नमस्कार मित्रों ! कल हर जगह , ब्लॉग हो या फेसबुक हर जगह मित्रों का बोलबाला रहा । सबने मित्रों को याद किया , शुभकामनाएँ दीं और लीं । लेकिन मित्रों की इस भीड़ में कौन सच्चा मित्र ये जानना बहुत मुश्किल । वैसे भी एक सच्चा दोस्त पाना अपने आप में एक उपलब्धि होती है । मित्र दिवस पर अपनी एक पुरानी रचना उद्धृत कर रही हूँ -
कल अचानक ही
इस नेट की दुनिया ने
मेरे ज्ञान चक्षु खोल दिए
और मुझे पहली बार ही
पता चला कि --
साल भर में एक दिन
दोस्ती का भी होता है
शायद बाकी दिन
लोग दुश्मनी निबाहते हैं ।
ये पश्चिमी सभ्यता
भारतीय संस्कृति पर
कैसा कब्जा जमा रही है
दोस्ती के साथ साथ
माँ - बाप के लिए भी
साल में एक एक दिन
मना रही है ।
थोड़ी लम्बी कविता है इसलिए जो पढना चाहें कृपया ब्लॉग पर पूरी पढ़ें ....
अब इस पर सबके विचार अलग अलग हो सकते हैं , सोचने विचारने के लिए सब स्वतंत्र हैं ।
आइये अब चलते हैं आज के लिंक्स पर ---
बात मित्रता दिवस की है तो आपको पढ़वाते हैं मित्रता के ऊपर गिरीश पंकज जी के शानदार दोहे ,जो सार्थक संदेश दे रहे हैं और कैसे कैसे मित्र होते हैं ये भी समझा रहे हैं ---
मित्र महकता इत्र-सा, कभी न छोड़े साथ।
पर जो नकली क्या पता, कब दे दे वह घात।।
दोहों का आनंद ले लिया आपने तो अब चलते हैं कुछ तीर - तरकश की ओर । जी हाँ वाण भट्ट जी बता रहे कि मनुष्य बिल्कुल असामाजिक प्राणी है लेकिन सामाजिक दिखाने की कोशिश में कौन कौन से जुगाड़ अपनाता है ये आप भी पढ़िए , मुझे तो पढ़ते हुए लगा कि मैं भी कहीं इन्ही लोगों में से तो नहीं ? खैर --- अपना अपना अनुमान स्वयं पढ़ कर लगाएँ ----
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. ऐसा कोई और तो कहने से रहा, क्योंकि किसी और प्राणी ने भाषा का इस कदर विकास नहीं किया कि प्यार और तिरस्कार को शब्दों में व्यक्त कर पाये. उस पर ऊपर वाले ने वॉयेस मोड्युलेशन और फेस एस्प्रेशन की एडिशनल सुविधा दे रखी है. शब्दों के चयन से उसी बात को आप खट्टे और मीठे दोनों तरह से कह सकते हैं. लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि यदि दूसरे प्राणी भी इंसान की तरह बोल पाते, तो इतना तो ज़रूर कहते कि मनुष्य एक असामाजिक प्राणी है.
इस तीर के बाद अब एक तलवार हाज़िर है --- सच्ची कालजयी रचनाएँ यूँ ही नहीं लिखी जातीं ...... कितना प्रयास करना पड़ता है ..... जगह जगह की खाक छानी जाती है तब कहीं कोई लिख पाता है ...... अमृता जी की लेखनी और उससे निकली एक अनुभव आधारित रचना --
एक कालजयी कविता के लिए
असली काव्य-तत्त्व की खोज में
जब-जब जहाँ-तहाँ भटकना हुआ
तब-तब अपने ही शातिर शब्दों के
मकड़जाल में बुरी तरह से अटकना हुआ
ये तो बिल्कुल सच है कि ऐसी कालजयी कविता लिख जो खुशी मिलती है वो अवर्णनीय है लेकिन कभी कभी यूँ ही सहज में किसी के लिए कुछ निः स्वार्थ भाव से कर देना आंतरिक खुशी का कारण बन जाता है । पढ़िए जिज्ञासा जी की एक कहानी --
रागिनी अपनी कार ढाबे से निकाल रही थी और सामने से एक औरत अपने दुधमुँहे बच्चे को शॉल में लपेटे आती दिखायी दे रही थी ,घूँघट से चेहरा ढका हुआ था,पर जब वो अपने बच्चे को सम्भालती तो उसके चेहरे की एक झलक दिख जाती,साथ में दो बड़े बच्चे और एक बूढ़ा आदमी भी दिखाई दे रहे थे। रागिनी के आगे कई गाड़ियाँ ज़ोर ज़ोर से हॉर्न बजा रही थीं उन्हीं शोरगुल में फँसी रागिनी को फिर उस औरत की झलक दिखायी दी उसने देखा तो वो औरत भी रागिनी को बड़े ध्यान से देख रही थी,
और अब खुशी खुशी पढ़िए प्रकृति के साथ शब्दों का ताल - मेल बैठाती अनुपमा "सुकृति " जी की अभिलाषा ---
प्रातः की कवित्त विरुदावली है या
मेरी कविता की अभिलाषा !!
