शीर्षक पंक्ति: आदरणीय जयकृष्ण राय तुषार जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक के साथ हाज़िर हूँ-
सब बड़ों का कहना माना जाए
किसी से बहस ना की जाए
खुद को मर्यादा में रखा जाए
यही शिक्षा आज के किस्से से ली मैंने।
कर्ज़ हम पर छोड़ कर तू चल दिया,
गर्व करने का हमें है पल दिया।
हम न भूलेंगे तेरे बलिदान को,
ऐ सिपाही देश को नव बल दिया
तुझपे न्योछावर सदा तन और मन।
भारती के वीर धरनी के सजन॥
नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है
काजल तो आँखों को सिर्फ़ सजाता है
हवा उड़ा ले जाती जिसको मीलों तक
उस बादल से सूरज क्यों ढक जाता है
लम्बे जीवन के लिए सुपरफूड केफीर -सतीश सक्सेना
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
नज़र रहे तो सारी दुनिया अच्छी है
जवाब देंहटाएंकाजल तो आँखों को सिर्फ़ सजाता है
शानदार अंक
आभार
सादर
सुप्रभात! पठनीय लिंक्स की खबर देता सुंदर अंक!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार भाई. मेरे ब्लॉग पर कई बार लिंक का कमेंट स्पेम हो जा रहा है. अभी देखा हूँ तो आपकी टिप्पणी प्रकाशित किया. पुनः आभार
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