वर्तमान दहशत के साये में भी सामाजिक रिश्तों की गहराइयों को थामे ..
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बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात 🙏🌷 बेहतरीन लिंक्स 👌
जवाब देंहटाएंवाह!!बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति दिनकर जी का अभिनव बंध सभी लिंक मनभावन ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
"वर्तमान दहशत के साये में भी सामाजिक रिश्तों की गहराइयों को थामे..."
जवाब देंहटाएंआपकी भूमिका की इन पंक्तियों ने मन मोह लिया वाकई में इस वक्त हमें जरूरत है अपने सामाजिक रिश्तो की गहराइयों को संभालने की पता नहीं यह सब कब ठीक होगा लेकिन अपने आस-पड़ोस के संग बनाए गए रिश्ते को बिखरने नहीं देना है बहुत ही अच्छी लगी आप की भूमिका
.....
सभी चयनित रचनाएं बहुत अच्छी हैं मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी प्रस्तुति आदरणीया पम्मीजी। मेरी रचना को शामिल करने हेतु हृदय से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेरे इस ब्लॉग 'प्रतिध्वनि' पर आनेवाली कमेंट्स के नोटिफिकेशन नहीं मिल रहे हैं। हलचल के माध्यम से यह ब्लॉग भी पाठकों तक पहुँचा है। बहुत बहुत आभार।