घर- आंगन के हर कोने से
स्मृतियों के तो तार जुड़े है
कौन तार गठरी में बाँधू
सब के सब अपने लगते हैं
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घर- आंगन के हर कोने से
स्मृतियों के तो तार जुड़े है
कौन तार गठरी में बाँधू
सब के सब अपने लगते हैं
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बेहतरीन अंक..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
शानदार गीत
जवाब देंहटाएंआभार
बेहतरीन सूत्रों से सुसज्जित सुन्दर संकलन। इस संकलन में मेरे सृजन को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं से सजा संकलन अति उत्तम है ,हमारी रचना मो स्थान देने के लिए प्रिय श्वेता जी की आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंमेरी इस रचना को इन सुन्दर रचनाओं मे स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam.
जवाब देंहटाएंसुंदर, पठनीय रचनाओं का संकलन।
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