आप सभी को भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
किसे अच्छी नहीं लगती आजादी
जिसे अच्छी नहीं लगती वे अपना हाथ खड़े करे
कसम से, कोई नहीं खड़ा करेगा अपना हाथ
......
अनादिकाल से दानव-दैत्य का
वैमनस्य देवताओं से चला आ रहा है
कोई शान्त और संतुष्ट गर होता भी है
तो दैत्य गुरु शुक्राचार्य
अपने कमंडल का जल अपना अंजुली मे लेकर
भस्म करने की चेतावनी देते है
आज के युग में भी असंतुष्ट दैत्य हैं
वे जानते है हैं कि वे कुछ नहीं बिगाड़ सकते ..पर
देश को अस्थिर तो कर सकते हैं..और इसका फायदा
आधुनिक नारद बखूबी उठाते हैं और
ये ही आधुनिक शुक्राचार्य हैं,
आहुति से ही ये शान्त होते हैं...
चलिए ये तो होता ही रहता है और रहेगा.....
शब्द ढूँढे एक कोना
रिक्त अब पाती पड़ी।
लेखनी रूठी हुई है
आस कोने में खड़ी।
लेखनी को फिर मनालो
भाव लिख दो गीत के।
चाँद टीका नभ सजाए
सावन की आहट ...... विभा ठाकुर हो दुनियाँ भर की खुशियाँ
तेरे - मेरे दामन में
तुम यूं ही हंसते रहना
जीवन की हर राहों में.
लू ...अनीता सैनी हरेक पंक्ति होती है जिसकी, मानो ..
हो शाम से तर क्यारी कोई,
चाँदनी में जेठ की पूनम की,
मंद-मंद सुगंध बिखेरती,
रात भर खिली रजनीगंधा की।
या फिर सुबह-शाम वैशाख में
हों सुगंध बिखेरते क्षुप कईं मेंथा के,
इधर-उधर डोलती घटा की
ज़िंदगी तब पूरी होती है
जब वह बरस जाती है
मिट जाती है ....
देवगुरु बृहस्पति को अनुमति दें
शुभकामनाएं, शुभकामनाएँ और शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन अग्रालेख के साथ नियमित रचनाएँ
आभार..
सादर..
💕💕अशेष शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस💕💕
जवाब देंहटाएंजी ! सुबह-सवेरे वाले अलसाए रविवारीय नमन संग आभार आपका .. जो आज "स्वतंत्रता दिवस" के सुअवसर (?) और शुभ दिन (?) पर आम बनावटी एक रंग में रंगने के बजाय, अपनी आज की बहुरंगी अलहदा प्रस्तुति में अपने मंच तक, मेरी इस बतकही को लाकर, "हँसुआ के बिआह में खुरपी के गीत" को चरितार्थ करते हुए,आप हमारा साथ दे रहे हैं 🙏🙏🙏.. बस यूँ ही ...
जवाब देंहटाएंहमारी एक पुरानी बतकही "काला पानी की काली स्याही"
https://subodhbanjaarabastikevashinde.blogspot.com/2020/01/blog-post_24.html?m=1
के कुछ अंश आज को समर्पित ...🙏🙏🙏
हर्षोल्लास को दोहरी करती
मनाते हैं हम राष्ट्रीय-पर्व की छुट्टी
खाते भी हैं जलेबी और इमरती
पर .. टप्-टप् टपकती चाशनी में
इन गर्मा-गर्म जलेबियों और इमरतियों की
होती नहीं प्रतिबिम्बित कभी क्या आपको
उन शहीदों के टपकते लहू
उनके अपनों के ढलकते आँसू
यूँ ही तो मिली नहीं हमको .. आज़ादी
ना जाने कितने ही अनाम .. गुमनाम..
और नामी शहीदों के वीर शरीरों को
मशीनों में ज़ुल्मों की .. गन्ने जैसे पेरे गए ..
शहीद किए गए .. तन के संग उनके अपनों के
रस भरे रसीले सपनों को भी।
बनी उसी से स्वाधीनता-संग्राम की
मीठी-सोंधी गुड़ की डली और ..
उसी डली से बनी तभी तो मीठे पुए-सी मीठी आज़ादी
हाँ .. हाँ .. वही आज़ादी ...
(वैसे आज का दिन तो, यशोदा जी का है .. कोई उपवास-व्रत में शामिल हैं क्या आज 🤔🤔 ... या अकेले-अकेले जलेबियाँ खाने में व्यस्त रह गई हैं 🤔🤔 ) 😃😃😃
आभार ..
सादर ..
बेहतरीन.शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं से सजा हुआ अंक,मेरी तरफ से सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्र भारत के 75 वें वर्ष में पदार्पण करने पर सभी को बधाइयाँ। गर्व है भारतीय होने पर। सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर मंच पर स्थान देने हेतु।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँँ 💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳। खूबसूरत लिंकों से सजा अंक .
जवाब देंहटाएंवाह, सुन्दर और पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन । आज पढ़ पाई सब लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी..
हटाएंसादर नमन..