अरे हाँ ! चलते चलते आप सबसे एक नए ब्लॉग का परिचय कराना तो भूले ही जा रही थी । इस ब्लॉग पर विचारों का मंथन होने वाला है । आप भी अपने विचार प्रस्तुत करें । ब्लॉग का नाम है श्वेतार्क ...... आप लिंक पर जा कर स्वयं ही परिचय प्राप्त करें कि ये किसका ब्लॉग है ।
श्रेष्ठ होने की होड़ में
सबको समान रूप से शत्रु मानते
लोगों को देख,
सोचती हूँ अक़्सर
जाते जाते
ये मंच हमारी त्रिदेवियों को हार्दिक बधाई देता है
रविवार, 1 अगस्त को भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया .लवलीना ब्रॉन्ज मेडल पक्का करके सेमीफाइनल में जगह बना चुकी हैं और भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करके मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. ये हैं भारत की शानदार त्रिदेवियां
पी० वी० सिंधु
लवलीना
आज के लिए बस इतना ........ फिर मिलते हैं कुछ नया ले कर ...... तब तक के लिए आज्ञा दें ।
अपनी प्रतिक्रिया देने न भूलें ...... आप सबके सुझाव आमंत्रित हैं ।
धन्यवाद
संगीता स्वरूप ।
शुभ प्रभात दीदी..
जवाब देंहटाएंसच कह रही हैं दीदी आप
मित्र दिवस के अलावा फादर्स डे और मदर्स डे
365 दिन एक ही बार आता है
बाकी के 364 दिन इनको उलाहना ही सुनना पड़ता है
यादगार प्रस्तुति..
सादर..
यशोदा
हटाएंमेरी कविता की पंक्तियों के मर्म को छू लिया इसके लिए आभार
सुन्दर लिंक्स और अभिनंदन त्रिदेवियों का!!मेरी रचना को सम्मिलित किया आपका हार्दिक धन्यवाद दी!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुपमा , त्रिदेवीयों यानि नारी शक्ति का अभिनंदन ।
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम जी ।
हटाएंम में हलन्त नहीं लगा पा रही ।
आदरणीय दीदी, प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआज का अंक विविध संदर्भों से सार्थक परिचय कर गया, आपकी सुंदर कविता मैत्री दिवस पर जहाँ सार्थक प्रश्न खड़े करती है,वहीं गिरीश जी के दोहे भावपूर्ण और सटीक हैं,अमृता जी की कविता भी एक कालजयी प्रश्न छोड़ती है,जो सार्थक तथा अपेक्षित है,तो अनुपमा जी की रचना कविता की सार्थकता से ओतप्रोत है, श्वेता जी का नया दृष्टिकोण भी मन को भा गया, बताने के लिए शुक्रिया, वहीं भट्ट जी ने मनुष्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है,जो सामयिक तथा यथार्थपूर्ण है, जो प्रासंगिक है, आख़िर में तो हमारी तीन देवियों को मैं जितना नमन करूँ कम है,उन्हें मेरी शुभकामनाएँ और बधाई। इसी बीच मेरी भी कथा का आप द्वारा चयन होना मेरे लिए हर्ष का विषय है, बहुत सुंदर हरा भरा, भरपूर अंक पढ़वाने के लिए आपका बहुत आभार। शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह...
