निवेदन।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 8 जून 2023

3782...धीरे धीरे प्रतिबन्ध बढ़ने लगे

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया आशालता सक्सेना जी की रचना से।  

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ।

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

शेष जीवन

धीरे धीरे प्रतिबन्ध बढ़ने लगे

समाज का दखल भी बढ़ा

रिश्ते भी आने लगे

कभी प्यार से समझाया

कभी वरजा गया मुझे।

शायरी | कहां खो गया | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

जाने वो कब, कहां  खो गया

हमने   था   ख़ूब   सम्हाला।

संघर्ष करते जाएँगे (कविता)

धैर्य भाव और हिम्मत से,अपना काम निकालेंगे।

मेहनत को मुकाम बनाकर, बिगड़ी बात संभालेंगे।

असफलता को धूल चटा,उत्कर्ष करते जाएँगे।

संघर्ष करना धर्म हमारा...

जिस पल भी मन ठहरेगा

तीव्र गति से भागते हुए दरिया से मन को आहिस्ता-आहिस्ता बांध लगाये, फिर थिर पानी में स्वयं की गहराई का अनुभव करे। उस शांत ठहरे हुए मन की गहराई में पहली बार ख़ुद की झलक मिलती है। कोमल, स्निग्ध, शांति का अनुभव होता है।

द्रुमकुल्य क्षेत्र अर्थात् कज़ाखस्तान:जहां श्रीराम ने समुद्र को सुखाने वाला ब्रह्मास्त्र छोड़ा था

वाल्मीकि रामायण मे दिए गए वर्णन के अनुसार ब्रह्मास्त्र की गर्मी से द्रुमकुल्य के डाकू मारे गए. लेकिन इसकी गर्मी इतनी ज्यादा थी कि सारे पेड़-पौधे सूख गए और धरती जल गई. इसके कारण पूरी जगह रेगिस्तान में बदल गई और वहां के पास मौजूद सागर भी सूख गया. यह वर्णन बेहद आश्चर्यजनक है और जिस तरह से लंका तक बनाए गए रामसेतु को भगवान राम की एतिहासिकता के सबूत के तौर पर माना जाता है उसी तरह इस घटना को भी सही माना जाता है.

चलते-चलते पढ़िए भावों का सघन घनत्त्व लिए दार्शनिक तेवर की अचर्चित रचना-

निर्दोष

 

संकुचित मन की परतों से
टकराकर निष्क्रिय हो जाते है
तर्कों के तीर
रक्त के छींटो से मुरझा जाते हैं
सौंदर्य के फूल
काल्पनिक दृष्टांतों के बोझ तले
टूट जाती है प्रमाणिकता

 *****

फिर मिलेंगे।

 रवीन्द्र सिंह यादव

 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! साहित्य के विविध रूपों को एक गुलदस्ते के रूप में संजोए हुए आज का अंक पाठक को आनंद, रस और बोध के पलों का आस्वादन कराने में सक्षम है, बहुत बहुत आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत-बहुत से आभारी हूँ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...