नमस्कार ! राधे राधे !
आज कान्हा के जन्म का दिन ......... अधिकतर सब कृष्ण जन्माष्टमी मनाने में व्यस्त होंगे ..... और शायद मन ही मन आह्वान कर रहे होंगे कि हे कृष्ण ! तुम कब आओगे ? और सच है कि बाकी का तो पता नहीं लेकिन मैं तो न जाने कब से पुकार रही हूँ हर साल एक उम्मीद लिए हुए आह्वान करती हूँ .....
हे कृष्ण -
आओ तुम एक बार
लेकर कल्की अवतार
पापों का नाश कर तुमने
पापियों को मुक्ति दी
आज पापों के बोझ से
अवनि है धंस रही
फ़ैल रहा दसों दिशाओं में
अपरिमित भ्रष्टाचार
हे कृष्ण -
तुम आओ एक बार |
पूरी रचना के लिए दिए गए लिंक पर जाएँ .....
आज जो इस संसार के हालात हैं उनको देख कर हर संवेदनशील व्यक्ति अन्दर तक हिला हुआ है ..... अफगानिस्तान में जो हो रहा है वो किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है ..... वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं ..... अपने ही देश को छोड़ने पर मजबूर आवाम के प्रति संवेदनशील हैं .... प्रीति मिश्रा ...
मैंनें कभी कल्पना भी नहीं की थी कि अपने जीवन में ऐसा समय देखने को मिलेगा कि एक आतंकवादी संगठन किसी देश पर कब्जा भी कर सकता है लेकिन बिना कल्पना के ये हकीकत देखने को मिल गयी। अब गलती अमेरिका की है या अफगानिस्तान तान के बुजदिल सेना और वहाँ की सरकार कहकर क्या ही फायदा होगा क्योंकि भुगत तो वहाँ की आवाम रही है।
**************************************************************************************************
इस सच से कोई आँखें नहीं चुरा सकता ...... आज जो भी होता है चाहे अपने देश में या किसी और देश में उसका प्रभाव हर एक देश पर पड़ता है ........ और सच को जानना और कहना बहुत ज़रूरी है ..... संदीप कुमार शर्मा जी इसी बात को बहुत संजीदगी से बता रहे हैं .....
तुम्हें सच देखना आता है
सच
कहना क्यों नहीं आता।
तुम सच जानते हो
मानते नहीं।
तुम्हें सच की चीख का अंदाजा है
फिर भी चुप हो ही जाते हो।
******************************************************************************
बहुत से सच लोग कहते नहीं .....लेकिन सच्चे लोग बहुत सी बातों का विश्लेष्ण कर अपनी बात हम तक पहुँचाते हैं .......... ऐसे ही एक ब्लॉग है .... बस्तर की अभिव्यक्ति .....
वो हमें आज बता रहा है कि अफगानिस्तान में शिक्षा का क्या मॉडल रहने वाला है ....
अफ़गानिस्तान में आठवीं फेल एक तालिब को शिक्षा मंत्री मनोनीत कर दिया गया है । कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि मौत का खेल खेलने वाले अशिक्षित लोग सियासत कैसे करेंगे? शायद वे पूछना चाहते हैं कि गोली चलाने वाले लोग मंत्रालयों की तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में शासन कैसे कर सकेंगे? यह वर्तमान परिस्थितियों में वर्तमान परम्पराओं की ऐनक से पूछा गया वर्तमान का सवाल है जिसमें दो हजार साल पुरानी परिस्थितियों के पुनरावतरण की कल्पना से उत्पन्न एक हैरत अंगेज़ जिज्ञासा समायी हुयी है ।
****************************************************************************************
अफगानिस्तान में शिक्षामंत्री कितना पढ़ा है या नहीं इससे हमें कोई अंतर नहीं पड़ता बस मैं तो देख रही हूँ कि यहाँ कौन किसकी पोल खोलने पर लगा है ...... सच तो यही है कि सब स्वयं को ही हरफनमौला मानलेते हैं ... एक बानगी ...... अमृता तन्मय जी लायी हैं ..... ज़रा आनन्द लीजिये ....
कोई पक्का तो कोई कच्चा
कोई असली तो कोई गच्चा
कोई बूढ़ा खोल में भी बच्चा
कोई उत्तम तो कोई हेला !
साधो, हम कपूर का ढेला !
अब खुद को कपूर का ढेला न समझते रह जाइयेगा ....आज कृष्ण के जन्मोत्सव पर अनीता जी एक खूबसूरत कविता के रूप में अपने मन के उद्गार लायी हैं .. ..... कृष्ण ने जन्म से १२ वर्षों तक जो मोह और विछोह सहा उसका बहुत सुन्दर चित्रण किया है ....