आभार
हटाएंप्रिय जिज्ञासा ,
हटाएंमेरी पूरी प्रस्तुति पर जा कर अपने शब्दों में हर रचना पर प्रकाश डालना मेरे लिए एक उपलब्धि है ।
सस्नेह
यह अंक कई मायनों में बेहतर है....एक बार फिर दुनिया ने देख लिया कि भारत की बेटियां क्या हैं और कौन सा इतिहास लिख सकती हैं....। सभी को खूब बधाई और अच्छे अंक के लिए आपको खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंसंदीप जी ,
हटाएंआप जैसे पाठक ही हम चर्चाकारों का मनोबल होते हैं । अंक पसंद करने के लिए हृदयतल से आभार ।
त्रिदेवियों को सलाम पूरे देश की तरफ से ! सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंगगन जी ,
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया ।
बेहतरीन लिंकों का चयन।सभी रचनाकारों को बधाई।त्रिदेवियों को सलाम।
जवाब देंहटाएंसादर
लिंक्स पसंद करने का शुक्रिया । सच इन तीनों को सलाम जो देश का नाम ऊँचा कर रही हैं ।
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों का चयन हमेशा की तरह। अच्छा लगा हमारी तीन देवियों का भी आपने अभिनन्दन किया , मेरा भी सलाम। दुनिया में हमारा मस्तक ऊंचा किया निस्संदेह । सभी रचनाकारों को और आपको बधाई और शुभकामनाएँ 💐
जवाब देंहटाएंलिंक्स पसंद करने का आभार उषा जी ।
हटाएंसबकी रचनाएँ देखीं। आपने मुझे भी याद किया, इस हेतु आभार। आपके कारण अब धीरे धीरे ब्लॉग की याद आने लगी है।
जवाब देंहटाएंगिरीश जी ,
हटाएंआपका ये कथन की ब्लॉग की याद आने लगी है , मुझे सच ही उत्साहित कर रहा है ।
आभार
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकविता जी ,
हटाएंशुक्रिया
और यह सुन्दर चर्चा भी एक देवी ने ही लगाई है. मेरे ख़याल से इस दुनिया को देवियों के हवाले ही कर देना चाहिए. :)
जवाब देंहटाएंशिखा,
हटाएं😆😆😆 काश !
लेकिन अति हर चीज़ की बुरी । बना संघर्ष के कुछ मिलेगा तो दुनिया गर्त में चली जायेगी ।
वाह!
जवाब देंहटाएंएक वरिष्ठ सम्मानीय साहित्यकार ने कहा था-
जवाब देंहटाएंहम जिनका आत्म्-वंदन करते हैं उनकी पूजा करते हैं. जैसे - सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, काली पूजा आदि. और जिन्हें कमजोर समझते हैं, जिन्हें लुप्तप्राय होता देख उन्हें बचाने का ढोंग करते हैं, या जिन्हें बीते दिनों की सच्चाई समझ कर याद करने का स्वांग रचते हैं, उनका दिवस मनाते हैं , जैसे - गौरैया दिवस, जल दिवस, पर्यावरण दिवस, हिंदी दिवस, बाल दिवस , महिला दिवस आदि आदि.....
दी दिवसों के बढ़ते प्रचलन, इतना मनाने के बाद भी सिकुड़ते,सिमटते प्यार और अपनत्व को तरसते रिश्तों पर बस दिखावे का बाज़ारवाद हावी है।
आपकी रचना बिल्कुल सटीक है इस संदर्भ में।
बाकी सभी रचनाएँ अनुपम वैचारिकी मंथन से परिपूर्ण हैं।
सारगर्भित भूमिका कविता,दोहा, लेख, कहानी से सुसज्जित सुंदर अंक।
ओलंपिक में अपनी सशक्त उपस्थिति से देश को सम्मानित करने वाली बेटियों की शान में कितनी भी स्तुति की जाय कम हैं।
आपको साधुवाद दी,बेहतरीन सोमवारीय विशेषांक के लिए
और मेरे ब्लॉग से परिचित करवाने के लिए बहुत बहुत आमार।
सप्रेम प्रणाम
सादर।
क्या बात कही तुमने प्रिय श्वेता! सोचने को बाध्य करता है ये विश्लेषण 👌🤔
हटाएंप्रिय श्वेता ,
हटाएंवरिष्ठ साहित्यकार के कहे शब्द मनन करने योग्य हैं ।
" दिवसों के बढ़ते प्रचलन, इतना मनाने के बाद भी सिकुड़ते,सिमटते प्यार और अपनत्व को तरसते रिश्तों पर बस दिखावे का बाज़ारवाद हावी है।"
तुम्हारे द्वारा किया गया विश्लेषण सौ टका सही लग रहा । मेरी कविता पर तुम्हारी इतनी सशक्त समीक्षा मन को संतुष्टि दे गई ।
बाकी के सभी लिंक्स पर संक्षिप्त भूमिका सारगर्भित है । अभी तो ओलंपिक में और पदक लाने वाली बेटियों के नाम आने बाकी हैं । उन सब के लिए शुभकामनाएँ । अंक पसंद आया इसके लिए ....
