस्ते
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और प्रणाम तुषार जी 🙏
हटाएंपांच लिंकों की इस आठ वर्ष की यात्रा पूरी करने पर हृदय से बधाई ,सभी सदस्यों को शुभकामनाएं।🙏🌺
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार और प्रणाम प्रिय उर्मि दीदी 🙏
हटाएंजगन्नाथपुरी की रथयात्रा की तिथि और 'पाँच लिंकों का आनन्द' का स्थापना दिवस संयोग से एक ही हैं अतः आज की प्रस्तुति का आनन्द ही कुछ और है।
जवाब देंहटाएंअंतरराष्ट्रीय कैलेंडर के अनुसार वर्ष में 365/366 दिन होते हैं जबकि भारतीय काल गणना विधि में साल में 360 दिन होते हैं (हरेक महीना 30 दिन का) अतः यह अंतर तिथि और तारीख़ का है इसलिए रथयात्रा और ब्लॉग के स्थापना दिवस में यह तकनीकी अंतर पहेली जैसा है।
आदरणीया रेणु दीदी का प्रस्तुतीकरण निस्संदेह सराहनीय है। हमें इस मुक़ाम तक पहुँचाने के लिए समस्त सुधी पाठकों के सहयोग एवं समर्थन के लिए सादर आभार।
जी रवींद्र भाई,आपने कुछ बातों पर जो प्रकाश डाला है वो निसन्देह जरुरी था।और जो गणना भारतीय काल गणना और अन्तराष्ट्रीय समय सारिणी में अंतर मात्र ब्लॉग पर ही नहीं हर जगह है।और समायाभाव के कारण प्रस्तुति बहुत जल्दबाजी में तैयार हुई फिर भी सभी सराहने वालों को ढेरों आभार और नमन आपको भी शुभकामनाएं और बधाई 🙏
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों के स्थापक समूह,सभी चर्चाकार, सदस्य,रचनाकार एंव सुधि पाठक वर्ग सभी को पाँच लिंकों के शुभ स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एंव अनंत बधाईयाँ ।
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति शानदार ही नहीं यादगार भी हैं रेणु बहन को इस शानदार प्रस्तुति के लिए आत्मीय शुभकामनाएं, सभी प्रस्तुत रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सादर सस्नेह।
आभार और अभिनंदन आपका प्रिय जसुम बहन 🙏
हटाएं'पाँच लिंकों का आनंद' के आठवें स्थापना दिवस पर सभी चर्चाकारों,रचनाकारों और पाठकों को हृदयहर्षिल बधाई।आदरणीय यशोदा दीदी और सभी चर्चाकारों को निस्वार्थ भाव से अनवरत साहित्य सेवा के लिए नमन।
जवाब देंहटाएंइस मनमोहक अंक के लिए प्रिय रेनू जी और श्वेता जी को बधाई ,स्नेह और आभार।