मथुरा रोयी होगी उस दिन
कान्हा चले जब यमुना पार,
जिस धरती पर हुए अवतरित
दे नहीं पायी उन्हें दुलार !
***************************************************************************
और आज के विशेष दिन ....... आखिर कृष्ण का दिन है ......
हम सब इस रंग में रंगे हुए हैं .......
तो आज की अंतिम पेशकश भी कृष्णमयी. है ..........
कवयित्री कहना चाह रहीं हैं कि कृष्ण
तुम बिना इस संसार में आये सब कुछ कर सकते थे
फिर इतना कष्टकर जीवन क्यों व्यतीत किया ...
ये भाव हैं रश्मि प्रभा जी के ......
कृष्ण जन्म यानि एक विराट स्वरुप ज्ञान का जन्म
नाश तो बिना देवकी के गर्भ से जन्म लिए वे कर सकते थे
राधा में प्रेम का संचार कर
पति में समाहित हो सकते थे
देवकी के बदले यशोदा के गर्भ से ही जन्म ले सकते थे .
आज बस इतना ही ........ सबको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ........
सब उत्साह से कान्हा के आगमन का इंतज़ार करें ....... फिर मिलते हैं अगले सप्ताह कुछ नयी पुरानी रचनाओं के साथ ....
नमस्कार
संगीता स्वरुप
जय श्री कृष्ण..
जवाब देंहटाएंसुंदर झांकी..
आभार..
सादर नमन
शुक्रिया यशोदा
हटाएंजी बहुत आभार आपका...। संगीता जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए साधुवाद...। सभी रचनाकारों को भी बधाई...
जवाब देंहटाएंसंदीप जी धन्यवाद
हटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंउम्दा चयन
आभार
हटाएंआपने जिन भावों के साथ मेरे भावों के लिंक को यहां लिया है, आंखें भर आईं । यूँ भी कृष्ण को सोचते हुए, मैं कभी राधा नहीं हुई,न सुदामा, न सूरदास,न ऊधो ...मैने देवकी और यशोदा को ही जिया ...
जवाब देंहटाएंरश्मि जी
हटाएंआपका लिखा मन तक पहुँचता है हमेशा । अभी तो आपका देवकी या यशोदा का रूप ही देख रही ।
🙏🙏🙏🙏
अति सुंदर। बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार गिरीश पंकज जी ।।
हटाएंश्रीकृष्ण के दिन ... सचमुच सब कृष्णमय हो गया है ... तो आपका रचनाधर्म भी भला क्यों इनसे अछूता रहता .. शुभ जन्माष्टमी आप सभी को ...
जवाब देंहटाएंआभार सदा ।
हटाएंकृष्णमयी चर्चा। राधे राधे
जवाब देंहटाएंशिखा ,
हटाएंराधे राधे ।
आभार आपका मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंप्रीति ,
हटाएं🙏🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति, जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआभार भारती जी ।
हटाएंआपकी स्वाभाविक समावेशी प्रस्तुति अपनी लयात्मकता में स्वयं छंदो बद्ध हो उठती है । जिसमें अनुराग, प्रेम एवं निष्ठा की सुंदर झलक मिलती रहती है । बस्तर की अभिव्यक्ति को यहाँ देखना अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंहाँ!कर्पूरी सुगंध में आप सबों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ हार्दिक आभार के साथ ।
अमृता जी ,
हटाएंआपकी सराहना ने मन को छू लिया । हार्दिक आभार।
राधे-राधे,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी भूमिका पढ़कर मंथन से फूटी पंक्तियों का अंश-
अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो
तेरी कर्मठता की ज्योति
सूर्य नहीं,तारों के सम हो
सतीत्व की रक्षा के लिए
चमत्कारों की कथा रहने दो
धारण करो कृपाण,कटार
आँसुओं को व्यर्थ न बहने दो
व्याभिचारियों पर प्रहार तेरा
धधकते ज्वालामुखी सम हो
करो कृष्ण को महसूस
सद्कर्म कल्कि का अंश है
प्रेम,दया,सत्य में अमिट
हर युग में कृष्ण का वंश है
संवेदनाओं को जीवित रखना,
मनुष्यता का मर्म कृष्ण सम हो।
----
कृष्ण के भक्ति में रंगी सुंदर रचनाओं के साथ
विविधापूर्ण समसामायिक सभी रचनाएँ बहुत अच्छी है।
रचनाओं के साथ लिखे आपके विचार, अपनत्व से भरा स्पर्श मन को शीतलता प्रदान करता है।
आपके द्वारा संयोजित सोमवारीय विशेषांक की प्रतीक्षा रहती है दी।
सप्रेम
सादर।
प्रिय श्वेता ,
हटाएंरचनाओं के साथ मेरे विचार तुमको पसंद आये । तहेदिल से शुक्रिया ।
कोई रचना यदि पाठक को मंथन पर मजबूर कर दे तो यह रचना की सार्थकता होती है ऐसा मैं मानती हूँ । भले ही उस रचना से असहमति ही क्यों न हो । तुम्हारे मंथन से जो अमृत निकाला है उसे भला कौन नकार पायेगा .....
