।। उषा स्वस्ति।।
ऊषे!
किसका सन्देशा लाई हो
चिर प्रकाश या चिर अन्धकार का?
अरुणिम वेला में आकर अम्बर पर
बनकर प्रकाश की पथचरी
चिर अनुचरी!
उसके आने का सन्देशा देकर
फिर पथ से हट जाती हो..!!
विजयदान देथा 'बिज्जी'
लायी हूँ शब्दों की कुछ खास बातें..महसूस करिये इन्हें पढकर ,तो चलिये जल्दी जल्दी हो आते हैं इन लिंकों की ओर...✍️
ज्यों हंस के श्वेत पंखों में
बसी है धवलता
हरे-भरे जंगल में रची-बसी हरीतिमा
जैसे चाँद से पृथक
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आज रात बहुत कठिनाई से
किसी की चाहत से बड़ा
उसका कोई खरीदार नहीं है |
दुविधा में हूँ जाऊं या न जाऊं
स्वप्नों के उस बाजार
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बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....
हिमांचल प्रदेश और उत्तराखण्ड के बाद अब अरुणांचल प्रदेश में भी चीनी बसाहट का दूरदर्शी अभियान प्रारम्भ हो चुका है जिसका प्रतिकार करने के लिये भारत को कोई ठोस कदम उठाना होगा ।
छीन-झपट और गुण्डई में विश्वास रखने वाले चीन का सामाजिक और राजनीतिक इतिहास उथल-पुथल से भरा रहा है । चीन में प्रचलित कन्फ़्यूसियनिज़्म
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ज़िन्दगी तुझसे अब पहली वाली मुलाकात नही होती...
कुछ कभी अच्छा नही लगता,कुछ मेरे जैसी बात नही होती,
ज़िन्दगी तुझसे अब पहली वाली मुलाकात नही होती,
वक़्त के दरिया में तिनके सा बहा जाता हूँ,
कोई मौजे नही उठती कोई बरसात नही होती,..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
विजयदान को साथ सुन्दर आगाज़
जवाब देंहटाएंशानदार अंक
आभार
सादर
ज़िंदगी को समझने और समझाने का प्रयास करती रचनाओं से सजा अंक जैसे फूलों से गुलदान, आभार !
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक। बहुत ख़ूब।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकिसका सन्देशा लाई हो
जवाब देंहटाएंचिर प्रकाश या चिर अन्धकार का?
रास्ते बस इन लिंक्स की तरह जगमगाते रहने चाहिए
आभार
Thanks for the post here
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