सस्नेह
बहुत ही शानदार लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंसीमा उर्फ सदा
हटाएंबहुत बहुत आभार ।
बड़ा मासूम सवाल है यह कि बाकी दिन सब दुश्मनी निभाते हैं । जिस पर मंथन हो तो आनन्द आ जाए । तीर या तलवार चाहे जिसकी हो पर तेज धार का पैनापन तो यहाँ दिखता है और सब खुशी से कटने को राजी भी होते हैं । एक अलग ही आकर्षण का जादू सा ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ उन तीन देवियों के साथ-साथ सब देवियों को भी जिनका आनंदोल्लास देखने योग्य है ।
अमृता जी ,
हटाएंआज तो सच में मुझे बहुत खुशी हो रही है ,क्यों कि आपसे इतना लिखवा लेना भी एक उपलब्धि है । वरना तो दो शब्द में पूरा सार लिख देती हैं ।आपको इस अंक ने आकर्षित किया बस अब तो जादू चल गया 😄😄😄
बहुत बहुत आभार ।
तरोताजा खबरों के साथ लाजवाब प्रस्तुतीकरण एवं बेहद उम्दा लिंक संकलन।...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। देश की बेटियाँ दुनिया भर में परचम लहरा रही हैं.।यह हम सबके लिए गर्व की बात है।
सुधा जी ,
हटाएंआपको प्रस्तुति और सभी लिंक्स पसंद आये इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया ।
हम सब अपनी देश की बेटियों की उपलब्धि पर गर्व करें । आप और सब की दुआएँ उनको और आगे ले जायें जीवन में ।
बहुत बढियां संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया भारती जी ।
हटाएं🎈🎈🌷🌷🎈🎈
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह अत्यंत मनभावन अंक प्रिय दीदी | सबसे पहले भारत की त्रिदेवियों को ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएं| भारत के लिए सफलता की ध्वजा उठाती ये बेटियाँ अदम्य नारी शक्ति का प्रतीक हैं | इनकी सफलता दूसरी अनगिन बेटियों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी |
अब बात शेष प्रस्तुति की |भूमिका में ये पंक्तियाँ पढ़कर बहुत हँसी आई -----और मुझे पहली बार ही /पता चला कि --/साल भर में एक दिन//दोस्ती का भी होता है/शायद बाकी दिन/लोग दुश्मनी निबाहते हैं ।//😀😀😀
सच में यही लगता है दिवस विशेष के ताम- झाम से तो | ब्लॉग पर जुड़ने के बाद ही मुझे इस प्रकार के आयोजनों के बारे में पता चला | हालांकि घर में बच्चे कहते सुनाई पड़ते थे -- फलां दिन - फलांदिन ---पर मैं मनमौजी - मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया | खैर ,अब तो मुझे भी लगने लगा कि अरे! मित्रता दिवस बीत गया -- मानो कोई अपराध हो गया -- सहेलियों को शुभकामनाएं तो दी नहीं 😀😀😀| सच में हम बड़े आराम से पाश्चात्य संस्कृत के आदी हो गये |आज की प्रस्तुति में सब बढिया है | सार्थक व्यंग वाले दोहे हैं | सुंदर प्रेरक लघु कथा है | सरस कवितायें हैं तो भारी भरकम[ आपके शब्दों में तलवार ] व्यंग कविता जिसमें साहित्य जगत को कथित बड़े कवियों के लिए रोचक और मजेदार शब्द मिले ----कलमतोड़ और कलमकसाई-- बहुत आनंद आया पढ़कर | अपनी श्वेता के नए नवेले ब्लॉग को पाकर अत्यंत प्रसन्नता हुई | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रिय श्वेता के लिए | उसके बाकी ब्लॉग की तरह ये भी खूब यश बटोरे यही दुआ है| आज के स्टार रचनाकारों को हार्दिक बधाई | आपको आभार सुरुचिपूर्ण ढंग से सजी रचना के लिए 🙏🙏🌷🌷
प्रिय रेणु ,
जवाब देंहटाएंदेश की बेटियों तक तुम्हारी शुभकामनाएँ पहुँचें ।
सच ही मुझे इस इंटरनेट की दुनिया में आ कर ही पता चला था कि ये इतने सारे दिवस भी होते हैं । हम तो बस स्वतंत्रता दिवस , गणतंत्र दिवस , बाल दिवस , शहीद दिवस ही मुख्य रूप से जानते थे बाकी सब पारंपरिक त्योहार ये बाकी दिवस यहीं जाने । तो सच सच लिख दिए । फिर जो मन में प्रश्न कौंधा वो भी लिख दिए । 😂😂😂
यूँ ये रचना 2008 की लिखी है जिसे ब्लॉग पर मित्रता दिवस के दिन 2010 - 1 अगस्त को डाला गया था । और इस बार भी 1अगस्त को ही मित्रता दिवस मनाया गया । ☺️☺️
बाकी सभी लिंक्स रोचक लगे यह जान कर मन संतुष्ट हुआ ।
सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत सा --- स्नेह ।
ब्लॉग पर जल्दी सक्रिय हों यही कामना है ।
जी दीदी उसके लिए घर मुझे ब्लॉग से कुछ दिन की छुट्टी लेनी होगी।🙏❣️
हटाएंbahut badhiya, aapki rachanaye bahut hi acchi hoti hai What is The Top story writer
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