अवतारों का आह्वान का अर्थ ये कथापि नहीं कि स्वयं हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाएँ । ये आह्वान भी स्वयं में ऊर्जा संचार का माध्यम भर है ।।कहते हैं न कि ईश्वर भी उनकी ही मदद करते हैं जो स्वयं अपनी करते हैं । तुमने अक्सर देखा होगा कि कभी कोई भारी चीज़ को उठाने के लिए जब लोग ज़ोर लगाते हैं तो बोलते हैं ज़ोर लगा कर हईशा ..... और एक साथ बोलने से शायद जोश ज्यादा आता है और वो भारी वस्तु उठा ली जाती है । बस कृष्ण को पुकारना भी कुछ ऐसा ही है । जन जन के अंदर कृष्ण जन्म हो । एक बार तो आओ कृष्ण सबके मन में । ये हमारी आस्था है , मान्यताएँ हैं जो इस तरह ईश्वर को पुकार उठती हैं ।
यदि कृष्ण को पाना है तो कर्म का त्याग तो हो ही नहीं सकता ।
तुमने अपने भावों को सटीक और सार्थक शब्द दिए हैं । स्वयं को याचक नहीं बनाना है , खुद के कर्म से कृष्ण को पाना है ।
सस्नेह
एक लघुकथा का अंश
जवाब देंहटाएंलगभग पांच-छ: वर्ष के अपने इकलौते बेटे की हर ख्वाहिश पूरी करने वाला हैरान हुआ क्योंकि वह कई बार प्यार से उसे कन्हैया ही तो बुलाता था।
"कहता है कि,.कन्हैया तो दूध-छाछ पीने वाले नंद बाबा का पुत्र था!.शराब पीने वाले का नहीं।"
बच्चे का व्यावहारिक ज्ञान..
गज़ब का व्यावहारिक ज्ञान ।
हटाएंबहुत सुंदर, सामयिक तथा सारगर्भित रचनाओं का संकलन आदरणीय दीदी, आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार जिज्ञासा ।
हटाएंउत्कृष्ट लिंकों से सजी बहुत ही लाजवाब कृष्णमयी प्रस्तुति...।
जवाब देंहटाएंआप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंआदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर कृष्णमय प्रस्तुति जन्माष्टमी के शुभ- अवसर पर। इस प्रस्तुति में सब से अच्छी बात यह है कि इसमें उत्सव की रौनक भी है और सामयिक बातों से परिपूर्ण भी है। भगवान श्री कृष्ण को आपका आव्हान दिल को छू जाता है और हाथ अपने आप ही जुड़ जाते हैं। "बेड़ियाँ" एक बहुत ही सशक्त लेख है जो अफगानिस्तान के ऊपर आया संकट और आतंकवाद के दुखद सत्य को हमारे सामने है। "मैं सच जानता हूँ" भ्रष्टाचार के सामने विवश आम -आदमी की दशा बहुत ही मर्मस्पर्शी रूप से दर्शाती है। अद्भुत बड़ी कृष्ण की लीला और कृष्ण भी कृष्ण नहीं कहलाते दो अत्यंत सुंदर रचनायें हैं जो भगवान कृष्ण की विराटता के दर्शन भी करतीं हैं और हमें प्रेरणा भी देतीं हैं । एक शुभ- समाचार भी देना है, आप सबों के आशीर्वाद से मैं अपने इंटर्नशिप में सफल रही हूँ, जल्द ही मेरा इंटर्नशिप पूरा हो जाएगा। उसके बाद निश्चिंतता से लौट आऊँगी यहाँ । इतने दिनों यहाँ की भी बहुत याद आई, यहाँ के स्नेहिल संवाद, प्रेरक प्रस्तुतियों और टिप्पणियों के द्वारा जो आप सब का आशीष मिलता है, इन सब की बहुत कमी महसूस हुई । वैसे, जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर मैं ने एक बाल- कहानी डाली है अपने ब्लॉग पर । देर से ही सही, आप सबों को कान्हाजी के जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें । हृदय से आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएं