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बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

3670..डगर पनघट की - -

।। प्रातःवंदन।।

ओस-बूंद कहती है; लिख दूं
नव-गुलाब पर मन की बात।
कवि कहता है : मैं भी लिख दूं
प्रिय शब्दों में मन की बात॥
ओस-बूंद लिख सकी नहीं कुछ
नव-गुलाब हो गया मलीन।
पर कवि ने लिख दिया ओस से
नव-गुलाब पर काव्य नवीन॥
~केदारनाथ अग्रवाल
शब्दों का विस्तार देते हुए आज के प्रस्तुति में शामिल रचनाएँ ..✍️

मिलने की #आरजू की है किल


घाव दे जाते हो कितने ऐ कातिल ,

कि गुजरते है लम्हे कई होने में फिल,

मिलकर बिछड़ने से डरता है ये #दिल ,

इसलिए तो मिलने की #आरजू की है किल।

🌼

बदलाव - 'अपनों के खातिर'

Change story

आज जब आकाश ने धरा का हाथ अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से कहा, "इधर आओ धरा ! हमेशा जल्दी में रहती हो, जरा पास में बैठो तो" ! तो अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पायी वह,..

🌼

डगर पनघट की - -







प्रणय बंध के अतिरिक्त, बाध्यता हैं अंतहीन,
कुछ दृष्टव्य अति स्पष्ट, कुछ हैं बहुत  महीन,

दूरत्व मिटा देता है समस्त अनुरागी - अनुबंध,
जब तक परस्पर के नज़दीक, हर पल है रंगीन..

🌼

हम एकाकी


प्रेम अगर पाया भीतर तो

मिले यह सृष्टि प्रेम लुटाती, 

स्वयं से भी जो न जुड़ पाया

पीड़ा मन की रहे सताती

🌼

--एक प्रणय गीत --

खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में, प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा

 ये लचकती महकती हुई डालियाँ

 झुक के करती हैं तुमको नमन, राह में

 हाथ बाँधे हुए सब खड़े फ़ूल  हैं..

🌼

।।इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात 🙏
    बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति और केदारनाथ जी की पंक्तियाँ चार चाँद लगा रही मंच को!
    सादर.......
    आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय पम्मी मेम,
    मेरी लिखी रचना "मिलने की आरजू की है किल " को इस "पांच लिंकों का आनन्द" मंच में स्थान देने।लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. मुझे शामिल करने हेतु आपका हृदय तल से आभार । सभी रचनाएं प्रणय गंध लिए हुए मुग्ध करते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. केदारनाथ अग्रवाल जी की शानदार पंक्तियों के साथ बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति । सभी लिंक्स बेहद उत्कृष्ट ।
    मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी !
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  5. देर से आने के लिए खेद है, अति सुंदर भूमिका और उम्दा रचनाओं का चयन इस अंक को विशेष बना रहा है, आभार!

    जवाब देंहटाएं

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