।। उषा स्वस्ति।।
"रूप का सौरभ लुटाता, लग गया साँसों का पहरा।
प्यार के अब गीत गाता, आ रहा नूतन सवेरा॥
रूप का आज सावन, बरस गया अंग-अंग।
सौंधी सी गंध आयी और भायी तन-मन॥
अंग-अंग भाये तुम, आ रहा नूतन सवेरा।
प्यार के अब गीत गाता, आ रहा नूतन सवेरा॥"
राजेश गोयल
सच है कि नूतन, नव्य भोर से नव्य आस घुलता है ...तो फिर लिजिए हाजिर हूँ ,अपनी प्रस्तुति के साथ लाई हूँ प्रकृति, गीत ,दोस्ती और...अब लिंकों पर जा कर देखें...✍️
एक गीत-हरे धान के इन फूलों में
हरे धान के
इन फूलों में
चावल होंगे काले-गोरे ।
बादल-बिजली
धूप-छाँह में
हँसते हैं,बतियाते हैं ये..
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किसी ने कितना खूबसूरत कहा है कि आप अपनी राह खुद तय करते हैं फिर चाहे उस पर कालीन हो या नुकीले पत्थर...। हमने कठिन पथ चुना, हमने चुना प्रकृति को, उसके दर्द के चीत्कार को सुना, महसूस किया। धरा के कंठ को सूखते देख हमें भी लगा कि हमारा कंठ भी सूखने को है...
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लूट के रास्ते खुल गये बेहया करें पैसे
वसूल ‘उलूक’ अपनी फितरत से लिखता चल महीने भर सारा ऊल जलूल
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वो टिम-टिम सितारों को छिपना ही होगा..
ये रुख अब हवा का बदलने लगा है,
यूँ मौसम ये शोला उगलने लगा है ।
पता जब चला साजिशों का था हमको,
तो दिल कातिलों का दहलने लगा है ।..
सुंदर, शब्द शिल्प भाव के ताने बाने के साथ आज यहीं थमते है..कल फिर मिलिये रवीन्द्र जी के साथ..
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
ना हिंदी आती है
जवाब देंहटाएंना उर्दू ही आती है
बात है
कि फिर भी
पेट से चढ़ कर
गले तक पहुँच जाती है
बेहतरीन अंक
सादर..
जी बहुत आभार आपका पम्मी जी...।सभी लिंक अच्छे हैं...। साधुवाद
जवाब देंहटाएंआदरनीय Pammi singh'tripti' जी आपके चयन की दाद देनी होगी । बहुत ही सुंदर लिंको के साथ इस नाहफिल कि रौनक में आआपने चार चांद लगाए हैं ।यसजे लिए मेरी जानिब से दाद कबूल कीजियेगा ।
जवाब देंहटाएंसादर
सराहनीय भूमिका के साथ बेहतरीन सूत्रों से सजी बहुत सुंदर संकलन सजायी है दी।
जवाब देंहटाएंगीत,गज़ल,कविता,आलेख सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।
प्रणाम
सादर।
सराहनीय अंक
जवाब देंहटाएंशानदार अंक और सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं पम्मी जी,सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंआभार पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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