हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
शिक्षा के लिए सबकी जरूरतों में शामिल यानी हर घर की जरूरत
विज्ञान कितना भी विकास कर ले. उन्नत से उन्नत रोबोट बना ले और उसमें दुनिया भर के चाहे जितने डाटा फीड कर ले, लेकिन कोई मौलिक कविता या कहानी तब भी नहीं रच सकता. सृष्टि में यह वरदान सिर्फ और सिर्फ मनुष्य को मिला है कि वह अपनी या दूसरी की भावनाओं, विचारों और अनुभूतियों को रचनात्मक अभिव्यक्ति दे सके. यह रचनात्मक अभिव्यक्ति दरअसल अपनी एक अलग दुनिया बनाने की कोशिश की तरह है. उसी तरह जैसे विश्वामित्र ने कभी इन्द्र से नाराज होकर अपना एक अलग स्वर्ग बनाने की कोशिश की थी.
मज़े से गिन सितारे छत न हो तो
समंदर क्या अगर वुसअत न हो तो
कहा ठंडी हवा ने कैक्टस से
इधर भी आइयो ज़ह्मत न हो तो
तुम्हें भी आ गया ख़ैरात करना
कोई फ़ितना सही आफ़त न हो तो
दिल हुआ कश्मकश-ए चारह-ए ज़ह्मत में तमाम
मिट गया घिस्ने में इस `उक़्दे का वा हो जाना
अब जफ़ा से भी हैं मह्रूम हम अल्लाह अल्लाह
इस क़दर दुश्मन-ए अर्बाब-ए वफ़ा हो जाना
ज़ु`फ़ से गिर्यह मुबद्दल ब दम-ए सर्द हुआ
बावर आया हमें पानी का हवा हो जाना
उम्र देखो तो आठ साल की है, अक्ल देखो तो साठ साल की है,
वो गाना भी अच्छा गाती है, गरचे तुमको नहीं सुनाती है,
बात करती है इस क़दर मीठी, जैसे डाली पे कूक बुलबुल की है,
जब कोई उसको सताता हैतब ज़रा ग़ुस्सा आ जाता है,
पर वो जल्दी से मन जाती हैकब किसी को भला सताती है,
शिगुफ्ता बहुत मिज़ाज उसकाउम्दा है हर काम काज उसकाहै
बाहों में लिपट रहा था गजरा
और सारे बदन से फूटता था
उसके लिए गीत जो लिखा था
हाथों में लिए दिये की थाली
उसके क़दमों में जाके बैठी
आई थी कि आरती उतारूं
विश्वामित्र सब कर सकता था
जवाब देंहटाएंउसे नई सृष्टि बनाने से रोका
भगवान श्री विष्णु ने
आज के विज्ञान से काफी अधिक सोचते थे वे, मानव भी बना रहे थे, भगवान के दखल से उनकी वह कृति नारियल बनकर रह गई
आभार
सादर नमन
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरोचकता लिए सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय दी,
जवाब देंहटाएंनायाब अंक। लेख तो शानदार है ही बाकी नामचीन शाइरों की गज़ल,नज़्म पढ़कर आनंद आ गया। बस अमीर खुसरो की गज़ल समझने की कोशिश ज़ारी है😕
आभार दी इस शानदार संकलन के लिए।
प्रणाम
सादर।
सुंदर प्रस्तुति।
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